Thursday, June 15, 2023

APNI KHUSHIAN APNE PARENTS, WIFE, CHILDREN AUR KHANDAN KE SAB LOGON MEIN BANTO

*🫀बांटने का सुख🫀*

पूरे चार महीने बाद वो शहर से कमाकर गाँव लौटा था। अम्मा उसे देखते ही चहकी...

आ गया मेरा लाल! कितना दुबला हो गया है रे ! खाली पैसे बचाने के चक्कर में ढंग से खाता-पीता भी नहीं क्या!"

बारह घंटे की ड्यूटी है अम्मा] बैठकर थोड़े खाना है ! ये लो] तुम्हारी मनपसंद मिठाई !"--कहकर उसने मिठाई का डिब्बा माँ को थमा दी!

कितने की है \

साढ़े तीन सौ की !"

इस पैसे का फल नहीं खा सकता था! अब तो अंगूर का सीजन भी आ गया है !"--अम्मा ने उलाहना दिया।

पूरा दिन गाँव-घर से मिलने में बीत गया था! रात हुई, एकांत में उसने बैग खोलकर एक पैकेट निकाला और पत्नी की ओर बढ़ा दिया--

क्या है ये \

चॉकलेट का डिब्बा] खास तुम्हारे लिए !"

केवल मेरे लिए ही क्यों \"

अरे समझा करो। सबके लिए तो मिठाई लायी ही है !"

कितने का है \

आठ सौ का !"

हांय !!"

विदेशी ब्रांड है !"

तो क्या हुआ \"

तुम नहीं समझोगी ! खाना] तब बताना !"

पर घर में और लोग भी हैं। अम्मा] बाबूजी] तीन तीन भौजाइयां] भतीजे। सब खा लेते तो क्या हर्ज था!"

अरे पगली] बस चार पीस ही है इसमें] सबके लिए कहाँ से लाता !"

तो तोड़कर खा लेते !"

और तुम !"

बहुत मानते हैं मुझे

ये भी कोई कहने की चीज है !"

आह! कितनी भाग्यशाली हूँ मैं जो तुम मुझे मिले !"

उसकी आँखें चमक उठी--"मेरे जैसा पति बहुत भाग्य से मिलता है!"

सच है! लेकिन पता है]ये सौभाग्य मुझे किसने दिया है\ किसने             \                    \      ]

तुम्हारी अम्मा और बाबूजी ने ! उन्होंने ही तुम्हारे जैसा हट्टा-कट्टा] सुंदर और प्यार करने वाला पति मुझे दिया है ! सोचो] तुम्हारे जन्म पर खुशी मनाने के लिए मैं नहीं थी] एक अबोध शिशु से जवान बनने तक] पढ़ाने-लिखाने और नौकरी लायक बनाने तक मैं नहीं थी। मैं तुम्हारे जीवन में आऊं]  इस लायक भी उन्होंने ही तुम्हें बनाया!"

"तुम आखिर कहना क्या चाहती हो ?"

"यही कि ये पैकेट अब सुबह ही खुलेगा! एक माँ है, जो साढ़े तीन सौ की मिठाई पर भी इसलिए गुस्सा होती है कि उसके बेटे ने उन पैसों को अपने ऊपर खर्च नहीं किया! और वो बेटा आठ सौ का चॉकलेट चुपके से अपनी बीवी को दे, ये ठीक लग रहा है तुम्हें     

वो चुप हो गया! पत्नी ने बोलना जारी रखा...

"अम्मा-बाबूजी और लोग गाँव में रहते हैं! तुम ही एकमात्र शहरी हो। बहुत सारी चीजें ऐसी होंगी, जो उन्हें इस जनम में नसीब तो क्या, उनका नाम भी सुनने को नहीं मिलेगा! भगवान ने तुम्हें ये सौभाग्य दिया है कि तुम उन्हें ऐसी अनसुनी-अनदेखी खुशियां दो! वैसे कल को हमारे भी बेटे होंगे! अगर यही सब वे करेंगे तो.......!"

अचानक उसे झटका लगा। चॉकलेट का डिब्बा वापस बैग में रख वो बिस्तर पर करवट बदल सुबकने लगा!

"क्या हुआ? बुरा लगा सुनकर!"

"..............!"

"मर्दों को रोना शोभा नहीं देता! खुद की खुशियों को पहचानना सीखो! जीवन का असल सुख परिजनों को खुश देखने में है! समझे पिया!"

Pavitra Vichar 😍


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