Prof Naima Khatoon inaugurating the DBT–NIDAN Kendra in presence Prof Seema Kapoor Prof Tamkin Khan, Prof Mohd Khalid, Prof Amjad Ali Rizvi and Prof Zeeba Zaka-Ur-Rab at JN Medical College
एएमयू कुलपति द्वारा जेएनएमसी में डीबीटी निदान केंद्र का उद्घाटन किया
अलीगढ़, 26 नवम्बरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नइमा खातून ने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में डीबीटी निदान केंद्र का उद्घाटन किया और इसके साथ ही दुर्लभ रोगजागरूकता अभियान की भी शुरुआत की। यह आयोजन कंटीन्युइंग मेडिकल एजुकेशन (सीएमई) कार्यक्रम के दौरान हुआ, जिसे बाल रोग विभाग और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने संयुक्त रूप से आयोजित किया। भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी) के सहयोग से आयोजित इस पहल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जेनेटिक डायग्नोस्टिक्स और मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति माना जा रहा है।
प्रोग्राम की आयोजन अध्यक्ष प्रोफेसर तमकीन खान (प्रसूति एवं स्त्री रोग) और प्रोफेसर जेबा जका-उर-रब (बाल रोग) ने शिक्षकों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया। अपने संबोधन में कुलपति प्रोफेसर नइमा खातून ने निदान केंद्र की स्थापना को शोध आधारित चिकित्सकीय सेवाओं, सामुदायिक पहुँच और दुर्लभ रोगों के शुरुआती पता लगाने की दिशा में बड़ा कदम बताया। उन्होंने सहकुलपति प्रोफेसर मोहम्मद मोहसिन खान के उस सहयोग का विशेष उल्लेख किया, जिसके कारण महत्वपूर्ण लैब उपकरण समय पर प्राप्त हो सके।
कार्यक्रम में मानद् अतिथि ॉनर प्रोफेसर सीमा कपूर (डायरेक्टर, मेडिकल जेनेटिक्स विभाग, एमएएमसी) सहित प्रमुख विशेषज्ञ, प्रोफेसर मधुलिका काबरा (साइंटिस्ट एमेरिटस, आईसीएमआर) और प्रोफेसर कौशिक मंडल (एसजीपीजीआई) ने भाग लिया। क्षेत्र के चिकित्सक, शिक्षक और प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
डीबीटी के 2.12 करोड़ रुपये के अनुदान से स्थापित डीबीटी उम्मीद निदान केंद्र में कई विशेष सेवाएँ उपलब्ध की गई हैं, गर्भवती महिलाओं के लिए थैलेसीमिया जांच, जन्मजात विकृतियों की स्क्रीनिंग, नवजात शिशुओं की पाँच रोगों के लिए प्रारंभिक स्क्रीनिंग, जेनिटिक टेस्टिंग और काउंसलिंग। यह सभी सेवाएँ क्षेत्र में पहली बार उपलब्ध हुई हैं और पूर्णतः निशुल्क हैं। केंद्र सभी कार्य दिवसों में सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक संचालित होता है।
परियोजना समन्वयक और पीआई प्रोफेसर तमकीन खान के नेतृत्व में एक बहु-विषयक टीम काम कर रही है, जिसमें डॉ आयशा अहमद और डॉ गुलनाज नादरी (बाल रोग), प्रोफेसर हामिद अशरफ (एंडोक्राइनोलॉजी), डॉ मेहदी हयात शाही (आईबीआरसी), प्रोफेसर अफजल (जूलॉजी) और डॉ अहमद फराज (फिजियोलॉजी) शामिल हैं। परियोजना में सहयोग के लिए प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर जहरा मोहसिन का भी आभार व्यक्त किया गया।
उन्नत तकनीकों और व्यापक सुविधाओं के साथ डीबीटी निदान केंद्र जल्द ही जेनिटिक रोगों के लिए क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित होने की दिशा में अग्रसर है, जो रेयर डिजीज की पहचान, देखभाल और जन-जागरूकता को मजबूत करेगा।
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