Wednesday, December 22, 2021

INTERNATIONAL HUMAN RIGHTS DAY : ALIGARH MUSLIM UNIVERSITY

 एएमयू में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर आनलाइन संगोष्ठी

अलीगढ़, 13 दिसंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वाधान में ‘अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस’ के उपलक्ष में एक आनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें अहस्तांतरणीय अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये मानवाधिकार के विभिन्न आयामों पर चर्चा की गई। ज्ञात हो कि 1948 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) को अपनाया गया था।
‘वैश्वीकरण के युग में मानवाधिकार’ विषय पर बोलते हुए प्रोफेसर इकबालुर-रहमान (अध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग) ने कहा कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में लोग न्याय प्राप्त करने के लिए संविधान के विभिन्न विधियों के अन्तर्गत संघर्ष करते हैं। उन्होंने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मानवाधिकारों के प्रति ईमानदार होने की आवश्यकता है और मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के माहौल में काम करने वाले लोगों के सशक्तिकरण के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
प्रोफेसर रचना कौशल ने उन परिस्थितियों पर विचार-विमर्श किया जिनमें मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा का विकास हुआ। उन्होंने वैश्विक मानवाधिकार संवाद पर शीत युद्ध की राजनीति के परिणामों पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने यूडीएचआर ड्राफ्ट की लिंग-तटस्थ भाषा की वकालत करने में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के सदस्य हंसा जिवाजी मेहता द्वारा निभाई गई भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
प्रोफेसर मोहिबुल हक ने कहा कि कैसे वैश्वीकरण ने पूंजीवाद और उदारवाद के सार्वभौमिकरण को जन्म दिया है और यह कैसे यूडीएचआर के विभिन्न बिन्दुओं के विरूद्ध नजर आता है। उन्होंने वैश्वीकरण की तुलना नवउदारवाद और गरीब देशों के खिलाफ शक्तिशाली देशों के गुट से की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों का सार्वभौमीकरण समय की मांग है।
डा नगमा फारूकी ने सकारात्मक पहलुओं के बावजूद वैश्वीकरण के बाद एक विभाजनकारी दुनिया के निर्माण की व्याख्या के विचार का संदर्भों सहित विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि ‘वैश्वीकरण की अपनी समस्याऐं हैं। यह स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं और सामाजिक-आर्थिक समस्याएं पैदा कर रही हैं।
रिसर्च स्कालर जैद मुस्तफा अल्वी और बीए की छात्रा अमीरा वकार ने मानवाधिकारों के क्रियान्वयन और युवाओं की आकांक्षाओं पर बात की।
प्रो इकबालुर-रहमान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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