Wednesday, February 3, 2021

IAF DAY CELEBRATED : JN MEDICAL COLLEGE, AMU ALIGARH



जेएन मेडिकल कॉलेज में आईवीएफ दिवस मनाया गया
अलीगढ़, 02 फरवरीः 2017 में एक विवाहित जोड़े ने एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर फॉर गाइनकोलॉजी एंड मैटरनिटी में इनवर्टो फर्टिलाइजेशन तकनीक (आईवीएफ) अपनाकर एक बच्चे को जन्म देने का फैसला किया। इस दंपति को कई सालों से कोई बच्चा नहीं था।
2017
में मां के अंडाशय से एक अंडा लिया गया और एक युग्मज बनाने के लिए पिता के शुक्राणु से इसे मिलाया गया। प्रक्रिया के कुछ दिनों बाद भ्रूण तैयार हो गया जिसे कृत्रिम गर्भ में रखा गया। आखिरकार 28 जनवरी, 2018 को एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ। इस सफल आईवीएफ के दृष्टिगत प्रत्येक वर्ष 28 जनवरी को एआरटी सेंटर द्वारा आईवीएफ दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कोविड-19 के कारण इस वर्ष आईवीएफ दिवस को आभासी रूप में मनाया गया, जिसमें कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। अपने सम्बोधन में कुलपति ने कहा कि जेएन मेडिकल के एआरटी सेंटर फॉर इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में पहले आईवीएफ बच्चे का जन्म एक ऐतिहासिक दिन था और मेडिकल कॉलेज के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
कुलपति ने कहा कि एआरटी सेंटर के डॉक्टर बांझपन उपचार के क्षेत्र में नवीनतम शोध से अवगत रहते हैं तथा बांझपन के कारणों की रोकथाम और उपचार के लिए प्रयास करते रहते हैं। गत वर्षों में कई निःसंतान दंपति आईवी और अन्य तकनीकों का लाभ उठाने के लिए स्त्री रोग और प्रसूति विभाग तथा एआरटी केंद्र में आए।
गेस्ट ऑफ ऑनर प्रोफेसर जयदीप मल्होत्रा ने कहा कि महिलाओं में अंडाणु उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कई दवाएं शुरू की गई हैं। इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि शरीर पर दवा के प्रभाव की बारीकी से निगरानी की जाती है।
प्रो नरेंद्र मल्होत्रा ने बांझपन में कलर डॉपलर और ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड के महत्व पर प्रकाश डाला।
गायनाकालोजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर निशात अख्तर ने बांझपन आईवीएफ और एआरटी पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि पहला आईवीएफ बच्चा 1978 में यूके में और 1986 में भारत में पैदा हुआ था। उन्होंने इस क्षेत्र के नवीनतम विकास पर प्रकाश डाला।
प्रोफेसर शाहीन ने जेएन मेडिकल कॉलेज में आईवीएफ बच्चों के जन्म पर एक वीडियो की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर डीन फैकल्टी ऑफ मेडिसिन प्रो राकेश भार्गव और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो शाहिद अली सिद्दीकी भी उपस्थित थे।
डॉ नाजिया इशरत ने कार्यक्रम का संचालन किया जबकि डा दीबा खानम ने आभार व्यक्त किया।

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