Monday, July 18, 2022

SYED AKBARUDDIN, FORMER PERMANENT REPRESENTATIVE OF INDIA TO THE UNITED NATIONS DELIVERED SIR SYED MEMORIAL LECTURE

REPORT BY SAMAN KHAN, SUB EDITOR SALAMEVATAN

ALIGARH MUSLIM UNIVERSITY VICE CHANCELLOR TARIQ MANSOOR IS AWARDING A MOMENTO TO MR. SYED AKBARUDDIN.

 


ALIGARH MUSLIM UNIVERSITY TEACHING STAFF, STUDENTS AND ALIGARIAN ATTENDING SIR SYED MEMORIAL LECTURE. 

 पूर्व राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने दिया सर सैयद मेमोरियल लेक्चर

अलीगढ़, 16 जुलाईः एक बदली हुई दुनिया में जहां चीन वैश्विक व्यवस्था को फिर से आकार देने के लिए अधिक उत्सुक लगता हैभारत ने कूटनीति की अपनी पारंपरिक शैली को त्याग दिया है। भारत ने 2014 के बाद से अधिक गतिशीलसक्रियसाहसी और जोखिम लेने वाला कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाया हैऔर अपने पड़ोसियों सहित विभिन्न देशों के साथ संबंध विकसित किए हैंजैसा पहले कभी नहीं हुआ।

यह विचार सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि श्री सैयद अकबरुद्दीन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की सर सैयद अकादमी द्वारा आयोजित वार्षिक सर सैयद मेमोरियल लेक्चर 2022 में व्याख्यान के दौरान व्यक्त किये।

एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज सभागार में श्री अकबरुद्दीन ने भारत की वैश्विक कूटनीति का बदलता चेहरा’ विषय पर बोलते हुए अपने लंबे राजनियिक करियर और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अनुभवों से कई उदाहरण प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा कि बदली हुई विश्व व्यवस्था में और साइबर स्पेसजलवायु परिवर्तन के मुद्देऊर्जा की जरूरतें और मुद्रास्फीति के कारण विदेश नीति अब शुद्व विदेशी नहीं रह गई है और कई स्थानीय मुद्दे भी कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

श्री अकबरुद्दीन ने कहा कि हम एक वैश्विक उथल-पुथल देख रहे हैं जो हाल के दिनों में कभी नहीं देखा गया हैअमेरिका का एक ध्रुवीय प्रभुत्व समाप्त हो गया है और चीन हरित प्रौद्योगिकीचिकित्सा और सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। चीन के बाजार में अपर्याप्त पहुंचसीमा पर झड़पें और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बेल्ट एंड रोड पहल से पता चलता है कि भविष्य में भारत और चीन के बीच मतभेद बढ़ सकते हैं।

भारत की विदेश नीति में बदलाव की व्याख्या करते हुएसंयुक्त राष्ट्र के पूर्व दूत ने कहा कि चुनाव परिणामों के निहितार्थ और प्रभाव होते हैंजो हमारी वर्तमान विदेश नीति में परिलक्षित होते हैं। अब हमारी नीति बड़ा सोचोसाहसिक कार्य करो और जोखिम लो’ पर आधारित है। श्री अकबरुद्दीन ने कहा कि 2015 मेंभारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में 54 देशों के नेताओं ने भाग लिया, 2018 में गणतंत्र दिवस परेड में 10 आसियान नेताओं को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था और आई2यू2 जो भारतइजराइलसंयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका का एक गठबंधन है हमारी विदेश नीति में इस मौलिक बदलाव को दर्शाते हैं।

श्री अकबरुद्दीन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार बार यूएई का दौरा किया है जबकि पिछले 30 वर्षों में किसी भी पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री ने उक्त देश का दौरा नहीं किया। संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ विदेश व्यापार समझौते और यूरोपीय संघ के देशोंब्रिटेन आदि के साथ साझेदारी ने दुनिया के अग्रणी देशों के साथ हमारे राजनयिक और आर्थिक संबंधों को आकार देने में मदद की है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से भारत की सॉफ्ट पावर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। यह निश्चित रूप से एक मजबूत विदेश नीति में मदद करता है।

पूर्व राजनयिक ने सर सैयद अहमद खान की प्रशंसा की और कहा कि सर सैयद का भावनाओं में बह जाने के बजाय असामान्य रूप से संतुलित रवैया था। लचीली मानसिकताराजनीतिक जागरूकतासतर्क दिमाग और बातचीत के माध्यम से बेहतर परिणाम प्राप्त करने की समझ सर सैयद के प्रमुख गुण थेजो आधुनिक समय की कूटनीति के लिए आवश्यक हैं।

इस बात पर जोर देते हुए कि भारत विश्व स्तर पर अधिक सक्रिय हैउन्होंने एएमयू के छात्रों से संतुलन बनाए रखनेउच्च लक्ष्य रखने और देश के लिए विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह किया।

अध्यक्षीय सम्बोधन में एएमयू कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने कहा कि विदेश नीति एक लचीला विषय है। अफगानिस्ताननेपाल और श्रीलंका आदि को भारत की मानवीय सहायताभारत को पड़ोस और वैश्विक मामलों में और अधिक सक्रिय बनाने का उदाहरण है। हाल के दिनों में खाड़ी देशोंविशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के साथ भारत के संबंधों में काफी सुधार हुआ है।

प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि चीन वैश्विक व्यवस्था के लिए एक सुरक्षा खतरा है और वह क्षेत्र के अन्य पड़ोसी देशों की कीमत पर दक्षिण चीन सागर पर हावी होने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद पर भारत के रुख की सभी देशों ने सराहना की है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा के हम आधुनिकता और प्राच्यवाद का मिश्रण हैं और हम भविष्य की ओर सकारात्मक तरीके से देख रहे हैं।

प्रो. मंसूर ने विचारोत्तेजक व्याख्यान के लिए श्री सैयद अकबरुद्दीन की प्रशंसा की और आशा व्यक्त की कि एएमयू के साथ उनके निरंतर जुड़ाव से छात्रों और शिक्षकों को लाभ होगा।

इससे पूर्व सर सैयद अकादमी के निदेशक प्रो. अली मोहम्मद नकवी ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि एएमयू ने विशेष रूप से इस्लामी दुनिया के साथ देश के मजबूत संबंध स्थापित करने में मदद की है। प्रोफेसर नकवी ने सर सैयद अकादमी की गतिविधियों का भी परिचय कराया।

सर सैयद अकादमी के उप निदेशक डॉ. मुहम्मद शाहिद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ फायजा अब्बासी ने कार्यक्रम का संचालन किया।

इस अवसर पर एएमयू के सहकुलपति प्रोफेसर मुहम्मद गुलरेज के अलावा बड़ी संख्या में शिक्षक व छात्र व्याख्यान के दौरान मौजूद रहे।


A REPORT BY SAMAN KHAN, SUB EDITOR SALAMEVATAN




No comments:

Popular Posts