स्वतंत्रता के बाद के युग में महिला सशक्तिकरण पर वेबिनार
अलीगढ़, 1 सितम्बरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बेगम सुल्तान जहां हाल के तत्वाधान में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष में ‘स्वतंत्रता के बाद के युग में महिला सशक्तिकरणः एक छात्र का दृष्टिकोण’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें विशेषज्ञों और छात्राओं ने स्वतंत्रता के बाद भारतीय महिलाओं की उल्लेखनीय सर्वांगीण उपलब्धियों पर चर्चा की।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर फरजाना महदी (कुलपति, इरा विश्वविद्यालय, लखनऊ) ने शिक्षा के महत्व और महिलाओं के नैतिक दायित्व के बीच संतुलन बनाने की जरूरत एवं स्वतंत्र इच्छा और स्वतंत्रता के कर्तव्य और विकल्प पर बात की।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को हमेशा त्याग और अधीनता का प्रतीक नहीं होना चाहिए। उन्हें अपनी इच्छाओं, जरूरतों और महत्वाकांक्षाओं को प्राथमिकता देने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो तमकीन खान (प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, जेएनएमसी) ने स्वतंत्रता के बाद से महिला सशक्तिकरण और आम महिलाओं की जीवन परिस्थितियों में सुधार के लिए और सुधार लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि जब महिलाओं को निष्पक्ष रूप से अवसर प्रदान किए जाते हैं तो समाज प्रगति और विकास करता है। केवल महिलाओं से बलिदान की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। लैंगिक भूमिकाएं विशिष्ट होनी चाहिए क्योंकि पुरुषों और महिलाओं के बीच सहानुभूतिपूर्ण, स्वस्थ और तर्कसंगत संबंध विकसित करना अनिवार्य है।
सामुदायिक चिकित्सा और बेगम सुल्तान जहां हाल की प्रोवोस्ट प्रोफेसर डा सायरा मेहनाज़ ने कहा कि जब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं होता तब तक समाज के कल्याण की संभावना नहीं है।
महिलाओं के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों और उनके सशक्तिकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए हाल की प्रोवोस्ट प्रोफेसर सायरा महनाज़ ने कहा कि महिलाओं को अपने कार्यों, भौतिक संपत्तियों और बौद्धिक संसाधनों और विचारधाराओं पर भी पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए। उन्होंने स्वागत भाषण भी दिया।
डा. शायना सैफ (सामाजिक कार्य विभाग) ने बताया कि एएमयू की पहली चांसलर बेगम सुल्तान जहां ने महिलाओं की शिक्षा और मुक्ति पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि बेगम सुल्तान जहां ने प्रगति, शिक्षा और महिलाओं के स्वास्थ्य सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता के साथ शासन किया। उन्होंने 40 किताबें लिखीं और बुनियादी ढांचे, वास्तुकला, कला और शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसे समय में कार्य किये जब महिलाएं कई मायनों में वंचित थीं।
बीएएलएलबी की छात्राओं शिफा कुरैशी, समरा हाशमी और सानिया अख्तर ने महिलाओं की भूमिका और योगदान और महिलाओं के राजनीतिक और सामाजिक सशक्तिकरण के बारे में बात की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण को स्वतंत्र भूमिकाएं प्रदान करने की आवश्यकता क्यों है।
छात्र वक्ताओं ने कहा “महिलाओं को सशक्त बनाना महिलाओं का एक अधिकार है। उनके पास समाज, अर्थशास्त्र, शिक्षा और राजनीति में योगदान करने के लिए आनुपातिक अधिकार होने चाहिए।
डा नाजिया तबस्सुम ने धन्यवाद ज्ञापित किया। आनलाइन कार्यक्रम में बीएसजे हाल की छात्राऐं शिक्षक और सभी वार्डन शामिल हुए।
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