Friday, November 7, 2025

6th Asian Conference on Geography hosted by JMI

 

Union Minister of Science and Technology Dr. Jitendra Singh inaugurates the 6th Asian Conference on Geography hosted by the Department of Geography, Jamia Millia Islamia (JMI)

              


 
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कल जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के भूगोल विभाग द्वारा एशियाई भौगोलिक संघ (एजीए) के सहयोग से विश्वविद्यालय के अंसारी सभागार में आयोजित छठे एशियाई भूगोल सम्मेलन (एसीजी-
2025) का उद्घाटन किया। 6-8 नवंबर, 2025 तक चलने वाले इस तीन दिवसीय सम्मेलन का विषय क्लाइमेट चेंजअर्बनाइज़ेशन एंड सस्टेनबल रीसोर्स मैनेज्मेंट इन एशियन कंट्रीज़’ है। उल्लेखनीय है कि यह पहली बार है जब प्रतिष्ठित एशियाई भूगोल सम्मेलन भारत में आयोजित किया जा रहा हैजो जेएमआई और भूगोल विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतीक है।

 

इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डी. पी. सिंहजामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ और जेएमआई के रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रो. युजी मुरायामाउपाध्यक्षएशियाई भौगोलिक संघजापानप्रो. केंटा यामामोटोसचिवभौगोलिक विज्ञान संघजापानऔर सुश्री झुआनजी झांगसचिव और कोषाध्यक्षएशियाई भौगोलिक संघ सहित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विद्वानों की उपस्थिति भी रही। प्रो. सईद उद्दीनडीनप्राकृतिक विज्ञान संकायप्रो. अतीकुर रहमानआयोजन सचिव और प्रो. हारून सज्जादसह-आयोजन सचिवप्रो. लुबना सिद्दीकीकोषाध्यक्ष और भूगोल विभाग के सभी संकाय सदस्य और शोध छात्र उद्घाटन सत्र में उपस्थित थे। गणमान्य व्यक्तियों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया को इस ऐतिहासिक आयोजन की मेजबानी का अवसर प्रदान करने के लिए एशियाई भौगोलिक एसोसिएशन की कार्यकारी परिषद की सराहना की।

 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्घाटन भाषण मेंडॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें जामिया मिल्लिया इस्लामिया में उपस्थित होकर खुशी हो रही हैजब विश्वविद्यालय अपना 105वां स्थापना दिवस मना रहा हैजो एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन है। मंत्री महोदय ने कहा कि यह सम्मेलन समयानुकूल है क्योंकि यह जलवायु परिवर्तनशहरीकरण और संसाधन प्रबंधन जैसे गहन रूप से परस्पर जुड़े मुद्दों पर केंद्रित है- जो "समकालीनभविष्यवादी और वैश्विक चिंता" के विषय हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि एशिया और दक्षिण एशिया में 750 मिलियन से अधिक लोग गंभीर प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों के संपर्क में हैं और उन्होंने दिल्लीढाकाबैंकॉक और मनीला को 2050 तक दुनिया के सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील मेगासिटीज में शामिल किया। भारत में एसीजी के पहले संस्करण की मेजबानी के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया की सराहना करते हुएमंत्री ने कहा कि भारत आर्थिक विकास को पर्यावरणीय स्थिरता के साथ जोड़ने में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा हैजो माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण और "अंतःविषय वातावरण" बनाने के प्रयासों से निर्देशित है। उन्होंने स्थिरता के लिए भारत के नीतिगत ढांचे को रेखांकित कियाजिसमें जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी)राज्य कार्य योजनाएंस्मार्ट सिटीज मिशनएएमआरयूटी और स्वच्छ भारत मिशन शामिल हैं "जब तक कोई सामाजिक आंदोलन नहीं होगातब तक कोई भी नीति या सेमिनार इष्टतम परिणाम नहीं देगा," और जागरूकता पैदा करने और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया और वीडियो रील जैसी छोटी डिजिटल सामग्री के उपयोग की सलाह दीक्योंकि जलवायु केवल विद्वानोंवैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के लिए ही नहींबल्कि सभी के लिए चिंता का विषय है।

 

जामिया के कुलपति प्रो. आसिफ ने सम्मेलन को नोट ओनली रेलिवेंट बट प्रोफाउंड्ली ट्रॅनस्फर्मॅटिव बताते हुए अभूतपूर्व शहरीकरणकार्बन और अन्य विषैले जीवाश्म ईंधनों के उत्सर्जनपेड़ों की कटाई और वनों की कटाई के प्रति आगाह किया। उन्होंने "प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर रहने और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपभोग और दुरुपयोग को रोकने" की आवश्यकता पर बल दिया। 

 

जेएमआई के रजिस्ट्रार प्रोफेसर रिज़वी ने अपने संबोधन में सतत संसाधन प्रबंधनप्लास्टिक के उपयोग में कमी और हरित ऊर्जा पर अधिक निर्भरता तथा इलेक्ट्रॉनिक वाहनों (ईवी) की ओर रुख करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह गर्व की बात है कि जेएमआई को एनआईआरएफ 2025 में एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) श्रेणी में तीसरा स्थान मिला हैजो परिसर में स्थायी प्रथाओं को प्रोत्साहित करने के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और इस हद तक जेएमआई को संयुक्त राष्ट्र-एसडीजी के कार्यान्वयन में एक मॉडल बनने की उम्मीद है। 

 

प्रोफ़ेसर युजी मुरायामा ने कहा कि जेएमआई में एसीजी-2025 "सिर्फ़ एक सम्मेलन ही नहींबल्कि दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले महाद्वीपों में से एकएशियाजो संवेदनशीलता का केंद्र और लचीलेपन की जीवंत प्रयोगशाला हैकी रोज़मर्रा की वास्तविकता को दर्शाता है।" प्रोफ़ेसर केंटा यामामोटो ने कहा कि सम्मेलनएजीए और एजीसी-2025 "संस्कृतियों पर वैश्विक दृष्टिकोण रखते हुए स्थानीय ज्ञान का सम्मान करते हैं"। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सम्मेलन का विषय "एशिया के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण" है।

 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. डी. पी. सिंह ने जामिया के कुलपति प्रो. आसिफ़ को उनके नेतृत्व और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रारूपण एवं निगरानी समिति के सदस्य के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए बधाई देते हुए कहा कि भूमिजल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर अभूतपूर्व दबाव हैजिसके कारण भीषण गर्मीसूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ आ रही हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि एशिया सौर और पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग और संवर्धन की दिशा में बड़े कदम उठाए। प्रो. सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन सभी 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से सीधे जुड़ा हुआ है और इनके परस्पर संबंध के पुख्ता प्रमाण हैं। प्रो. डी. पी. सिंह ने कहा कि एशियाई देशों को टिकाऊ शहरी नियोजनहरित ऊर्जा पद्धतियों को अपनाना चाहिएस्मार्ट शहरों का निर्माण करना चाहिए और अन्य पर्यावरण-अनुकूल पद्धतियों को अपनाना चाहिए।

 

एसीजी-2025 सोलह महत्वपूर्ण उप-विषयों पर केंद्रित हैजो जलवायु परिवर्तन और भेद्यता मूल्यांकनशहरी चुनौतियां और प्रबंधनजलग्रहण और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधनपेरी-शहरी और पर्यावरणीय स्थिरतानिर्मित पर्यावरण और शहरी ताप द्वीपों के प्रभाववैश्विक और क्षेत्रीय पर्यावरणीय परिवर्तनजैव विविधताचरम मौसम की घटनाएं और आपदा न्यूनीकरणसंसाधन स्थिरताप्रकृति-आधारित समाधान और एसडीजीनिर्मित पर्यावरण में स्वास्थ्य और कल्याणटिकाऊ कृषि और खाद्य प्रणालियांशहरी स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याणआपदा जोखिम न्यूनीकरण और लचीलापन में नवाचारपारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं और टिकाऊ भूमि उपयोग योजनाजलवायु परिवर्तन अनुकूलन और टिकाऊ समाजजल-ऊर्जा-खाद्य संबंध के माध्यम से एकीकृत संसाधन प्रबंधनऔर जलवायु परिवर्तन और संसाधन प्रबंधन के लिए भू-स्थानिक तकनीकों का अनुप्रयोग सहित वैश्विक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

 

सम्मेलन को ज़बरदस्त प्रतिक्रिया मिली हैजिसमें 53 विदेशी प्रतिनिधियों और 356 भारतीय प्रतिनिधियों सहित कुल 409 पंजीकृत प्रतिभागी शामिल हुए हैं। लगभग 375 प्रतिभागी व्यक्तिगत रूप से इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैंऔर 26 पोस्टर प्रस्तुतियाँ निर्धारित की गई हैं। यह सम्मेलन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), दिल्ली विश्वविद्यालयअलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), एमिटी विश्वविद्यालयइलाहाबाद विश्वविद्यालयप्रेसीडेंसी विश्वविद्यालयकलकत्ता विश्वविद्यालयजादवपुर विश्वविद्यालयपंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालयलखनऊ विश्वविद्यालयवनस्थली विद्यापीठकलिंग विश्वविद्यालयराजस्थान विश्वविद्यालयपटना विश्वविद्यालयमहाराणा प्रताप विश्वविद्यालय (MSU) उदयपुरपंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़दून विश्वविद्यालयमुंबई विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय सहित भारत भर के विभिन्न संस्थानों के शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को एक साथ लाया है। दक्षिणी और पूर्वी भारत से भागीदारी में तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालयकर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालयमद्रास विश्वविद्यालयमणिपुर विश्वविद्यालयनागालैंड विश्वविद्यालयत्रिपुरा विश्वविद्यालयमेघालय विश्वविद्यालयबोडोलैंड विश्वविद्यालयकॉटन विश्वविद्यालय (असम)राजीव गांधी विश्वविद्यालय (अरुणाचल प्रदेश)और उत्तर पूर्वी हिल विश्वविद्यालय (एनईएचयू)शिलांग के प्रतिनिधि शामिल हैं। प्रीमियर तकनीकी और शोध संस्थान जैसे कि बिट्स गोवाआईआईपीएस मुंबईटीआईएसएस मुंबईएनआईटी राउरकेलाआईआईआईटी इलाहाबादआईआईटी पटना और आईआईटी बॉम्बे भी सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैंजो सम्मेलन के अंतःविषय दायरे को दर्शाता है। जापानचीनमलेशियाथाईलैंडयूनाइटेड किंगडमदक्षिण कोरियाश्रीलंकारूस और सऊदी अरब के विदेशी प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैंजिससे यह वास्तव में एक वैश्विक शैक्षणिक सम्मेलन बन गया है। सम्मेलन के दौरान36 समानांतर सत्र और 20 प्रमुख व्याख्यान सत्र आयोजित किए जाएँगेजो शोध प्रसारनीतिगत चर्चा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक संवादात्मक मंच प्रदान करेंगे।

 

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