Sunday, November 9, 2025

International Seminar on “Religion, Social Justice and equlity


Padma Shri Prof. Akhtarul Wasey, Prof. Abdul Aleem, Prof. Abdur Rahim Kidwai, Prof. Abdul Hamid Fazili and Dr. Bilal Ahmad Kutty releasing the book during the International Seminar on “Religion, Social Justice and equlity

एएमयू में धर्मसामाजिक न्याय और वैश्विक असमानता” पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

         विश्वविद्यालय के इस्लामिक स्टडीज विभाग ने दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी धर्मसामाजिक न्याय और वैश्विक दुनिया में असमानता” का आयोजन किया। इसमें भारत और विदेशों से लगभग 90 विद्वानों ने भाग लिया और धर्म की भूमिका पर गहन चर्चा की कि कैसे यह समानतानैतिकता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा दे सकता है।

मुख्य अतिथि प्रो. अब्दुल अलीम ने अपने उद्घाटन भाषण में वैश्विक असमानता और अन्याय से निपटने के लिए धार्मिक शिक्षाओं में निहित नैतिक और सामाजिक सिद्धांतों की पुनः समीक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि धर्म न केवल व्यक्तिगत नैतिकता का पोषण करता हैबल्कि सामाजिक न्यायमानव गरिमा और सामूहिक कल्याण के लिए मजबूत आधार भी प्रदान करता है।

विशिष्ट अतिथि प्रो. अब्दुर रहीम किदवई ने समानता के सिद्धांतों को उजागर किया और बताया कि धर्म का सार चरित्र निर्माण और संतुलित तथा करुणामय सामाजिक व्यवस्था स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि कुरआन और सुन्नत का पालन नैतिक स्पष्टता सुनिश्चित करता है और धर्म से भटकाव से बचाता है।

मुख्य भाषण देते हुए पद्म श्री प्रो. अख्तरुल वासे ने कहा कि सभी धर्म मूलतः शांतिमानवता और न्याय को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में सामाजिक विभाजन बढ़ रहे हैंलेकिन धर्म की एकजुट करने वाली शक्ति करुणा और नैतिक आचरण के लिए मार्गदर्शक बनी हुई है। प्रो. वसी ने धर्म को एकता के साधन और विचारधाराओं से होने वाले दुरुपयोग के बीच अंतर स्पष्ट किया और धर्मों के बीच रीन्यूड संवाद और समझदारी की आवश्यकता पर जोर दिया।

विभागाध्यक्ष प्रो. अब्दुल हामिद फाजली ने स्वागत भाषण में कहा कि संगोष्ठी का उद्देश्य धर्म के न्याय और समरसता के मूल संदेश को पुनः स्थापित करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. बिलाल अहमद कुट्टी ने संगोष्ठी का अवलोकन प्रस्तुत करके कीजिसमें लगभग 90 विद्वानों ने धर्म और सामाजिक न्याय के विभिन्न पहलुओं पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस अवसर पर डॉ. मोहम्मद परवेजडॉ. दरख्ंशाडॉ. अंबरिन और डॉ. मुरसलीन की पुस्तकें भी अतिथियों द्वारा जारी की गईं।

संगोष्ठी का समापन डॉ. निगहत राशिद द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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