Tuesday, May 9, 2023

AMU VC Prof Mohd Gulrez welcoming Grand Mufti of MISR “ Dr. Shawki Ibrahim Abdel -Kareem Allam " at Aligarh Muslim University

                             

इस्लाम की मूल आत्मा सभी आस्था और सभी दर्शन के लोगों के जुड़ने में निहित - मिस्र के गै्रंड मुफ्ती

अलीगढ़, 2 मईः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कैनेडी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय समुदाय को सम्बोधित करते हुए अरब गणराज्य मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती डॉ शॉकी इब्राहिम अब्देल-करीम अल्लाम ने कहा कि “इस्लाम की सच्ची भावना को समझने और समझाने की आवश्यकता है जो सभी धर्मोंसभ्यताओं और दर्शन के लोगों के साथ सद्भाव रखने और उनसे अच्छा व्यवहार करने में है। इस के साथ ही विविधताओं और मतभेदों को मान्यता देना भी सकारात्मक कदम है जो ईश्वरीय उपहार हैं।

Prof Mohd Gulrez honouring Dr. Shawki Ibrahim Abdel Karim Allam  

सभ्यताओं के बीच संवाद’ पर बोलते हुए डॉ. शौकी ने कहा कि इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगम्बर मौहम्मद का विभिन्न धर्मों के बीच संबंधों का निर्माण करना और उन के अनुयायियों के साथ जुड़ना उनके निधन तक उनका तरीक़ा रहा है। पैगंबर ने अपने साथियों को अबीसीनिया भेजाजो मुख्य रूप से एक ईसाई क्षेत्र था और मदीना में उन्होंने मदीना में ‘मदीना के संविधान’ के रूप मेंएक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें उन्होंने यहूदी कबीलों और शहर के अन्य निवासियों के साथ संबंधों के नियम निर्धारित किए।

कुरान का हवाला देते हुएमिस्र के ग्रैंड मुफ्ती ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद दया और करुणा का प्रतीक थे और वह विशेष रूप से मुसलमानों के लिए तथा उनके पड़ोसियोंदोस्तोंरिश्तेदारों के प्रति सद्भावना और व्यवहार के संबंध में वह एक आदर्श हैं।

मुसलमानों को ‘धर्म की गलत समझ’ पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम गलत तरीके से इसकी व्याख्या करने वालों से इस्लाम को बचाएँ और दुनिया में शांति और आपसी सौहार्द के दूत बनें।

डॉ. शौकी इब्राहिम अब्देल-करीम अल्लाम ने एएमयू में आमंत्रित किए जाने पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि एक महान दूरदर्शी सर सैयद अहमद खान द्वारा स्थापितयह संस्था ऐतिहासिक है और शांति निर्माण के सन्दर्भ में इसकी अहम भूमिका रही है।

एएमयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने अपनी अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मानवता के शांतिपूर्ण अस्तित्व और प्रगति के लिए सभ्यताओं और विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ जुड़ना ही एकमात्र रास्ता है।

उन्होंने कहा कि विश्व युद्ध के बाद हटिंगटन द्वारा प्रतिपादित ‘सभ्यता के संघर्ष’ की थीसिस एक खतरनाक दर्शन थी। इसके बजायसभ्यताओंसंस्कृतियों और धर्मों के बीच भाईचारे और अंतर-विश्वास संवाद ही लोगों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने का एकमात्र तरीका है।

उन्होंने नई दिल्ली में विश्व सूफी शिखर सम्मेलन (2016) और दावोस में विश्व आर्थिक मंच (2016) आदि सहित विभिन्न वैश्विक मंचों पर शांति का संदेश फैलाने के लिए ग्रैंड मुफ्ती की प्रशंसा की।

इससे पूर्वएएमयू रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) ने सम्मानित अतिथि का परिचय कराया और एएमयू की ओर से उनका स्वागत किया। उन्होंने एएमयू के दारा शिकोह सेंटर फॉर इंटरफेथ अंडरस्टैंडिंग एंड डायलॉग का भी उल्लेख किया और भारत और मिस्र के बीच साझा संबंधों पर रौशनी डाली।

कुलपति ने ग्रैंड मुफ्ती को एक स्मृति चिन्ह और कॉफी-टेबल बुक 

जहान-ए-सैयद‘ और ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का इतिहास 1920-2020’ भेंट किया। ग्रैंड मुफ़्ती ने भी कुलपति को उपहार भेंट किया।

डीनछात्र कल्याणप्रोफेसर अब्दुल अलीम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रो मोहम्मद सनाउल्लाहअध्यक्षअरबी विभाग द्वारा अंग्रेजी भाषण का अरबी में अनुवाद किया गया जबकि ग्रैंड मुफ्ती के अरबी भाषण का अनुवाद ग्रैंड मुफ्ती के सलाहकार डॉ इब्राहिम नेगम द्वारा अंग्रेजी में किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ शारिक अकील ने किया। कार्यक्रम का समापन विश्वविद्यालय तराना से हुआ जिसके बाद राष्ट्रगान हुआ।

कार्यक्रम के बादग्रैंड मुफ्ती डॉ. शौकी इब्राहिम अब्देल-करीम अल्लाम ने विश्वविद्यालय की मस्जिद और विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के मकबरे का दौरा किया।

मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती की एक दिवसीय एएमयू यात्रा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर)विदेश मंत्रालयभारत सरकार द्वारा आयोजित भारत की उनकी राजकीय यात्रा का एक हिस्सा थी।

 

 

 

 


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