अपने अध्यक्षीय संबोधन में एएमयू की कुलपति प्रो. नइमा खातून ने महात्मा गांधी को दूरदर्शी नैतिक नेता बताया, जिन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सामाजिक न्याय की अलख जगाई। उन्होंने कहा कि गांधी एक निडर सत्याग्रही और सादगीपूर्ण तपस्वी थे जिनका जीवन अनुशासन, सहानुभूति और नैतिक दृढ़ता का उदाहरण है।
कुलपति ने कहा कि आज जब पूरी दुनिया पर्यावरणीय संकट, आर्थिक असमानता और विभाजनकारी राजनीति जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, तब गांधी के विचार हमें शांति और संवैधानिक मार्ग से समाधान खोजने की दिशा दिखाते हैं।
प्रो. खातून ने मौलाना आजाद लाइब्रेरी में गांधीजी से संबंधित दुर्लभ दस्तावेजों और तस्वीरों की विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। इसमें 1942 में एएमयू पूर्व छात्र अब्दुल बारी को लिखे गांधीजी के हस्तलिखित पत्र और 1937 में एएमयू छात्रसंघ सचिव को लिखा पत्र भी शामिल है। उन्होंने बताया कि गांधीजी का एएमयू से गहरा जुड़ाव रहा और 1920 में वे एएमयू छात्रसंघ के पहले मानद आजीवन सदस्य बने थे।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी आंदोलन ने एएमयू को भी प्रभावित किया था। स्वतंत्रता सेनानी हसरत मोहानी ने गांधी के आत्मनिर्भरता संदेश से प्रेरित होकर अलीगढ़ में खादी भंडार खोला था।
वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि गांधी की विरासत केवल औपचारिक स्मरण तक सीमित न रहे बल्कि इसे जीवन और शिक्षा संस्थानों की दिनचर्या में आत्मसात करना चाहिए। कुलपति ने कहा कि सच्ची शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार सृजन नहीं बल्कि चरित्र निर्माण, करुणा और जिज्ञासा का विकास है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय क्षरण और अनियंत्रित औद्योगिकीकरण पर गांधी की चेतावनियाँ आज के जलवायु संकट में और भी अधिक प्रासंगिक हैं। गांधी ने कहा था कि “पृथ्वी हमारी जरूरतों के लिए पर्याप्त है, लेकिन हमारी लालच के लिए नहीं।”
कुलपति ने एएमयू को “अंतरात्मा की प्रयोगशाला” बताते हुए शिक्षकों और विद्यार्थियों से विनम्रता, सहानुभूति और नैतिक मूल्यों के साथ नवाचार अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने एकता और स्वच्छता की शपथ भी दिलाई।
प्रदर्शों को देखते हुए सहकुलपति प्रो. मोहम्मद मोहसिन खान ने कहा कि यह संग्रह युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी द्वारा बताए गए सिद्धांतों पर विचार करने और उन्हें अपनाने के लिए सार्थक प्रेरणा प्रदान करता है।
राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. मिर्जा असमर बेग ने कहा कि गांधी के लिए स्वराज केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं बल्कि आंतरिक स्वतंत्रता और आध्यात्मिक अखंडता था। उन्होंने गांधी को भागीदारीपूर्ण लोकतंत्र, सतत विकास और समावेशी प्रगति का अग्रदूत बताया।
वीमेंस कालिज की डॉ. हुमैरा एम. आफरीदी ने गांधी के जीवन की आध्यात्मिक नींव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गांधी का लक्ष्य आत्मसाक्षात्कार और मोक्ष की प्राप्ति था, जिसके लिए उन्होंने भौतिक इच्छाओं का त्याग और नैतिक संयम का पालन किया।
एएमयू छात्रा जोहा उवैस और समीउल्लाह ने भी गांधीजी को करुणा, साहस और नैतिकता का प्रतीक बताते हुए उनके विचारों की प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. फायजा अब्बासी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय की लाइब्रेरियन प्रो. निशात फातिमा ने किया। इस अवसर पर सहकुलपति प्रो. मोहम्मद मोहसिन खान, रजिस्ट्रार प्रो. आसिम जफर, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. रफीउद्दीन, प्रॉक्टर प्रो. एम. वसीम अली, एमआईसी पीआरओ प्रो. विभा शर्मा, एमआईसी गेस्ट हाउस प्रो. ईसार रिजवी, वित्त अधिकारी श्री नूरुस सलाम, डिप्टी प्रॉक्टर प्रो. इफ्फत असगर, प्रिंसिपल वीमेन्स कॉलेज प्रो. मसूद अनवर अलवी, प्रो. तस्नीम सुहैल, प्रो. समीना खान, सीईसी समन्वयक प्रो. मोहम्मद नावेद खान, पूर्व विधायक श्री विवेक बंसल, शिक्षक, छात्र और आमंत्रित अतिथि मौजूद रहे।
दिन में पूर्वाह्न कुलपति ने गांधी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जो 3 अक्टूबर तक प्रातः 8 बजे से 11.30 बजे तक मौलाना आजाद लाइब्रेरी में आम जनों के लिए खुली रहेगी।
इसी बीच, स्वच्छ भारत दिवस पर ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत विश्वविद्यालय स्वास्थ्य कार्यालय के कर्मचारियों ने एएमयू परिसर के विभिन्न स्थलों पर स्वच्छता अभियान चलाया।
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