Thursday, April 1, 2021

AMU VC Prof. Tariq Mansoor giving Presidential Remarks during the Inaugural session of the workshop on Research Methodology





एएमयू के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित अनुसंधान विधियों पर दस दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
अलीगढ़, 1 अप्रैलः ‘‘संयम के साथ पढ़ने की आदत नए विचारों और अवधारणाओं को जन्म देती है, जो शोध और नवाचार का मार्ग प्रशस्त करती है। यदि आप एक अच्छे शिक्षक और शोधकर्ता बनना चाहते हैं, तो आपके आंतरिक विद्यार्थी को हमेशा जीवित रहना चाहिए’’ ये विचार प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रोफेसर मुहम्मद मुजम्मिल, पूर्व कुलपति, डा बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा ने व्यक्त किए। वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान पद्धति पर दस दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कार्यशाला भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित है।
प्रोफेसर मुजम्मिल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने स्कूल के दिनों से बच्चों में वैज्ञानिक स्वभाव और प्रवृत्ति की पहचान करने पर जोर दिया है ताकि देश में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा मिले। एक अच्छे शिक्षक और शोधकर्ता के गुणों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि सीखने के जुनून को उस व्यक्ति में कभी नहीं मरना चाहिए जो शिक्षण पेशे को अपनाने में रुचि रखते हैं। जिस क्षण हम खुद को छात्र के रूप में सोचना बंद कर देते हैं, तभी एक शिक्षक और शोधकर्ता के रूप में हमारा ह्रास हो जाता है।
कार्यशाला के प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए प्रोफेसर मुजम्मिल ने कहा कि उन्हें अपनी शैक्षणिक गतिविधियों के बारे में उत्साही होना चाहिए क्योंकि ज्ञान की तलाश और खोज करना उनका परम उद्देश्य है और मानवता का कल्याण तथा विकास, सहिष्णुता, बहुलता, तर्कसंगता, वैज्ञानिक स्वभाव और विचारों की उड़ान उनकी प्राथमिकता है।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि देश को शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों में बेहतर बुनियादी ढांचे और ज्ञान के अनुकूल संस्कृति के विकास की आवश्यकता है ताकि भारत अनुसंधान और विकास में विश्व में अग्रणी बन सके।
हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों का उल्लेख करते हुए प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि यूरोपीय और अमेरिकी विश्वविद्यालयों और उद्योग के बीच साझेदारी और सहयोग की एक आम परंपरा है। उन्होंने कहा कि उद्योगों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग की परंपरा को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक समान वातावरण और संरचना की आवश्यकता है।
एएमयू कुलपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए कहा कि इस शिक्षा नीति में अंतःविषय अनुसंधान पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एएमयू का भूगोल विभाग अंतःविषय अनुसंधान के लिए बहुत उपयुक्त है क्योंकि रिमोट सेंसिंग, जियोलोजी और अर्थशास्त्र जैसे विभाग भूगोल के विषयों से संबंधित हैं।
प्रोफेसर मंसूर ने आगे कहा कि अनुसंधान विधियों पर इस तरह की कार्यशाला से आवश्यक सैद्धांतिक और तकनीकी कौशल विकसित करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि अच्छे अनुसंधान के लिए जुनून और समर्पण होना आवश्यक है और पूरी उम्मीद है कि इस कार्यशाला से शिक्षकों में गुणवत्ता अनुसंधान को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
एएमयू के सहकुलपति प्रोफेसर जहीरुद्दीन ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला युवा शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि यह उन्हें आधुनिक अनुसंधान तकनीकों, सांख्यिकीय संसाधनों और शब्दावली से परिचित होने का पर्याप्त अवसर देता है।
विज्ञान संकाय के डीन प्रो काजी मजहर अली ने कार्यशाला के निदेशक प्रोफेसर निजामुद्दीन खान को बधाई देते हुए कहा कि यह कार्यशाला कोविड 19 की महामारी से उत्पन्न समस्याओं के बावजूद उनके प्रयासों से आयोजित की गई है। उन्होंने कहा कि युवा शोधकर्ताओं को शोध प्रक्रिया की मूल बातें और बुनियादी अवधारणाओं को सीखने में झिझक नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा, उनके पास आधुनिक सॉफ्टवेयर टूल्स पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए।
स्वागत भाषण में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सैयद नौशाद अहमद ने एएमयू के कुलपति, शिक्षकों और छात्रों को बधाई दी और कहा कि एएमयू विश्व स्तर पर विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक रैंकिंग में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है, जो हम सबके लिए हर्ष का विषय है।
कोर्स निदेशक प्रोफेसर निजामुद्दीन खान ने दस दिवसीय कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान विचारों के नए अध्याय खोलते हैं। उन्होंने कहा

कि कार्यशाला का उद्देश्य युवा शोधकर्ताओं को वैज्ञानिक अनुसंधान प्रक्रिया और आधुनिक सॉफ्टवेयर के तरीकों, गुणवत्ता और मात्रात्मक सिद्धांतों से परिचित कराना है।
उन्होंने कहा कि कार्यशाला में चालीस सत्र होंगे जिसमें 16 रिसोर्स पर्सन विभिन्न विषयों पर व्याख्यान देंगे। आईसीएसएसआर के दिशानिर्देशों के अनुसार 30 प्रतिभागियों को कार्यशाला के लिए चुना गया है] जिनमें से दस एएमयू के हैं। इन प्रतिभागियों का सम्बन्ध भूगोल] कानून] राजनीति विज्ञान] समाजशाL=] शिक्षा] पश्चिम एशियाई अध्ययन] प्रबंधन] अर्थशास्त्र और वाणिज्य समेत विभिन्न विषयों से है।
पाठ्यक्रम के सहायक निदेशक डाक्टर मुमताज अहमद ने आभार व्यक्त किया, जबकि डाक्टर मुहम्मद तौफीक ने संचालन किया।



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