Thursday, February 23, 2023

ALIGARH MUSLIM UNIVERSITY : INTERNATIONAL MOTHER LANGUAGE DAY

 

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर कार्यक्रम

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किये गए।

भाषाविज्ञान विभाग मेंविख्यात भाषाविदप्रोफेसर रविंदर गर्गेश (अंग्रेजी विभागसमरकंद राज्य विश्वविद्यालयउज्बेकिस्तान) ने विभाग के मसूद हुसैन खान लिंग्विस्टिक सोसाइटी के तत्वावधान में आयोजित एक ऑनलाइन व्याख्यान दिया।

प्रोफेसर गर्गेश ने मातृभाषा’ को परिभाषित करने की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के माध्यम के रूप में परिकल्पित मातृभाषा और अन्य भाषाओं की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने अकादमिक समुदाय से एक बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया।

विभागाध्यक्षप्रोफेसर मोहम्मद जहाँगीर वारसी ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की प्रासंगिकता पर बात की और वैश्वीकरण के इस दौर में भाषायी विविधता के महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि मातृभाषा शिक्षा और बहुभाषावाद को दुनिया भर में तेजी से स्वीकार किया जा रहा है और भाषाओं को अब लोगों की पहचान का एक अभिन्न अंग माना जाता है जो सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने में भाषाओं के महत्व को रेखांकित करता है।

स्वागत भाषण मेंश्री मसूद अली बेग (सचिवएमएचकेएलएस) ने आयोजन के महत्व के बारे में बात की। डॉ नाजरीन बी लस्कर ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

इस अवसर पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गयाजिसमें विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। पहला पुरस्कार आलमीन जहरा (एमए) ने हासिल किया जबकि दूसरा पुरस्कार अहमद सिद्दीकी और मोहम्मद अकबर (पीएचडी) ने साझा किया। तीसरा पुरस्कार संयुक्त रूप से सानिया रफी (एमए) और उज्मा आफरीन (पीएचडी) द्वारा साझा किया गया। इकरा रजामहबूब जाहेदी (पीएचडी)रुकैय्या नदीमफोजिया खान (एमए) और इरम सिद्दीकी (पीएचडी) ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया।

आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में इस अवसर पर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्षप्रोफेसर मुश्ताक अहमद जरगर ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व पर बात की। उन्होंने कहा कि इस तरह के उत्सव दुनिया भर में भाषाई विविधता के बारे में जागरूकता पैदा करते हैंजिससे मातृभाषा को सांस्कृतिक रूप से अधिक स्वीकार्यता मिलती है।

उन्होंने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है और विविध विरासतलोकाचार और देशी भाषाओं को संरक्षित करना अनिवार्य है। यह अच्छी बात है कि एनईपी 2020 में मातृभाषाओं के शिक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है।

मराठी अनुभाग प्रभारीडॉ. ताहिर एच. पठान ने कहा कि यह दिन सभी देशी भाषाओं के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने में सहायक है क्योंकि सभी बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक समाज अपनी भाषाओं के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान और संस्कृतियों को बनाए रखते हैं।

तेलुगु अनुभाग के प्रभारी डॉ. खसीम खान पठान और तमिल अनुभाग के प्रभारी डॉ. तमिल सेलवेन ने भी इस अवसर पर बात की।

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