Monday, August 18, 2025

स्वतंत्रता दिवस पर एएमयू में मुशायरा

 


Prof Siraj Ajmali reciting his poetry at Independence Day Mushaira. Prof. Naima Khatoon, Prof. Mohsin Khan, Prof. Qamrul Huda Faridi and others on the Dais

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर एएमयू में पारंपरिक मुशायरा आयोजितस्वतंत्रता दिवस समारोह के अंतर्गत अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की मुशायरा समिति के तत्वावधान में 14 अगस्त की शाम विश्वविद्यालय पॉलिटेक्निक के असेंबली हॉल में एक पारंपरिक मुशायरे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने की, जबकि प्रो-वाईस-चांसलर प्रोफेसर एम. मोहसिन खान मानद अतिथि के रूप में शामिल हुए।

यह पारंपरिक मुशायरा आज़ादी के प्रति आस्था से प्रेरित और नए भारत के निर्माण में हर भारतीय के योगदान के संकल्प पर आधारित एक देशभक्ति संदेश के साथ आयोजित किया गया।

अपने संदेश में प्रोफेसर नईमा खातून ने कहा कि आज़ादी दुनिया की सबसे बड़ी नेमत (अनमोल वरदान) है। यह केवल शरीर की आज़ादी नहीं, बल्कि आत्मा और विचारों की आज़ादी भी है, और हम सौभाग्यशाली हैं कि आज हमें दोनों स्तरों पर स्वतंत्रता प्राप्त है। उन्होंने सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए कहा कि आज़ादी का सही अर्थ है कि हम अपने ज्ञान के माध्यम से देश और राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में योगदान दें।

स्वागत भाषण में उर्दू विभाग के अध्यक्ष एवं मुशायरा समिति के संयोजक प्रो. कमरुल हुदा फरीदी ने कहा कि देश की आज़ादी लंबी, संघर्षपूर्ण और कठिन यात्रा के बाद मिली है, और इसका एहसास होना अपने आप में एक नेमत है। इसी एहसास को ज़िंदा रखने के लिए हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और इसी कारण हर साल स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर यह मुशायरा आयोजित किया जाता है। उन्होंने बताया कि एएमयू में स्वतंत्रता दिवस के समारोहों की शुरुआत इसी कार्यक्रम से होती है।

प्रो. फरीदी ने कुलपति, मानद अतिथि प्रो-वाईस-चांसलर, डीन, फैकल्टी ऑफ आर्ट्स प्रो. टी.एन. सतीशन, रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद इमरान, प्रॉक्टर प्रो. मोहम्मद वसीम अली, वरिष्ठ शिक्षकों, डीन, प्रोवोस्ट और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया।

परंपरा के अनुसार, मुशायरे की शुरुआत बी.ए. प्रथम वर्ष के एक छात्र की ग़ज़ल से हुई। इसके बाद बाहर से आमंत्रित कवियों में प्रो. शहपर रसूल, फरहत एहसास, सलमा शाहीन और शफ़क सूपोरी ने अपना कलाम पेश किया। स्थानीय कवियों और विभाग के शिक्षकों में मेहताब हैदर नक़वी, ग़ज़नफ़र, सैयद सिराजुद्दीन अजमली, आलम खुरशीद, सरवर साजिद, मुईद राशीदी, मुश्ताक़ सदफ़, सरफ़राज़ खालिद, आरिफ़ हसन, नासिर शकेब, राहत हसन, अशहर क़दीर, निज़ाम निज़ामी, साइन अलीग, फरहीन शकील सहर, मुमताज़ इक़बाल, अहमर नदीम और मोहम्मद अफ़ज़ल ख़ान ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।

कार्यक्रम का संचालन मुशायरा समिति के वरिष्ठ सदस्य प्रोफेसर सैयद सिराजुद्दीन अजमली ने किया।

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