Sunday, July 13, 2025

Research Methodology Course in AMU


 Prof Shahab Fazal, Prof Salauddin Qureshi, Prof Mohd Gulrez and Dr Mujibullah Zubairi with participants during the valedictory function of Research Methodology Course Concludes at Department of Geog

एएमयू के भूगोल विभाग में रिसर्च मैथाडालोजी पाठ्यक्रम का समापन


अलीगढ़, 9 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में आज भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित दस दिवसीय सामाजिक विज्ञानों में शोध पद्धति पाठ्यक्रम का समापन हो गया। जिसमें प्रतिभागियों को सर्टीफिकेट वितरित किये गये। इस अकादमिक कार्यक्रम का उद्देश्य शोधार्थियों और शिक्षकों की शोध क्षमताओं को मजबूत करना था।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एएमयू के पूर्व कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने विभाग की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के पाठ्यक्रम तकनीकी विशेषज्ञता तो बढ़ाते ही हैंसाथ ही बौद्धिक जिज्ञासा को भी प्रोत्साहित करते हैं और विभिन्न विषयों के बीच सहयोग को बढ़ावा देते हैंजो आज के समय में प्रभावशाली शोध के लिए अत्यंत आवश्यक है।

परीक्षा नियंत्रक डॉ. मुजीब उल्लाह जुबेरी ने शोध पद्धति प्रशिक्षण की परिवर्तनकारी शक्ति पर बल देते हुए कहा कि तेजी से बदलते शैक्षणिक परिदृश्य में इस तरह की पहल अनिवार्य हो गई है ताकि शोधार्थियों को वैज्ञानिक तकनीकों से लैस किया जा सके और अंतर्विषयी अनुसंधान को बढ़ावा मिल सके।

अपने संबोधन में राष्ट्रीय भौगोलिक संघभारत के अध्यक्ष प्रो. सलाहुद्दीन कुरैशी ने सामाजिक विज्ञानों में विकसित हो रही शोध प्रविधियों की चर्चा की और कहा कि इस तरह के कार्यक्रम एक मजबूत शोध संस्कृति को पोषित करते हैं और शोधार्थियों को आधुनिक विश्लेषणात्मक उपकरणों से सशक्त बनाते हैं।

समापन भाषण में पाठ्यक्रम समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष प्रो. शाहाब फजल ने आईसीएसएसआर का आभार व्यक्त किया और सभी विशिष्ट अतिथियों व प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया।

पाठयक्रम की सह-समन्वयक डॉ. सालेहा जमाल ने पाठ्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत कीजिसमें विभिन्न मॉड्यूलविशेषज्ञ व्याख्यानव्यावहारिक सत्र और फील्ड रिपोर्ट शामिल रहे। उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागियों ने इन सत्रों से भरपूर लाभ उठाया।

सत्र का संचालन डॉ. अहमद मुजतबा सिद्दीकी ने कियाजिन्होंने औपचारिक विमर्श को प्रभावशाली शेर-ओ-शायरी के साथ जोड़ा। कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव साझा किए और पाठ्यक्रम से मिली सीख और यादों को भावनात्मक रूप से प्रस्तुत किया। इस पाठयक्रम में देशभर के अनेक विश्वविद्यालयों से तीस से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए।


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