Sunday, October 26, 2025

एएमयू में ड्रोन टेक्नोलॉजी के उभरते उपयोगों पर कार्यक्रम का आयोजन

 


by Dr. Haris Hasan Khan, Prof. Qazi Mazhar Ali with student during the Session on                                                Emerging Applications of Drone Technology

एएमयू में ड्रोन टेक्नोलॉजी के उभरते उपयोगों पर कार्यक्रम का आयोजन 


अलीगढ़, 25 अक्तूबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इंटरडिसिप्लिनरी विभागरिमोट सेंसिंग एंड जीआईएस एप्लीकेशन्स विभाग ने इमर्जिंग ऐपलीकेशंस आॅफ ड्रोन टेक्नालोजी विद फिजिकल डेमोंस्ट्रेशन” विषय पर एक ज्ञानवर्धक सत्र का आयोजन किया। यह कार्यक्रम इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईएसआरएस)अलीगढ़ चैप्टर के बैनर तले आयोजित किया गया।

सत्र का उद्घाटन करते हुए प्रो. अकरम जावेदसचिवआईएसआरएस अलीगढ़ चैप्टर ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम का परिचय कराया।

मुख्य वक्ता डॉ. हारिस हसन खानअध्यक्षरिमोट सेंसिंग एंड जीआईएस एप्लीकेशन्स विभाग ने मानवरहित हवाई यान (यूएवी) अथवा ड्रोन तकनीक की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह आधुनिक जियोस्पेशियल डेटा अधिग्रहणपर्यावरण निगरानीप्रिसिशन कृषिआपदा प्रबंधनशहरी नियोजन और अवसंरचना मूल्यांकन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है।

उन्होंने बताया कि किस प्रकार से ड्रोन तकनीक उच्च-रिजॉल्यूशन इमेजिंगत्वरित मानचित्रण तथा वास्तविक समय विश्लेषण के माध्यम से पृथ्वी अवलोकन और स्थानिक डेटा संग्रहण में नई दिशा प्रदान कर रही है।

डॉ. खान ने ड्रोन संचालन से जुड़े विनियामक पहलुओंसुरक्षा मानकों और रिमोट सेंसिंग व जीआईएस प्लेटफॉर्म्स के साथ डेटा एकीकरण पर भी चर्चा की। उन्होंने विद्यार्थियों को इस उभरते क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार के लिए प्रेरित किया।

सत्र के दौरान ड्रोन संचालन का लाइव डेमोंस्ट्रेशन भी प्रस्तुत किया गयाजिसमें उड़ान योजनाहवाई डेटा संग्रह और पोस्ट-प्रोसेसिंग की कार्यप्रणाली को प्रदर्शित किया गया। विद्यार्थियों और शिक्षकों ने मानचित्रणभू-आकृति मॉडलिंग और वनस्पति विश्लेषण में ड्रोन के व्यावहारिक उपयोग को प्रत्यक्ष रूप से देखा।

समापन भाषण में प्रो. काजी मजहर अलीअध्यक्षआईएसआरएस अलीगढ़ चैप्टर ने कहा कि जियोस्पेशियल साइंसेज में ड्रोन एक उभरती और परिवर्तनकारी तकनीक के रूप में तेजी से महत्व प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने विभाग द्वारा विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं में व्यावहारिक शिक्षण और तकनीकी जागरूकता को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की।

डॉ. रिजवान अहमद ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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