Friday, November 7, 2025

6th Asian Conference on Geography hosted by JMI

 

Union Minister of Science and Technology Dr. Jitendra Singh inaugurates the 6th Asian Conference on Geography hosted by the Department of Geography, Jamia Millia Islamia (JMI)

              


 
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कल जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के भूगोल विभाग द्वारा एशियाई भौगोलिक संघ (एजीए) के सहयोग से विश्वविद्यालय के अंसारी सभागार में आयोजित छठे एशियाई भूगोल सम्मेलन (एसीजी-
2025) का उद्घाटन किया। 6-8 नवंबर, 2025 तक चलने वाले इस तीन दिवसीय सम्मेलन का विषय क्लाइमेट चेंजअर्बनाइज़ेशन एंड सस्टेनबल रीसोर्स मैनेज्मेंट इन एशियन कंट्रीज़’ है। उल्लेखनीय है कि यह पहली बार है जब प्रतिष्ठित एशियाई भूगोल सम्मेलन भारत में आयोजित किया जा रहा हैजो जेएमआई और भूगोल विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतीक है।

 

इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डी. पी. सिंहजामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ और जेएमआई के रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रो. युजी मुरायामाउपाध्यक्षएशियाई भौगोलिक संघजापानप्रो. केंटा यामामोटोसचिवभौगोलिक विज्ञान संघजापानऔर सुश्री झुआनजी झांगसचिव और कोषाध्यक्षएशियाई भौगोलिक संघ सहित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विद्वानों की उपस्थिति भी रही। प्रो. सईद उद्दीनडीनप्राकृतिक विज्ञान संकायप्रो. अतीकुर रहमानआयोजन सचिव और प्रो. हारून सज्जादसह-आयोजन सचिवप्रो. लुबना सिद्दीकीकोषाध्यक्ष और भूगोल विभाग के सभी संकाय सदस्य और शोध छात्र उद्घाटन सत्र में उपस्थित थे। गणमान्य व्यक्तियों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया को इस ऐतिहासिक आयोजन की मेजबानी का अवसर प्रदान करने के लिए एशियाई भौगोलिक एसोसिएशन की कार्यकारी परिषद की सराहना की।

 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्घाटन भाषण मेंडॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें जामिया मिल्लिया इस्लामिया में उपस्थित होकर खुशी हो रही हैजब विश्वविद्यालय अपना 105वां स्थापना दिवस मना रहा हैजो एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन है। मंत्री महोदय ने कहा कि यह सम्मेलन समयानुकूल है क्योंकि यह जलवायु परिवर्तनशहरीकरण और संसाधन प्रबंधन जैसे गहन रूप से परस्पर जुड़े मुद्दों पर केंद्रित है- जो "समकालीनभविष्यवादी और वैश्विक चिंता" के विषय हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि एशिया और दक्षिण एशिया में 750 मिलियन से अधिक लोग गंभीर प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों के संपर्क में हैं और उन्होंने दिल्लीढाकाबैंकॉक और मनीला को 2050 तक दुनिया के सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील मेगासिटीज में शामिल किया। भारत में एसीजी के पहले संस्करण की मेजबानी के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया की सराहना करते हुएमंत्री ने कहा कि भारत आर्थिक विकास को पर्यावरणीय स्थिरता के साथ जोड़ने में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा हैजो माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण और "अंतःविषय वातावरण" बनाने के प्रयासों से निर्देशित है। उन्होंने स्थिरता के लिए भारत के नीतिगत ढांचे को रेखांकित कियाजिसमें जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी)राज्य कार्य योजनाएंस्मार्ट सिटीज मिशनएएमआरयूटी और स्वच्छ भारत मिशन शामिल हैं "जब तक कोई सामाजिक आंदोलन नहीं होगातब तक कोई भी नीति या सेमिनार इष्टतम परिणाम नहीं देगा," और जागरूकता पैदा करने और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया और वीडियो रील जैसी छोटी डिजिटल सामग्री के उपयोग की सलाह दीक्योंकि जलवायु केवल विद्वानोंवैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के लिए ही नहींबल्कि सभी के लिए चिंता का विषय है।

 

जामिया के कुलपति प्रो. आसिफ ने सम्मेलन को नोट ओनली रेलिवेंट बट प्रोफाउंड्ली ट्रॅनस्फर्मॅटिव बताते हुए अभूतपूर्व शहरीकरणकार्बन और अन्य विषैले जीवाश्म ईंधनों के उत्सर्जनपेड़ों की कटाई और वनों की कटाई के प्रति आगाह किया। उन्होंने "प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर रहने और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपभोग और दुरुपयोग को रोकने" की आवश्यकता पर बल दिया। 

 

जेएमआई के रजिस्ट्रार प्रोफेसर रिज़वी ने अपने संबोधन में सतत संसाधन प्रबंधनप्लास्टिक के उपयोग में कमी और हरित ऊर्जा पर अधिक निर्भरता तथा इलेक्ट्रॉनिक वाहनों (ईवी) की ओर रुख करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह गर्व की बात है कि जेएमआई को एनआईआरएफ 2025 में एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) श्रेणी में तीसरा स्थान मिला हैजो परिसर में स्थायी प्रथाओं को प्रोत्साहित करने के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और इस हद तक जेएमआई को संयुक्त राष्ट्र-एसडीजी के कार्यान्वयन में एक मॉडल बनने की उम्मीद है। 

 

प्रोफ़ेसर युजी मुरायामा ने कहा कि जेएमआई में एसीजी-2025 "सिर्फ़ एक सम्मेलन ही नहींबल्कि दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले महाद्वीपों में से एकएशियाजो संवेदनशीलता का केंद्र और लचीलेपन की जीवंत प्रयोगशाला हैकी रोज़मर्रा की वास्तविकता को दर्शाता है।" प्रोफ़ेसर केंटा यामामोटो ने कहा कि सम्मेलनएजीए और एजीसी-2025 "संस्कृतियों पर वैश्विक दृष्टिकोण रखते हुए स्थानीय ज्ञान का सम्मान करते हैं"। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सम्मेलन का विषय "एशिया के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण" है।

 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. डी. पी. सिंह ने जामिया के कुलपति प्रो. आसिफ़ को उनके नेतृत्व और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रारूपण एवं निगरानी समिति के सदस्य के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए बधाई देते हुए कहा कि भूमिजल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर अभूतपूर्व दबाव हैजिसके कारण भीषण गर्मीसूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ आ रही हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि एशिया सौर और पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग और संवर्धन की दिशा में बड़े कदम उठाए। प्रो. सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन सभी 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से सीधे जुड़ा हुआ है और इनके परस्पर संबंध के पुख्ता प्रमाण हैं। प्रो. डी. पी. सिंह ने कहा कि एशियाई देशों को टिकाऊ शहरी नियोजनहरित ऊर्जा पद्धतियों को अपनाना चाहिएस्मार्ट शहरों का निर्माण करना चाहिए और अन्य पर्यावरण-अनुकूल पद्धतियों को अपनाना चाहिए।

 

एसीजी-2025 सोलह महत्वपूर्ण उप-विषयों पर केंद्रित हैजो जलवायु परिवर्तन और भेद्यता मूल्यांकनशहरी चुनौतियां और प्रबंधनजलग्रहण और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधनपेरी-शहरी और पर्यावरणीय स्थिरतानिर्मित पर्यावरण और शहरी ताप द्वीपों के प्रभाववैश्विक और क्षेत्रीय पर्यावरणीय परिवर्तनजैव विविधताचरम मौसम की घटनाएं और आपदा न्यूनीकरणसंसाधन स्थिरताप्रकृति-आधारित समाधान और एसडीजीनिर्मित पर्यावरण में स्वास्थ्य और कल्याणटिकाऊ कृषि और खाद्य प्रणालियांशहरी स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याणआपदा जोखिम न्यूनीकरण और लचीलापन में नवाचारपारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं और टिकाऊ भूमि उपयोग योजनाजलवायु परिवर्तन अनुकूलन और टिकाऊ समाजजल-ऊर्जा-खाद्य संबंध के माध्यम से एकीकृत संसाधन प्रबंधनऔर जलवायु परिवर्तन और संसाधन प्रबंधन के लिए भू-स्थानिक तकनीकों का अनुप्रयोग सहित वैश्विक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

 

सम्मेलन को ज़बरदस्त प्रतिक्रिया मिली हैजिसमें 53 विदेशी प्रतिनिधियों और 356 भारतीय प्रतिनिधियों सहित कुल 409 पंजीकृत प्रतिभागी शामिल हुए हैं। लगभग 375 प्रतिभागी व्यक्तिगत रूप से इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैंऔर 26 पोस्टर प्रस्तुतियाँ निर्धारित की गई हैं। यह सम्मेलन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), दिल्ली विश्वविद्यालयअलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), एमिटी विश्वविद्यालयइलाहाबाद विश्वविद्यालयप्रेसीडेंसी विश्वविद्यालयकलकत्ता विश्वविद्यालयजादवपुर विश्वविद्यालयपंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालयलखनऊ विश्वविद्यालयवनस्थली विद्यापीठकलिंग विश्वविद्यालयराजस्थान विश्वविद्यालयपटना विश्वविद्यालयमहाराणा प्रताप विश्वविद्यालय (MSU) उदयपुरपंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़दून विश्वविद्यालयमुंबई विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय सहित भारत भर के विभिन्न संस्थानों के शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को एक साथ लाया है। दक्षिणी और पूर्वी भारत से भागीदारी में तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालयकर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालयमद्रास विश्वविद्यालयमणिपुर विश्वविद्यालयनागालैंड विश्वविद्यालयत्रिपुरा विश्वविद्यालयमेघालय विश्वविद्यालयबोडोलैंड विश्वविद्यालयकॉटन विश्वविद्यालय (असम)राजीव गांधी विश्वविद्यालय (अरुणाचल प्रदेश)और उत्तर पूर्वी हिल विश्वविद्यालय (एनईएचयू)शिलांग के प्रतिनिधि शामिल हैं। प्रीमियर तकनीकी और शोध संस्थान जैसे कि बिट्स गोवाआईआईपीएस मुंबईटीआईएसएस मुंबईएनआईटी राउरकेलाआईआईआईटी इलाहाबादआईआईटी पटना और आईआईटी बॉम्बे भी सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैंजो सम्मेलन के अंतःविषय दायरे को दर्शाता है। जापानचीनमलेशियाथाईलैंडयूनाइटेड किंगडमदक्षिण कोरियाश्रीलंकारूस और सऊदी अरब के विदेशी प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैंजिससे यह वास्तव में एक वैश्विक शैक्षणिक सम्मेलन बन गया है। सम्मेलन के दौरान36 समानांतर सत्र और 20 प्रमुख व्याख्यान सत्र आयोजित किए जाएँगेजो शोध प्रसारनीतिगत चर्चा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक संवादात्मक मंच प्रदान करेंगे।

 

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Thursday, November 6, 2025

जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने अपने 105वें स्थापना दिवस

 

Jamia Millia Islamia Showcases Best Practices Aligned with UN SDGs on the occasion of the 105th Foundation Day, JMI ranked 3rd under the ‘SDG category’ in NIRF 2025 Rankings

जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने अपने 105वें स्थापना दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप बेस्ट प्रैक्टिसेज़ का प्रदर्शन कियाएनआईआरएफ 2025 रैंकिंग में जामिया को 'एसडीजी श्रेणीमें तीसरा स्थान मिला

अपने 105वें स्थापना दिवस समारोह के क्रम मेंजामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन किया। इस कार्यशाला का आयोजन तालीमी मेला परिसर में "संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य: अवसर और चुनौतियाँ" विषय पर किया गया और एसडीजी पर एक बूथ भी लगाया गयाजहाँ इसकी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया गया। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में घोषित एनआईआरएफ 2025 रैंकिंग में जेएमआई को एसडीजी श्रेणी में तीसरा स्थान मिला हैजिसने इसे सतत और समावेशी विकास की आवश्यकताओं को पूरा करने के मामले में पूरे भारत में एक अग्रणी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया है।

उच्च शिक्षा संस्थानों में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पर केंद्रित दृष्टिकोण के महत्व को समझते हुएजेएमआई ने माननीय कुलपति प्रो. मजहर आसिफ़ और रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी के नेतृत्व में संकाय सदस्यों और छात्रों की एक समर्पित टीम बनाई।

बूथ और कार्यशाला का उद्घाटन माननीय संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कियाजिन्होंने 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से संबंधित जेएमआई की सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रकाश डालने वाली एक ब्रोशर भी जारी की। एसडीजी कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. एहतेशामुल हक़ ने माननीय मंत्री को एसडीजी के प्रत्येक लक्ष्य के तहत जेएमआई की पहलों के बारे में बताया और उन्हें बताया कि स्कोपस के आंकड़ों के अनुसारजेएमआई ने एसडीजी से संबंधित 8,680 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। स्नातकस्नातकोत्तर और डॉक्टरेट के छात्रों ने श्री रिजिजू जी के समक्ष विभिन्न एसडीजी लक्ष्यों से संबंधित अपनी चल रही परियोजनाएं प्रस्तुत कीं। माननीय केंद्रीय मंत्री ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं की और बूथ पर इन्हें प्रदर्शित करने वाली टीम के काम की सराहना की जिन्होंने दूसरों के सीखनेसराहना करने और अनुसरण करने के लिए एक ब्रोशर के रूप में इनका सारांश भी प्रस्तुत किया। गौरतलब है कि 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों द्वारा अपनाए गए सतत विकास के 2030 एजेंडे ने 17 विश्व सतत विकास लक्ष्य निर्धारित किए। इन वैश्विक लक्ष्यों का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने और महासागरों व जंगलों के संरक्षण के साथ-साथ लोगों और पृथ्वी के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करना है। ये सतत विकास लक्ष्य सतत विकास के पर्यावरणीयसामाजिक और आर्थिक पहलुओं के बीच संबंधों को उजागर करते हैं।

सतत विकास लक्ष्य कार्यशाला में तीन प्रख्यात वक्ता शामिल हुए: प्रो. प्रेरणा गौड़- निदेशकएनएसयूटीनई दिल्ली; डॉ. अनिल कुमार-निदेशकनवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयभारत सरकारऔर श्री अभिनव जैनपरियोजना निदेशकजीआईजेड इंडिया। प्रो. एहतेशामुल हक़ ने कार्यशाला के दौरान अतिथियों का स्वागत किया और श्रोताओं को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उत्पत्तिपृष्ठभूमि और उनके महत्व के बारे में जानकारी दी।

अपने संबोधन मेंमाननीय कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सतत विकास लक्ष्य व्यक्तियों की दैनिक आदतों से गहराई से जुड़े हुए हैं और उन्होंने छात्रों से "अपने दैनिक जीवन में स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को शामिल करने" का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि "इन लक्ष्यों का सार प्राचीन काल से ही भारतीय परंपराओं और जीवन शैली में अंतर्निहित रहा है।"

रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने एक स्थायी जीवनशैली के महत्व पर ज़ोर दिया और "स्वच्छ ऊर्जाशून्य कार्बन उत्सर्जन और स्मार्ट परिवहन" की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने 105वें स्थापना दिवस के अवसर पर जामिया की सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) आयोजन टीम द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।

इंजीनियरिंग संकाय के डीन प्रो. मोहम्मद शरीफ़ ने बढ़ते कार्बन उत्सर्जन पर चिंता व्यक्त की और राष्ट्रीय स्तर पर इसे कम करने के लिए कारगर रणनीतियाँ प्रस्तावित कीं। छात्र कल्याण की डीन प्रो. नीलोफर अफज़ल ने जामिया की छात्र-केंद्रित जागरूकता पहलोंजैसे 'नशा मुक्ति अभियान', जिसका उद्देश्य ज़िम्मेदार नागरिकता को बढ़ावा देना हैके बारे में विस्तार से बताया।

डॉ. अनिल कुमार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत सरकार ने अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन के लक्ष्य निर्धारित किए हैं जिन्हें सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अंतर्गत पूरा किया जाना है। प्रो. प्रेरणा गौर ने जेएमआई द्वारा प्रलेखित सर्वोत्तम प्रथाओं और मांग को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की और एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु परियोजनाओं को शुरू करने हेतु आईईईई द्वारा वित्त पोषण योजनाओं की जानकारी दी। श्री अभिनव जैन ने छात्रों को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के मूल सिद्धांतों की जानकारी दी और बिजलीखनन एवं अन्य क्षेत्रों में चुनौतियों का समाधान करने के लिए 25 मंत्रालयों के साथ जीआईजेड इंडिया के सहयोग के बारे में जानकारी दी। इस कार्यक्रम में कार्यक्रम के उद्योग भागीदारसीमेंस एनर्जी के डिज़ाइन इंजीनियरश्री मुनव्वर हुसैन और आईईईई जेएमआई छात्र शाखा ने भी भाग लिया।

प्रो. एहतेशामुल हक़ ने सतत विकास लक्ष्य कार्यक्रम के समन्वयक के रूप में कार्य कियाजबकि प्रो. शबाना महफूज़ सह-समन्वयक थीं। दोनों ने जेएमआई के कुलपति प्रो. आसिफ़ और रजिस्ट्रार प्रो. रिज़वी को जेएमआई में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के उद्देश्यों को प्राप्त करने और 105वें स्थापना दिवस समारोह में उन्हें प्रदर्शित करने में उनके अटूट सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

प्रो. साइमा सईद

Shahar Mufti Abdul Qayyum Memorial Lecturer

 

Aligarh ko kuchh logon ki sar zameen hone per hamesha fakr rahega ki uski sar zami per itni Azeem shakhsiyaton ki paidaish Hui Hai jismein ek bada Naam ustadul ulama Mufti lutf Ulla rahmtullah ka hai inhin ki auladon mein Allah ne Shahar Mufti Abdul Qayyum Sahab ko bhi Badi izzat Di Mufti Abdul qayyum Sahab Aligarh ke liye ek Aisa Naam sabit hua jinhone Aligarh ki awam ko apni Eilmi salahiyaton se apna murid na sirf musalmanon Ko banaya balki Hindu bhai bhi unke Akhlak aur unki dili sakhawat ki Murid the Aligarh ki aawam ki khidmat jis Dil aur khulus se unhone ki thi uski Badi misal jisko chhu Kar dekha Ja sakta hai Aligarh ki Eidgah aur upar fort National hospital Aaj bhi maujud Hain Allah Aligarh ko aise hi bujurgon aur humdardon ki sar parasti deta Rahe ISI silsile mein ek yadgari program Mufti Abdul qayyum sahab ke liye Kiya Gaya jismein Aligarh ki ajim Danish vrana shakhsiyaton Ne hissa liya aur apne khyalat ka izhaar Kiya Main tahe Dil Se UN tamam logon ka shukr Gujar hun jismein unhone shirkat ki aur khas taur se Kuwar Arif Ali Khan sahab ka shukriya Ada Karta Hun ki unhone ek aisi bedari aur soch paida ki ke Ham Apne mohsinon Ko Insha Allah yad karte rahenge

Reported by gulzar ahmad, fb

six-day Foundation Day and Talimi Mela at JMI

 پریس ریلیز

Jamia Millia Islamia marks the grand finale of six-day Foundation Day and Talimi Mela with Lieutenant Governor of Delhi, Shri V. K. Saxena as Chief Guest at the Valedictory event


جامعہ ملیہ اسلامیہ نے چھہ روزہ یوم تاسیس اور تعلیمی میلہ کا شان دار اختتام،،الوداعی پروگرام میں عزت مآب لیفٹنٹ گورنر،دہلی شری وی۔کے سکسینہ نے بطو رمہمان خصوصی شرکت کی


عزت مآب لیفٹنٹ گورنر کو جامعہ ملیہ اسلامیہ کی این سی سی ونگ کی جانب سے سلامی کے ساتھ ایک سوپانچویں یوم تاسیس تقریبا ت الوداعی پروگرام شرو ع ہوا جس کے بعد سار ا پروگرام انصاری آڈیٹوریم میں منعقد ہوا۔جامعہ اسکول ٹیم نے عزت مآب گورنر،دہلی کے استقبال میں جامعہ کا ترانہ نہایت مترنم آواز میں پیش کیا۔اس کے بعد پروفیسر آصف،شیخ الجامعہ،جامعہ ملیہ اسلامیہ اور پروفیسر محمد مہتاب عالم رضوی،مسجل، جامعہ ملیہ اسلامیہ نے شری سکسینہ کا استقبال کیا۔

عزت مآب لیفٹنٹ گورنر،دہلی نے اپنے خطاب میں کہا کہ جامعہ ملیہ اسلامیہ کے ایک سو پانچ سالہ یوم تاسیس کے تاریخی و خصوصی موقع پر مجھے یہاں آکر بے حد خوشی ہورہی ہے۔یہ خوشی اس لیے بھی ہے کیوں کہ میں ان طلبہ کے درمیان ہوں جن کے کندھے پر اس عظیم ملک کو دنیا کا سرتاج بنانے کا دار و مدار ہے۔ظاہر ہے کہ ایک سو پانچ سالوں کا سفر طے کرکے آج اس منزل پر پہنچنا آسان نہیں رہا ہوگالیکن اس سفر کو کامیابی سے طے کرنے میں ہمارے بزرگوں نے کئی راستے ڈھونڈھے ہوں گے اور تبھی آج ہم اس منزل پر پہنچیں ہیں۔ٹھیک ہی کہا جاتاہے کہ ’ڈھونڈھو گے تو ہی راستے ملیں گے منزلوں کی فطرت ہے کہ وہ خود چل کر نہیں آتیں۔‘مجھے خوشی اس بات کی بھی ہے کہ آج جس جامعہ میں ہوں اس کے قیام کا تصور بابائے قوم مہاتما گاندھی اور گرودیو ربندر ناتھ ٹیگور نے ایک ایسے ادارے کے طورپر پیش کیا تھا جو تمام کمیو نیٹیز کے طلبہ کو ترقی پسند تعلیم اور قوم پرست نظریہ پیش کرے گا۔اس وقت دیش میں ایسے تعلیمی اداروں کی ضرورت تھی جہاں تعلیم کے ساتھ ساتھ جد وجہد آزادی کا پیغام بھی عوام کے درمیان پھیلا یا جاسکے۔انہوں نے محسوس کیا تھا کہ یہ ادارہ تعلیم کے ساتھ ساتھ طلبہ کی کردار سازی کر ان کی زندگیوں کو روشن کرنے اور ملک کا مستقبل سنوارنے کاکام کرے گا۔ان ایک سو پانچ برسو ں میں جامعہ کے ایک ایسا مضبوط درخت بن چکی ہے جس کی شاخیں ہر شعبے میں لوگوں کو قابل بنارہی ہے۔اس طرح سے آج یہ ایک مکمل یونیورسٹی بن چکی ہے۔مجھے یہ بتایا گیا کہ ہے آج یہ ملک میں چوتھے نمبر کی اعلی درجے کی یونیورسٹی بن چکی ہے۔یہ دیش کی دوسری یونیورسٹیوں کے لیے بھی ایک مثال ہے۔میں اس بات سے بخوبی واقف ہوں کہ یہاں پڑھنے والے طلبہ ملک کے کونے کونے سے آتے ہیں اور ملک کے مستقبل کی تعمیر میں اپنا تعاون دیتے ہیں۔

خواتین و حضراتً! اس جامعہ سے بڑے ہی معزز لوگوں کا نام جڑا ہوا ہے جن میں سے ایک نام مولانا ابو الکلام آزاد صاحب کا بھی ہے۔یہ وہ نام ہے جس نے ملک کو آئی آئی ٹی،آئی آئی ایم،یوجی سی جیسے باوقار ادارے دیے۔یہ بتاتاہے کہ وہ کتنے دور اندیش تھے جب بھی ان کا ذکر ہوتاہے تو ہم دلی کی جامع مسجد پر دیا ان کا وہ خطبہ یاد آتاہے جو انہوں نے تئیس اکتوبر انیس سو سینتالیس کو دیا تھا۔انہوں نے اپنی تقریر میں کہا تھا کہ”ستارے ٹوٹ گئے تو کیا ہوا۔سورج کو چمک رہا ہے۔اس سے کرن مانگ لو، اور ان اندھیری راہوں میں بچھا دوجہاں اجالے کی سخت ضرورت ہے۔میں نے ان کی باتوں کو یہاں اس لیے دہرایا ہے کہ آپ کو اس تعلیم کی روشنی سے اندھیرے کو دور کرنا ہے۔اور یہی پیغام گوشے گوشے میں پھیلانا ہے۔

خواتین و حضرات!مجھے آج یہاں پریہ کہتے ہوئے کوئی گریز نہیں ہے کہ یہاں سے تعلیم یافتہ طلبہ آج مختلف اداروں میں اعلی عہدوں پر فائز ہیں۔گزشتہ برسوں میں یہاں کے طلبہ کئی نیشنل اور انٹرنیشنل اسکالر شپ حاصل کرنے میں کامیاب ہوئے ہیں۔یہاں کی کوچنگ سے کئی طلبہ سول سروس جیسے باوقار امتحانات کو پاس کر کے آئی اے ایس،آئی پی ایس بن کر آج ملک کی ترقی اور خوش حالی میں اپنا اہم کردار ادا کررہے ہیں۔اس امتیاز کو حاصل کرنا جامعہ اور یہا ں کے طلبہ کے لیے بڑے ہی فخر کی بات ہے۔مجھے خوشی ہے کہ جامعہ تعلیم کے ساتھ ساتھ ملک کے مستقبل کی تعمیر میں بھی اپنا نمایاں کردار ادا کررہی ہے۔جامعہ کو اس مقا م پر لانے میں جتنی مشقت یہاں کے تدریسی عملے نے کی ہے اتنی ہی آپ طلبہ کی بھی ہے۔جامعہ ہماری ثقافت اور روایات کا نام ہے۔آج پورے ملک میں اس کا نام پورے احترام اور وقار کے ساتھ لیا جاتاہے۔اب جامعہ ایک قومی یونیورسٹی نہ رہ کر ایک گلوبل کالج ہب بن چکی ہے۔لیکن جامعہ کا سفر یہاں تک محدود نہیں ہے ابھی کافی کچھ اورکرنا باقی ہے۔ اس موقع پر مجھے حفیظ بنارسی کا ایک شعر یاد آتاہے۔انہوں نے کہا تھا؛؎

            چلے چلیں کہ چلنا ہی دلیل کامرانی ہے۔ جو تھک کر بیٹھ جاتے ہیں وہ منزل پا نہیں سکتے

دوستو! تعلیم حاصل کرنا اور تعلیم حاصل کرنے کے قابل ہونا دو الگ بات ہے۔اس لیے میرا آپ سے مطالبہ ہے کہ آپ صرف خود ہی تعلیم یافتہ ہوکر نہ رہ جائیں بلکہ دوسروں کو بھی اس کے زیور سے آراستہ کرنے میں اپنا کردار ادا کریں۔کیوں کہ تعلیم حاصل کرنا حکم خداوندی ہے۔علم کی ہی روشنی سے ہم معرفت حاصل کرسکتے ہیں۔اور عارف بنتے ہیں۔اس لیے آپ کو اپنے علم کی روشنی نہ صرف اپنے لیے بلکہ دوسروں کے لیے بھی قائم رکھنا ہے۔یہی ہمارا اخلاقی فریضہ بھی ہے۔آپ اپنی تعلیم کو تبھی مفید بناسکتے ہیں جب آپ خود کو سماج کے لیے مفید بنائیں گے۔آپ کی تعلیم تبھی مفید ہوگی جب آپ اپنے اساتذہ کا احترام کریں اور ان سے سیکھیں گے۔اس موقع پربرج نارائن چکبست کا وہ شعر یاد آتاہے۔؎”ادب تعلیم کا جوہر ہے زیور ہے جوانی کا۔ وہی شاگرد ہے جو خدمت استاد کی کرتے ہیں۔

خواتین و حضرت!

جیسے کہ آپ سبھی اس بات سے واقف ہیں کہ ہمارے محترم وزیر اعظم شری نریندر مودی جی جو ایک سیاست دا ن سے بھی کہیں زیادہ عظیم تر شخص ہیں۔ان کی قیادت میں کیندر سرکار دیش میں ورلڈ کلاس ایجوکیشنل انفرااسٹرکچر ڈولپ کرنے کی سمت میں تیزی سے کام کررہی ہے۔دیش بھر کے انیک اداروں نے وزیر اعظم کی وژن کے مطابق پچھلے سالوں میں بے مثال ترقی حاصل کی ہے۔لیکن ہمارے اداروں اور یونیورسٹیز کا سفر یہاں تک ہی محدود نہیں ہے ابھی کافی کچھ کرنا باقی ہے۔کسی نے کہا ہے کہ ؎

            علم کی حد ہے کہاں کوئی بتاسکتانہیں۔جیسے دریا کا کنارا کوئی پاسکتا نہیں

            خواتین و حضرات!

میں یہاں پہلے بھی آچکا ہوں اور مجھے ہر مرتبہ یہاں پہلے سے کہیں زیادہ محبت ملی ہے۔اس لیے میں آپ کا دل سے شکریہ ادا کرتا ہوں۔میں آپ کا مشکور ہوں کہ مجھے اس تاریخی موقع پر اپنے درمیان بلایا اور میرا احترام کیا۔مجھے پورا یقین ہے کہ آنے والے وقت میں اور موجودہ خوش حال جامعہ کی رہنمائی میں یہ جامعہ نئی بلندیوں کو چھوئے گی۔

            آخر میں،میں طالب علم اور اساتذہ کو ان کے بہتر مستقبل کے لیے اپنی طرف سے بہترین خواہشات کا پیش کرتا ہوں اور اپنی باتوں کو چند لفظوں میں ختم کرتا ہوں۔”ہمیں وہ علم کے روشن چراغ ہیں جن کو۔ہوا بجھاتی نہیں سلام کرتی ہے۔

            آج ہمارے سامنے ہدف یہ ہے کہ بیس سو سینتالیس تک ملک کو وکست بھارت بنانے کے لیے اپنا اہم کردار ادا کریں۔اور اس ارادے سے آگے بڑھیں

پروفیسر مظہر آصف  شیخ الجامعہ،جامعہ ملیہ اسلامیہ نے کہا کہ ’جامعہ ملیہ اسلامیہ کا سفر طویل اور غیر معمولی رہا ہے۔انتہائی سادگی سے اس کی شروعات استادوں کے مدرسے کی صورت میں چھ سے سات طالب علموں اور اساتذہ کے ساتھ ہوئی تھیجو اب آٹھ سو سے زیادہ فیکلٹی اراکین اور چوبیس ہزار طلبہ کے ساتھ ایک بڑی اور عظیم الشان یونیورسٹی بن ہوچکی ہے۔ این آئی آر ایف ریننکنگ میں چوتھا مقام حاصل کرنا اور موقر ٹائمز ہائر ایجوکیشن گلوبل میں سب سے بہترین مرکزی یونیورسٹی قرار دیا جانا اس کی غیر معمولی ترقی کا ثبوت ہے۔

پروفیسر آصف نے مزید کہا کہ ’ہمارا مقصد اس وراثت میں توسیع کرکے اضافہ کرنا ہے اور میڈیکل کالج اور اسپتال کے قیام کے لیے پرامید ہیں جس سے جامعہ میں پیش کیے جانے والے کورسس کی وسیع رینج مکمل ہوجائے گی۔ اپنے طلبہ کے لیے اضافی ہاسٹل قائم کرنے کا بھی ہمارا منصوبہ ہے اس کے ساتھ ہی ہم طلبہ کے لیے زیادہ محفوظ کیمپس بنانے کی سمت کام کررہے ہیں۔مین روڈ کے قریب ایک انڈر پاس بھی ہمارے نگاہ میں ہے تاکہ ٹریفک کی نقل وحرکت سہل ہو اور رسائی مزید بہتر ہو۔“  

پروفیسر آصف نے مزید کہاکہ ”اس سال جامعہ ملیہ اسلامیہ کے تعلیمی میلہ کی قابل ذکر کامیابی،فیکلٹی اراکین کی اور لائبریری کی عطا کردہ بیس ہزار سے زیادہ کتابوں کی تقسیم تھی تاکہ طلبہ میں پڑھنے کی عادت کو تخم ریزی کی جاسکے۔ جامعہ میں طالب علموں کو ہم تعلیم اورتربیت دونوں ہی پڑھاتے اور بتاتے ہیں کیوں کہ جامعہ کی روایت اور ہندوستانی تہذیب و روایت کے پرچم کے علم بردار یہی ہیں۔

یوم تاسیس کے انعقاد پر مسرت کا اظہار کرتے ہوئے پروفیسر مظہر آصف نے کہا کہ ”یہ پروگرام یونیورسٹی کے لیے انتہائی شان دار رہا۔ہر تہذیبی وثقافتی شام میں طلبہ کی فعال شمولیت کافی حوصلہ افزا رہی۔ایسا احساس ہوا کہ برسو ں میں ایسا جشن اور تہوار نہیں دیکھا۔کیمپس موسیقی، پکوان کے ساتھ زندہ ہوا ٹھااور زیادہ اہم بات یہ ہے کہ این ای پی کے نفاذ سے لے کر ذہنی صحت اور خوش حالی تک کے مختلف موضوعات پر بامعنی مباحثے منعقد ہوئے۔

پروفیسر آصف نے کہاکہ ’این ای پی میں مذکور ’تعلیم کی یہی فکر ہے کہ جس میں کیمپس کا ہر تجربہ آموزش کو بہتر کرتاہے اور طالب علم کو بہتر اور ہمہ جہت فرد بناتاہے۔تعلیمی میلہ جامعہ کی منفرد تہذیب اور تربیت کو ہمارے طلبہ میں منتقل کرنے کا نام تھا ایسی خصوصیات کو منتقل کرنے کا جو انہیں حقیقی معنوں میں اعلی و ارفع بنادیں۔

پروفیسر محمد مہتاب عالم رضوی،مسجل جامعہ ملیہ اسلامیہ نے آج اختتام پذیر تعلیمی میلہ میں بڑے پیمانے پر شرکت اور اس کی کامیابی کو اجاگر کیا۔انہوں نے کہاکہ ’گزشتہ چھ برسوں میں ہم نے تعلیمی افضلیت، تہذیبی بوقلمونی اور سماجی بیداری کے محاذ پر غیر معمولی کامیابی حاصل کی ہے۔مختلف ڈپارٹمنٹ،سینٹرز اور فیکلٹی نے اس تقریب کو کامیاب بنانے میں کافی تعاون دیا ہے۔تعلیمی ورکشاپ،خطبات، نمائش  اور مذاکراتی سیشن جنہیں پورے ہفتے کے دوران منعقد کیا تھا۔ان تعلیمی سرگرمیوں نے ہماری دانشورانہ ماحول کو متمول کیا ہے اور اور علم کی ایجاد اور اس کے پھیلاؤ میں ہمارے عہد کو مستحکم کیاہے۔

پروفیسر رضوی نے کہاکہ ’تعلیمی میلہ صرف ایک پروگرام نہیں ہے بلکہ سوسائٹی کی مائیکروکوسم ہے جو زندگی،تعلیم،تہذیب،سماج اور انسانیت کے ہر پہلو کی نمائندگی کرتا ہے۔پکوان اور دست کاری کی مصنوعات سے لے کر کتابوں اور کپڑوں کی سیکڑوں دکانوں تک کیمپس ایک فعال،جان دار ماحول میں تبدیل ہوگیا تھا اور جامعہ کے فلسفہ کو اپنے اندر سموئے ہوئے تھا یعنی’تعلیم سے تعمیر تک‘۔پروفیسر رضوی نے کہاکہ ’جامعہ ملیہ اسلامیہ کی طویل اور شان دار تاریخ میں اس سال کا تعلیمی میلہ، جتنے بھی تعلیمی میلے  اب تک منعقد ہوئے تھے ان میں غیر معمولی اہمیت کا حامل ہوگیا ہے“۔

            پروفیسر رضوی نے تمام متنظمہ کمیٹیوں خاص طور سے ڈین اسٹوڈینٹس ویلفیئر،پروفیسر نیلو فر افضؒ اور ان کی ٹیم فیکلٹی اراکین اور طلبہ،پروکٹوریل ٹیم، صفائی کرمچاریوں،سیکوریٹی گارڈ اور میڈیا ٹیم کو ان کی مطابقت،محنت شاقہ اور باقاعدہ اشتراک کو سراہا اور ان تمام لوگوں کا شکریہ اد اکیا۔

             اس موقع پر عزت مآب لیفٹنٹ گورنر دہلی شری ونے کمار سکسینہ نے  پروفیسر مہتاب عالم رضوی اور پروفیسر ایچ اے ننظمی  بطور مدیران اور پروفیسر مظہر آصف بطور سرپرست کے ساتھ مل کر جامعہ جرنل اآ ف پیس اسٹڈیز، ویسٹ ایشیا سینٹر،جامعہ ملیہ اسلامیہ کا اور ننیسل منڈیلا سینٹر جامعہ ملیہ اسلامیہ کا ایک ذو لسانی جرنل کوکا اجرا کیا۔

             اس سال کے تعلیمی میلے میں ممتا ز ماہرین،بیوکرویٹس،جج، پالیسی ساز، پبلک انٹلیکچوئل،ماہرین تعلیم  اور مفکرین نے ایک فعال اسٹیج پر ساتھ آئے۔ پروگرام میں تعلیمی، تہذیبی اور کھل کود کی سرگرمیاں بھی ہوئی جس سے جامعہ کمیو نی ٹی کی فعالیت اور تنوع بھی آشکار ہوا۔

            چھ روزہ تقریب کے اختتام کے موقع پر  ہزاروں طلبہ اور فیکلٹی ارکین نے عزت مآب لفٹنٹ گورنر کے سامنے جامعہ کے پرچم کو واپس اتارنے کی تقریب میں شامل ہوئے۔اپنے شاداں و فرحاں روح اور کیمپس میں نئی امنگ اور توانائی سے بھرنے کی وجہ سے یہ تعلیمی میلہ برسہا برس یاد رکھا جائے گا۔

 

 پروفیسر صائمہ سعید

افسر اعلی،تعلقات عامہ

جامعہ ملیہ اسلامیہ


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