Friday, February 21, 2025

वीमेंस कॉलेज में मुशायर

                              

                                                   वीमेंस कॉलेज में अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन

अलीगढ़, 21 फरवरीः  वीमेंस कॉलेज सभ्यताशालीनता और ज्ञान व साहित्य का केंद्र है। इस संस्थान ने हमेशा से भाषा और साहित्य की सेवा की हैजिसका एक लंबा इतिहास रहा है। यह बातें वीमेंस कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर मसूद अनवर अल्वी ने वीमेन्स कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित अखिल भारतीय मुशायरे में स्वागत भाषण देते हुए कहीं।

उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिकसाहित्यिक और काव्य परंपराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कविता अभिव्यक्ति का एक सबसे प्रभावी माध्यम है। कविता ने न केवल दिलों को धड़काया हैबल्कि उन्हें गर्माया भी है। सामाजिक स्तर पर इसका बहुत महत्व है। प्रोफेसर मसूद अनवर अलवी ने कहा कि यह मुशायरा सामान्य प्रकार के मुशायरों से अलग हैक्योंकि इसके उद्देश्य अलग हैं। हम कॉलेज में मुशायरे का आयोजन इसलिए भी करते हैं ताकि हमारी छात्राएं इस पुरानी परंपरा से परिचित रहें। मुशायरों की परंपरा ने हमारी साहित्यिक परंपरा को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस अवसर पर उन्होंने शायरा डॉक्टर जोया जैदी के निधन पर दुख और शोक व्यक्त करते हुए उनके व्यक्तित्व और कविता के बारे में चर्चा की और श्रद्धांजलि अर्पित की। 

इससे पूर्वमुशायरे के अध्यक्ष शमीम तारिकमुख्य अतिथि अजहर इनायती और प्रिंसिपल प्रोफेसर मसूद अनवर अलवी ने दीप प्रज्वलित करके मुशायरे का शुभारंभ किया। 

मुशायरे की औपचारिक शुरुआत अजहर इनायती और सबीहा सुम्बुल की नातिया शायरी से हुई। इस अवसर पर पेश किए गए चुनिंदा शेर पाठकों की रुचि के लिए प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

अपनी तस्वीर बनाओगे तो होगा एहसा स 

कितना दुश्वार है खुद को कोई चेहरा देना

अजहर इनायती 

 

बहादुरी के जो किस्से सुना रहा है बहुत 

महाजे जंग से भागा हुआ एक सिपाही है 

शमीम तारिक 

 

तुम्हारा शहर हैतुम जो कहो बजा है वह 

हमारा सिर्फ खुदा हैमगर खुदा है वह 

शहपर रसूल 

 

कुछ नहीं था मेरे पास खोने को 

तुम मिले तो डर गया हूँ मैं 

नोमान शौक 

 

बात हो तो यह पूछें आसमान वाले से 

इस जमीन पर इतनी आग क्यों बरसती है 

महताब हैदर नकवी 

 

कभी हाल-ए-दिल कहना बेसाख्ता 

कभी बस एक टुक उसे देखना 

सैयद सिराजुद्दीन अजमली 

 

लकीर खींच के बैठी है तिशनगी  मेरी 

बस एक जिद है कि दरिया यहीं पे आएगा 

आलम खुर्शीद 

 

दिल का बस एक तकाजा है कि ऐसा कर लूं 

जागती आँखों से मैं नींद का सौदा कर लूं 

सरवर साजिद 

 

जान की कीमत जब पानी पर लिखी गई 

प्यास हमारी पेशानी पर लिखी गई 

मुईद रशीदी

 

हर एक शख््स को दुश्मन अगर बनाओगे

मिजाज पूछने वाला कहाँ से लाओगे

अतहर शकील

 

हकीकतें तो मेरे रोज ओ शब की साथी हैं

मैं रोज ओ शब की हकीकत बदलना चाहती हूँ

अजरा नकवी

 

हम अपनी मोहब्बत का तमाशा नहीं करते

करते हैं अगर कुछ तो दिखावा नहीं करते

मुश्ताक सादिक

 

ढूँढा उसे तो खुद से मुलाकात हो गई

ऐसा भी इत्तेफाक हुआ है कभी-कभी

राहत हसन

 

कह रहा है सदियों से ताज का हसीं चेहरा

फन अगर मुकम्मल हो तो बोलती हैं तस्वीरें

सबीहा सुम्बुल

 

नब्ज-ए-हयात डूबीआया अर्क जबीं से

कश्ती कहीं पे डूबीतूफान उठा कहीं से

अजीजा रिजवी

 

मुशायरे में कॉलेज के अध्यापकगैर-शिक्षण कर्मचारी और छात्राओं समेत बड़ी संख्या में अलीगढ़ की महत्वपूर्ण इल्मी शख्िसयतों ने शिरकत की।

मुशायरे का संचालन डॉ. सरवर साजिद और डॉ. शारिक अकील ने संयुक्त रूप से किया।

 

All India Mushaira at Women’s College

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