Guest and Participant during the three day worksop on scientific writing
एएमयू में वैज्ञानिक लेखन पर तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई
अलीगढ़, 23 अक्टूबरः राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (एनसीआईएसएम), आयुष मंत्रालय, नई दिल्ली के तत्वावधान में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के यूनानी चिकित्सा संकाय द्वारा ‘वैज्ञानिक लेखन, शोध अखंडता और प्रकाशन नैतिकता’ विषय पर स्नातकोत्तर मार्गदर्शकों को उन्मुख और संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से तीन दिवसीय कार्यशाला का प्रारम्भ हुआ।
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि यूनानी चिकित्सा संकाय के पूर्व डीन प्रोफेसर अब्दुल मन्नान ने कहा कि इंटरनेट के आगमन और ऑनलाइन संसाधन सामग्री की उपलब्धता के साथ, गुणवत्तापूर्ण शोध में भी कई चुनौतियाँ सामने आई हैं, जो वैज्ञानिक लेखन को नुकसान पहुँचाती हैं।
उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं को शोध नैतिकता के लिए आधुनिक खतरों से दूर रहने की जरूरत है, जिसमें डेटा फेब्रिकेशन, डेटा मिथ्याकरण, डेटा का लोप और साहित्यिक चोरी शामिल हैं।
एएमयू के एमआईसी दवाखाना तिब्बिया कॉलेज की एमआईसी प्रोफेसर सलमा अहमद और प्रयागराज के एसयूएमसी के प्रिंसिपल डॉ. वसीम अहमद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
कार्यशाला समन्वयक डॉ. फारूक अहमद डार ने कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला और उम्मीद जताई कि कार्यशाला वैज्ञानिक लेखन में रुचि उत्पन्न करेगी और यूनानी चिकित्सा पद्धति के साक्ष्य आधार का विस्तार करेगी।
उन्होंने कहा कि यह पहल अकादमिक लेखन की पेचीदगियों को समझने में शिक्षकों और शोधकर्ताओं की सहायता करने के लिए बनाई गई है, जिससे गुणवत्तापूर्ण प्रकाशन और उच्च उद्धरण प्राप्त होंगे।
अपने उद्घाटन भाषण में यूनानी चिकित्सा संकाय के डीन प्रोफेसर उबैदुल्ला खान ने समकालीन शोध विधियों के महत्व पर जोर दिया। अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर बदरुद्दुजा खान ने स्नातकोत्तर छात्रों के गुणवत्तापूर्ण मार्गदर्शन और एएमयू की समृद्ध शैक्षणिक परंपराओं को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रोफेसर सलमा अहमद ने विश्वास व्यक्त किया कि कार्यशाला शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि करेगी।
डॉ. वसीम अहमद ने भी इस भावना को दोहराया और प्रतिभागियों को आजीवन सीखने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अब्दुल अजीज खान ने किया तथा डॉ. राबिया रियाज ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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