Thursday, October 2, 2025

BAHAR BARQI KO OLD BOY'S (ALUMNI) NE RECEPTION DIA

TOPIC- "SIR SYED TEHREEK AUR OLD BOY,S KI ZIMMEDARIAN"

 SUPRIM COURT ADVOCATE BAHAR  BARQI KO OLD BOY'S (ALUMNI) NE          RECEPTION DIA


PHOTO Lt. TO Right ADVOACATE of SUPRIME COURT BAHAR BARQI (MEZBAN), SR. OLD BOY MOHAMMAD YUSUF, MINTO CIRCLE KE SABIQ PRINCEPAL MANZAR JAMAL, SEWA TRUST KE PRESIDENT & CEC AMU OLD BOY.S (ALUMNI) ASSOCIATION DR. MASOOD AHMAD, PROFESSOR NAZIM ALI,  CHOWDHRY G M RABBANI, AMU KE SABIQQ PRO. DR. RAHAT ABRAR, SABIQ UNIVERSTY EMGINEER FIROZ AHMAD KHAN,  SABIQ MAYOR & VICE PRESIDENT OF ICC DELHI MOHAMMAD FURQAN, SAHARA URDU KE SR. JOURNALIST MOHAMMAD SHEWAN, IAS COACHING CENTRE KE DIRECTOR RAIS AHMAD, ALLAHABAD HIGH KE ADVOCATE MOHAMMAD KHURSHEED, LUNCH KE CO-ORDINATOR SR. SABIQ CEC, AMU OLD BOY.S (ALUMNI) ASSOCIATION ANZAR SABRI, HAR DIL AZIZ LEADER ILYAS CHOWDHRI, ALI TRAVEL AGENCY KE FOUNDER WAQAR ZAIDI  ETC. NE SHIRKAT FARMAI.

AAJ 28 SEPTEMBER 2025 KO SUPRIME COURT KE SENIOR ADVOCATE BAHAR BARQI KO RECEPTION, HONOUR DIYA GAYA. PROMINENT AMU OLD BOYS  NE TAREEF KARTE HUE KAHA KI BARQI SB NE ALIGARH MUSLIM UNIVERSITY KE AQLIYATI KIRADAR KA MUQADMA SR. ADVOCATE OF SUPRIM COURT MR. KAPIL SIBBAL KE SAATH LARHKAR KAMYABI HASIL KI, YEH GRAND MEETING LUNCH KE SAATH MUNAQID HUI. 

JISKI SADARAT ALIGARH KE SABIQ MAYOR AUR AMU STUDENT UNION KE SABIQ SADAR MOHAMMAD FURQAN NE KI..

 ADVOCATE KHURSHEED NE MEETING KA  AAJ KE WAQT KI ZAROORAT KE MUDDA UTHATE HUE KAHA KI SIR SYED AHMAD KHAN KE AIM AUR OBJECT 1-MUSALMANON KO TALEEM O TARBIYAT DENA , IDARE QAYAM KARNA, 2- SEHAT AUR HIFZANE SEHAT PAR TO KAM KIYA LEKIN 4 -POLITICAL EMPOWERMENT KO ACHHOT SAMAJH KAR KAAM NAHIN KIYA. AAJKE HALAT MEIN HAMEIN APNA MUDDA BANA KAR KHIDMAT KARNI CHAHIYE

DR. MASOOD AHMAD NE KAHA KI  AGAR MUSALMANO KO ACTIVE POLITICS KI ZAROORAT NAHIN HOTI TO BABA E QAUM SIR SYED AHMAD KHAN KO DEBATE CLUB (UNION HALL)  BANAKAR AMU STUDENTS UNION KA BAQAYEDA ELECTION KA INTZAM NA KIYA HOTA.

DR. MASOOD NE KAHA KI HAM AMU OLD BOYS KO  UN NOJAWANON KO SUPPORT KARNA CHAHIYE JO AAJ MUSLIM QAYADAT KE FUQDAN PAR BECHARE MAJBOORI MEIN DOOSRI PARTION KE NATIONAL LEADRON KI KATHPUTLI, KE PICHHLAGGUON KI TAREH CHAL KAR GHULAMI KAR RAHE HAIN.  

AGAR AMU OLD BOYS UNKI SAFON MEIN JAKAR BAITHEN, UNSE DOSTI KAREN AUR UNKO DAME, DARME, SUKHNE SUOPORT KAREN AUR POLITICAL TRAING DEN TO HAM UNKO ASSEMBLY AUR PARLIAMENT BHEJKAR HINDUSTAN KI POLICY MAKING BODIES MEIN HISSEDSRI AUR SAJHRDARI HASIL KAR SKTE HAIN.

URDU ACADEMY KE SABIQ DIRECTOR PROF. RAHAT ABRAR NE KAHA KI SIR SYED KI SOCH SIRF INDIA HI NAHIN BALKI UNKA TALEEMI MISSION AUR VISION TAMAM ALAM KA THA. UNHON NE SECULARIZM KI PAIRVI KI THI. 

ADVOCATE BAHAR BARQI NE KAHA KI AAP SAB KI SHIRKAT AUR IZZAT WA  EHTRAM SE NAWAZNE KA MEIN SHUKR GUZARR HOON . AAPNE ALIGARH MUSLIM UNIVERSITY KE AQLIYATI KIRDAR KE BARE MEIN ROSHNI DAALI AUR KAHA KI AAJ ZAROORAT IS BAAT KI HAI KI HAM SIR SYED KE MISSION KO SIRF TAQREERON TAK MEHDOOD NA RAKHEN BALKI 100% APNI ZINDGI MEIN UTAR KAR NA SIRF QUANTITY, QUALITY EDUCATION DILANA BHI FARZ HAI.   

गांधी जयंती के अवसर पर एएमयू में भव्य कार्यक्रम

 


                गांधी जयंती के अवसर पर एएमयू में भव्य कार्यक्रम एवं मुस्लिम विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की 156वीं जयंती उत्साहपूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सत्यअहिंसाकरुणा और समावेशी राष्ट्रवाद जैसे गांधीवादी आदर्शों की आज की परिस्थितियों में प्रासंगिकता पर बल दिया गया। मौलाना आजाद लाइब्रेरी के सांस्कृतिक सभागार में आयोजित इस आयोजन में विद्वानोंविद्यार्थियों और विश्वविद्यालय अधिकारियों ने राष्ट्रपिता को नमन किया तथा उनके विचारों की वर्तमसमाके लिए उपयोगिता पर चर्चा की।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में एएमयू की कुलपति प्रो. नइमा खातून ने महात्मा गांधी को दूरदर्शी नैतिक नेता बतायाजिन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सामाजिक न्याय की अलख जगाई। उन्होंने कहा कि गांधी एक निडर सत्याग्रही और सादगीपूर्ण तपस्वी थे जिनका जीवन अनुशासनसहानुभूति और नैतिक दृढ़ता का उदाहरण है।

कुलपति ने कहा कि आज जब पूरी दुनिया पर्यावरणीय संकटआर्थिक असमानता और विभाजनकारी राजनीति जैसी चुनौतियों से जूझ रही हैतब गांधी के विचार हमें शांति और संवैधानिक मार्ग से समाधान खोजने की दिशा दिखाते हैं।

प्रो. खातून ने मौलाना आजाद लाइब्रेरी में गांधीजी से संबंधित दुर्लभ दस्तावेजों और तस्वीरों की विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। इसमें 1942 में एएमयू पूर्व छात्र अब्दुल बारी को लिखे गांधीजी के हस्तलिखित पत्र और 1937 में एएमयू छात्रसंघ सचिव को लिखा पत्र भी शामिल है। उन्होंने बताया कि गांधीजी का एएमयू से गहरा जुड़ाव रहा और 1920 में वे एएमयू छात्रसंघ के पहले मानद आजीवन सदस्य बने थे।

उन्होंने कहा कि स्वदेशी आंदोलन ने एएमयू को भी प्रभावित किया था। स्वतंत्रता सेनानी हसरत मोहानी ने गांधी के आत्मनिर्भरता संदेश से प्रेरित होकर अलीगढ़ में खादी भंडार खोला था।

वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि गांधी की विरासत केवल औपचारिक स्मरण तक सीमित न रहे बल्कि इसे जीवन और शिक्षा संस्थानों की दिनचर्या में आत्मसात करना चाहिए। कुलपति ने कहा कि सच्ची शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार सृजन नहीं बल्कि चरित्र निर्माणकरुणा और जिज्ञासा का विकास है।

उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय क्षरण और अनियंत्रित औद्योगिकीकरण पर गांधी की चेतावनियाँ आज के जलवायु संकट में और भी अधिक प्रासंगिक हैं। गांधी ने कहा था कि पृथ्वी हमारी जरूरतों के लिए पर्याप्त हैलेकिन हमारी लालच के लिए नहीं।

कुलपति ने एएमयू को अंतरात्मा की प्रयोगशाला” बताते हुए शिक्षकों और विद्यार्थियों से विनम्रतासहानुभूति और नैतिक मूल्यों के साथ नवाचार अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने एकता और स्वच्छता की शपथ भी दिलाई।

प्रदर्शों को देखते हुए सहकुलपति प्रो. मोहम्मद मोहसिन खान ने कहा कि यह संग्रह युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी द्वारा बताए गए सिद्धांतों पर विचार करने और उन्हें अपनाने के लिए सार्थक प्रेरणा प्रदान करता है।

राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. मिर्जा असमर बेग ने कहा कि गांधी के लिए स्वराज केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं बल्कि आंतरिक स्वतंत्रता और आध्यात्मिक अखंडता था। उन्होंने गांधी को भागीदारीपूर्ण लोकतंत्रसतत विकास और समावेशी प्रगति का अग्रदूत बताया।

वीमेंस कालिज की डॉ. हुमैरा एम. आफरीदी ने गांधी के जीवन की आध्यात्मिक नींव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गांधी का लक्ष्य आत्मसाक्षात्कार और मोक्ष की प्राप्ति थाजिसके लिए उन्होंने भौतिक इच्छाओं का त्याग और नैतिक संयम का पालन किया।

एएमयू छात्रा जोहा उवैस और समीउल्लाह ने भी गांधीजी को करुणासाहस और नैतिकता का प्रतीक बताते हुए उनके विचारों की प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. फायजा अब्बासी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय की लाइब्रेरियन प्रो. निशात फातिमा ने किया। इस अवसर पर सहकुलपति प्रो. मोहम्मद मोहसिन खानरजिस्ट्रार प्रो. आसिम जफरडीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. रफीउद्दीनप्रॉक्टर प्रो. एम. वसीम अलीएमआईसी पीआरओ प्रो. विभा शर्माएमआईसी गेस्ट हाउस प्रो. ईसार रिजवीवित्त अधिकारी श्री नूरुस सलामडिप्टी प्रॉक्टर प्रो. इफ्फत असगरप्रिंसिपल वीमेन्स कॉलेज प्रो. मसूद अनवर अलवीप्रो. तस्नीम सुहैलप्रो. समीना खानसीईसी समन्वयक प्रो. मोहम्मद नावेद खानपूर्व विधायक श्री विवेक बंसलशिक्षकछात्र और आमंत्रित अतिथि मौजूद रहे।

दिन में पूर्वाह्न कुलपति ने गांधी प्रदर्शनी का उद्घाटन कियाजो 3 अक्टूबर तक प्रातः 8 बजे से 11.30 बजे तक मौलाना आजाद लाइब्रेरी में आम जनों के लिए खुली रहेगी।

इसी बीचस्वच्छ भारत दिवस पर स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत विश्वविद्यालय स्वास्थ्य कार्यालय के कर्मचारियों ने एएमयू परिसर के विभिन्न स्थलों पर स्वच्छता अभियान चलाया।

54th death anniversary of Dr. Syed Mahmud, First JUSTICE OF ALLAHABAD


NAWAB MOHSINUL MULK, SIR SYED AHMAD KHAN, IST CHIEF JUSTICE OF HIGH COURT SYED MAHMOOD IN BRITISH RAJ 

Nawab Mohsin-ul-Mulk , Sir Syed Ahmed Khan , न्यायमूर्ति सैयद महमूद, वह ब्रिटिश राज में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवा करने वाले पहले मुस्लिम

Dr. Syed Mahmud (1889-1971): A Life Dedicated to Freedom and Harmony


                                                               By Dr. Asad Faisal Farooqui

Today marks the 54th death anniversary of Dr. Syed Mahmud, a towering figure of modern Indian political history who passed away on September 27, 1971, in Delhi. His life, spanning the twilight of the British Raj and the early decades of the Indian Republic, was an unbroken chain of service to the nation and its people.

Born in 1889 in Syedpur Bhitari, Ghazipur, Dr. Mahmud was a brilliant scholar who received his early education in Jaunpur, Benares and Etawah. He joined MAO College Aligarh in1901in 7th class. After graduating from Muhammadan College, Aligarh, in 1908, he earned a Barrister-at-Law degree in London and a Ph.D. in History from Münster University, Germany.

Dr. Mahmud’s involvement in the national movement began during his student days at Aligarh. Upon his return to India in 1912, he immediately plunged into the freedom struggle, becoming a staunch and active member of the Indian National Congress. His dedication saw him serve as the Secretary of the Congress three times. His commitment was tested by the British, leading to periods of imprisonment alongside other national leaders in jails like Arah, Naini and Ahmednagar. Pre-independence, he demonstrated his administrative capabilities by serving as the Minister of Education and Development in the Bihar government in both 1937 and 1946.

After Independence, Dr. Mahmud transitioned seamlessly into governance. He was elected to the first and second Lok Sabha from Bihar and later served in the Rajya Sabha (from 1960). His highest central post was as the Union Minister of External Affairs (Minister of State) from 1954 to 1957.

However, Dr. Mahmud’s most courageous act in the post-Partition era was his unwavering fight for the rights and dignity of Indian Muslims. Deeply concerned by the escalating communal riots, he founded the Muslim Majlis-e-Mushawarat (Muslim Consultative Council) in 1965. This move alienated him from the Congress leadership, but he stood firm, touring the country and emphatically declaring that Muslims are equal partners in the nation’s progress and would never accept the status of second-class citizens.

Throughout his entire political career, Dr. Syed Mahmud championed Hindu-Muslim unity—a cause he pursued diligently until his last breath. He leaves behind a legacy defined by intellectual brilliance, political courage, and a deep, lifelong commitment to communal harmony within a free India.

Note.

On this significant occasion of Dr. Syed Mahmud's death anniversary, I am delighted to announce that the comprehensive Urdu biography on his life and contributions, a project I have been dedicated to since 2021, is now complete. It is slated for publication soon by a prestigious publishing house in Delhi.

آج آزادی کے بعد قوم و ملت کی ایک بڑی اہم شخصیت ڈاکٹر سید محمود کی برسی ہے۔ ان کا انتقال 27 ستمبر 1971 کو دہلی میں ہوا تھا۔ یہاں ان کی آزادی سے قبل اور بعد سیاسی خدما ت پر ایک مختصر نوٹ پیش خدمت ہے۔

ڈاکٹر سید محمود سید پور بھٹری غازی پور میں1889 میں پیدا ہویے۔ابتداءی تعلیم بنارس، اور اٹاوہ میں ہوءی۔ 1901 میں ساتویں کلاس میں محمڈن کالج علی گڑھ میں داخل ہویے اور 1908 میں گریجویشن کیا۔ اس کے بعد لندن سے بیرسٹری اور منسٹر یونیورسٹی جرمنی سے تاریخ میں پی ایچ ڈی کی۔ محمڈن کالج کے دنوں سے ہی قومی تحریک سے واستہ ہوگیے۔ لندن سے 1912 میں واپس آنے کے بعد وہ مکمل طور پر ٹحریک آزادی سے منسلک ہوگیے۔ کانگریس کے تین بار سکریٹری رہے، نینی جیل اور احمد‌نگر جیل میں قومی لیڈروں کے ہمراہ بند رہے۔ 1937 اور 1946 کی بہار حکومت میں تعلیم اور ترقیات کے وزیر رہے۔ آزادی کے بعد پہلی اور دوسری لوک سبھالیکشن میں بہار سے منتخب ہوکر آیے۔ 1954 میں وزیر خارجہ بنایے گیے۔ اور وہ اس عہدے پر 1957 تک فایز رہے۔ 1960 میں راجیہ سبھا کے ممبر بنے۔ جب ملک میں فسادات کا سلسلہ شروع ہوا ، اس وقت انہوں نے مسلم مشاورت کا قیام 1965 میں کیا، ان کے اس عمل نے کانگریس قیادت کو ناراض کیا، لیکن وہ اپنے عمل پر ڈٹے رہے، مشاورت کے پلیٹ فارم سے انہوں نے بورے ملک کادورہ کیا، اور واضح طور پر یہ اعلان کیا ملک کی ترقی میں مسلمان برابر کے حصے دار ہیں، اور وہ دوسرے درجے کا شہری بن کر ملک میں نہیں رہ سکتے، وہ ہندوستان کے باشندے ہیں یہیں رہیں گے۔ انہوں نے تا زندگی ہندو مسلمان تعلقات بہتر بنانے کی کوششیں جاری رکھیں، اور وہ اس کام کو آخری سانس تک کرتے رہے۔




Prof Naima Khatoon addressing the Rumi Day” on the Birth Anniversary of Maulana Jalaluddin Rumi

 


Prof Naima Khatoon addressing the Rumi Day” on the Birth Anniversary of Maulana Jalaluddin Rumi at Institute of Persian Research on dias Professor Mohammad Usman Ghani, Professor Azarmi Dukht Safavi

एएमयू के फारसी शोध संस्थान में मशहूर कवि मौलाना जलालुद्दीन रूमी की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन

अलीगढ़, 29 सितम्बरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फारसी शोध संस्था द्वारा प्रख्यात ईरानी सूफी कवि मौलाना जलालुद्दीन मोहम्मद रूमी की जयंती के उपलक्ष्य में रोज-ए-रूमी” (रूमी डे) का आयोजन किया गया। कला संकाय लाउंज में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन एएमयू की कुलपति प्रोफेसर नइमा खातून ने किया। मुख्य वक्ता प्रोफेसर काजी जमाल हुसैन (प्रसिद्ध उर्दू विद्वान) रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता फारसी शोध संस्थान की संस्थापक व सलाहकार प्रोफेसर आजरमी दुख्त सफवी ने कीजबकि कला संकाय के डीन प्रोफेसर टी.एन. सतीशन मुख्य अतिथि और भाषाविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर एम.जे. वारसी विशेष अतिथि रहे।

फारसी शोध संस्थान के निदेशक प्रोफेसर मोहम्मद उस्मान गनी ने स्वागत भाषण में मौलाना रूमी के साहित्यिक और सूफी योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि रूमी की मसनवी मानवी” अमर कृति हैजो आत्मिक सत्य के खोजकर्ताओं के लिए हमेशा मार्गदर्शन करती रहेगी। इसमें आत्माप्रेमअस्तित्व की एकतासंघर्ष और ईश्वर पर विश्वास जैसे गहरे विषय समाहित हैं।

कुलपति प्रोफेसर नइमा खातून ने कहा कि रूमी ने अपनी सूफी और प्रेममय कविता के माध्यम से आत्म-ज्ञान और ईश्वरीय अनुभूति के विविध पहलुओं को उजागर किया और सूफी जगत में एक क्रांति पैदा की। उन्होंने कहा कि मसनवी में निहित आध्यात्मिक रहस्य आज भी ज्ञान की चर्चा में उद्धृत किए जाते हैं। उन्होंने संस्थान की टीम को इस आयोजन के लिए बधाई दी।

अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर आजरमी दुख्त सफवी ने कहा कि लगभग 800 वर्ष पूर्व रूमी ने प्रेममानवता और करुणा का ऐसा सार्वभौमिक संदेश दिया जो धर्मजाति और संस्कृति से परे है। मंगोल आक्रमणों से तबाह इस्लामी जगत में रूमी की सूफियाना दर्शन प्रेम और मानवतावाद का पैगाम लेकर आया। उनकी मसनवीजिसमें 26 हजार से अधिक शेर हैंअस्तित्व की एकतासूफी चिंतन और शांति का पाठ पढ़ाती है। आज के अन्याय और हिंसा से भरे दौर में रूमी का संदेश और भी प्रासंगिक है।

प्रोफेसर काजी जमाल हुसैन ने कहा कि रूमी का प्रेम का सिद्धांत बहुआयामी है। मानवता के प्रति प्रेमईश्वर से प्रेम और प्रकृति से प्रेम। उनके अनुसार प्रेम सभी रोगों की दवा है और अपने आप में एक धर्म है।

प्रोफेसर टी.एन. सतीशन ने रूमी को महान कविदार्शनिक और दूरदर्शी बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने लेखन से दुनिया को एकताभाईचारे और प्रेम का सबक दिया।

प्रोफेसर एम.जे. वारसी ने रूमी को फारसी साहित्य का चमकता सितारा बताया और कहा कि उनके चिंतन का केंद्र बिंदु प्रेम हैजो मनुष्य को आत्मविश्वास देता है और ब्रह्मांड से सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है।

इस अवसर पर फारसी शोध संस्थान ने कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की फेलो के रूप में चयनित होने पर स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. मोहम्मद एहतेशामुद्दीन (सहायक निदेशकफारसी शोध संस्थान) ने कियाजबकि धन्यवाद ज्ञापन निदेशक प्रोफेसर मोहम्मद उस्मान गनी ने प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में विभिन्न संकायों के शिक्षकों और छात्रों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रहीजिनमें प्रोफेसर जकिया सिद्दीकीप्रोफेसर शाफे किदवईप्रोफेसर सैयद सिराज अजमलीप्रोफेसर विभा शर्माप्रोफेसर समीना खानप्रोफेसर सलाहुद्दीनप्रोफेसर आयशा मुनीरा और प्रोफेसर गुल्फशन खान मुख्य रूप से शामिल रहे।

Ansari Health Centre, JMI camps, lectures ON 'Swasth Naari, Sashakt Parivaar Abhiyan'

 

Ansari Health Centre, Jamia Millia Islamia conducts a series of awareness camps, lectures and consultations as part of 'Swasth Naari, Sashakt Parivaar Abhiyan'

 

अंसारी स्वास्थ्य केंद्रजामिया मिल्लिया इस्लामिया 'स्वस्थ नारीसशक्त परिवार अभियानके अंतर्गत जागरूकता शिविरोंव्याख्यानों और परामर्शों की एक श्रृंखला आयोजित कर रहा है।

 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) स्थित डॉ. एम.ए. अंसारी स्वास्थ्य केंद्र ने 'स्वस्थ नारीसशक्त परिवार अभियानके तत्वावधान में चल रही पहल के अंतर्गत 29 और 30 सितंबर, 2025 को कई गतिविधियाँ आयोजित कीं। 'स्वस्थ नारीसशक्त परिवार अभियानभारत में एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान हैजिसका शुभारंभ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया था और जिसका उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को बेहतर बनाना है। इस व्यापक पहल में व्यापक स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से जनता तक पहुँचना शामिल हैजिनका उद्देश्य निवारक और उपचारात्मक दोनों तरह की देखभाल प्रदान करना हैऔर कैंसर और एनीमिया जैसी गैर-संचारी बीमारियों की शीघ्र पहचान पर ज़ोर देना है। इसके अतिरिक्तयह टीकाकरण और पोषण संबंधी परामर्श जैसी सेवाओं के माध्यम से माताओंबच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

 

30 सितंबर, 2025 को डॉ. एम. ए. अंसारी स्वास्थ्य केंद्र में एक 'रक्तदान शिविरआयोजित किया गया। इसके अतिरिक्त उसी दिन दोपहर 3 बजे अपोलो अस्पताल और डॉ. एम. ए. अंसारी स्वास्थ्य केंद्र की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. चारु लता द्वारा 'महिलाओं में कैंसर की रोकथामपर केंद्रित एक जन जागरूकता व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। मासिक धर्म स्वच्छता जागरूकता पर केंद्रित एक परामर्श सत्र आयोजित किया गयाजिसके दौरान आईसीटीसी-दिल्ली राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी (एनएसीओ) के परामर्शदाता ने 30 सितंबर, 2025 को दोपहर 3:30 बजे छात्राओं के लिए एक जागरूकता व्याख्यान और प्रस्तुति दी। NACO के परामर्शदाता द्वारा संचालितछात्राओं में जागरूकता बढ़ाने के लिए यौन संचारित रोगों (एसटीडी) और एड्स की रोकथाम पर एक संयुक्त 'जागरूकता व्याख्यानऔर प्रदर्शन आयोजित किया गया। अंसारी स्वास्थ्य केंद्र के पैरामेडिकल कर्मियों ने कार्यक्रम में भाग लेने वाली महिलाओं में मधुमेह और उच्च रक्तचाप की जाँच की।

 

जामिया के समाज कार्य विभाग ने सुपरवाइज़री मीट 2025 का किया आयोजन

 

जामिया के समाज कार्य विभाग ने शिक्षा और व्यवहार के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिए सुपरवाइज़री मीट 2025 का किया आयोजन

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के सामाज कार्य विभागफील्डवर्क यूनिट ने 26 सितंबर, 2025 को छात्रोंशिक्षकों और सामाजिक क्षेत्र के संगठनों/ एनजीओ के बीच सार्थक संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपनी सुपरवाइज़री मीट का आयोजन किया। इस कार्यक्रम ने एनजीओ/ एजेंसियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करनेकरियर संबंधी जानकारी प्राप्त करने और समाज कार्य एवं सामाजिक क्षेत्र के उभरते रुझानों से जुड़ने का एक अमूल्य अवसर प्रदान किया। इस बैठक में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 35 से अधिक एनजीओ प्रतिनिधियों के 57 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

डॉ. रुबीना नुसरत (सह-निदेशकफील्डवर्क) प्रतिभागियों और संगठनों के प्रतिनिधियों से जुड़कर सुपरवाइज़री मीट का मंच तैयार करेंगी। कार्यक्रम की शुरुआत समाज कार्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. रवींद्र रमेश पाटिल के स्वागत भाषण से हुईजिन्होंने औपचारिक रूप से मुख्य अतिथिसामाजिक विज्ञान संकाय के डीनप्रो. मोहम्मद मुस्लिम खानएनजीओ प्रतिनिधियों और विभाग के संकाय सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने सुपरवाइज़री मीट की पृष्ठभूमि प्रस्तुत की और सामाजिक रूप से जिम्मेदार और नैतिक आधार पर पेशेवर सामाजिक कार्यकर्ताओं को तैयार करने के विभाग के मिशन पर प्रकाश डाला। एक फोटोग्राफिक हाइलाइट के माध्यम सेउन्होंने पिछले वर्षों के दौरान सहयोगी एनजीओ के साथ विभाग की उपलब्धियों और जुड़ाव पर विचार प्रस्तुत करते हुए छात्रों को मार्गदर्शन देने में उनकी निरंतर भूमिका के लिए एजेंसियों के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रो. मोहम्मद मुस्लिम खान ने छात्रों की शैक्षणिक और व्यावसायिक यात्रा में एजेंसी की साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला और जामिया मिल्लिया इस्लामिया की यात्रा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने छात्रों की व्यावहारिक शिक्षा और करियर विकास सुनिश्चित करने के लिए एजेंसियों के साथ मजबूत साझेदारी के महत्व पर जोर दिया।

सुपरवाइज़री मीट के सभी प्रतिभागियों द्वारा औपचारिक परिचय दिया गया। बैठक का एक प्रमुख आकर्षण "पैराडिग्म शिफ्ट फ्रॉम चैरिटी टू राइट बेस्ड एप्रोच" पर ओपन हाउस थाजिसका संचालन प्रो. उशविंदर कौर पोपली ने किया। एजेंसी के प्रतिनिधियों ने फील्डवर्क को मजबूत करनेसमाज कार्य पेशेवरों के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण कौशल और गतिशील सामाजिक क्षेत्र की जरूरतों के अनुकूल होने की रणनीतियों पर अपने दृष्टिकोण साझा किए। एनजीओ प्रतिनिधिमाधवी कोटवाल सैमसन (एबीएचएएस)सुश्री दिशा (कैलाश सत्यार्थी)और सुश्री अरुणा (एचएक्यू) ने शैक्षिक और लर्निंग के अधिकतमकरणमानसिक स्वास्थ्य और शैडो काउंसलिंगव्यवहार परिवर्तन संचार में विशेषज्ञता की बढ़ती मांगसामाजिक विकास में परियोजना प्रबंधन पर जोर दिया। डॉ. संजय (आश्रय अधिकार अभियान)कुसुम फारूकी (टीसीटीएफ)रानू कालराके.पी सिंह (नव सृष्टि)मासूम अख्तर (होप प्रोजेक्ट)राकेश सरकार (जामघाट) और रेणु (सीएएसपी) सहित अन्य प्रतिनिधियों ने प्रशिक्षुओं की नियुक्ति से पहले अभिविन्यास के महत्वउचित योजना और संगठन के प्रति प्रशिक्षुओं के योगदानसमुदाय में शामिल होने के अवसर प्रदान करने आदि के बारे में बात की।

कार्यक्रम का समापन फील्ड वर्क और प्लेसमेंट के सह-निदेशक डॉ. लालमिंगमावी गंगटे के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआजिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए संकाय सदस्योंछात्रोंएजेंसी भागीदारोंसहायक कर्मचारियों और डीन के योगदान को स्वीकार किया। एक हाई टी और नेटवर्किंग सत्र ने प्रतिभागियों को आमने-सामने चर्चा करनेविचारों का आदान-प्रदान करने और पेशेवर संबंधों को मजबूत करने का अवसर दिया। छात्रोंसंकाय सदस्यों और एजेंसियों को एक मंच पर लाकरइसने लर्निंग को बढ़ावा देने और ऐसे नेटवर्क बनाने का प्रयास किया जो अगली पीढ़ी के समाज कार्य पेशेवरों को सक्षमताअनुकूलनशीलता और सेवा भावना के साथ अपने करियर को आगे बढ़ाने में सहायता करेंगे।

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