Saturday, November 1, 2025

सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन

 


National Unity Day at Business Administration

National Unity Day : S N HALL ALIGARH MUSLIM UNJIVERSITY

एएमयू में राष्ट्रीय एकता दिवस और फिट इंडिया गतिविधियाँ मनाई गईं

 मुस्लिम विश्वविद्यालय में आज सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय एकता दिवस उत्साह और देशभक्ति की भावना के साथ मनाया गया। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागोंकेंद्रोंकार्यालयों और छात्रावासों में एक भारत श्रेष्ठ भारत तथा फिट इंडिया मिशन के अंतर्गत शपथ ग्रहण समारोहफिटनेस रन और स्वच्छता अभियान आयोजित किए गए।

कला संकाय में राष्ट्रीय एकता दिवस पर डीन प्रो. टी. एन. सथीसन ने विश्वविद्यालय समुदाय को सरदार पटेल की भारत की एकता में अतुलनीय भूमिका की याद दिलाई। कृषि विज्ञान संकाय में डीन प्रो. आर. यू. खान के नेतृत्व में शपथ समारोह आयोजित किया गयाजिसमें अध्यापककर्मचारी और छात्र उत्साहपूर्वक शामिल हुए।

व्यवसाय प्रशासन विभाग में प्रो. आसिफ खान (डीन एवं अध्यक्ष) के निर्देशन में शपथ ग्रहण कार्यक्रम सेमिनार हॉल के बाहर आयोजित किया गया। वहीं भाषाविज्ञान विभाग में अध्यक्ष मसूद अली बेग के नेतृत्व में आईसीटी लैब में शपथ दिलाई गई।

कृषि सूक्ष्मजीवविज्ञान विभाग में अध्यक्ष प्रो. इकबाल अहमद ने शिक्षकोंशोधार्थियों और स्नातकोत्तर छात्रों के साथ एकता की शपथ ली। वाणिज्य विभाग ने फिट इंडिया फ्रीडम रन 2025 का आयोजन कियाजिसका संयोजन डा. नगमा अजहर और प्रो. इरफान अहमद ने किया। इस अवसर पर डीन एवं अध्यक्ष प्रो. आसिफ खान भी उपस्थित रहे। संस्कृत विभाग में अध्यक्ष प्रो. सारिका वाष्र्णेय ने प्रतिभागियों को संबोधित किया और शपथ दिलाई।

दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र में डा. वाजिद आर. खान के नेतृत्व में शपथ ग्रहण समारोह हुआ। सेंट्रल ऑटोमोबाइल वर्कशॉप और परिवहन कार्यालय में फोजैलुद्दीन तारिकअधीक्षक के पर्यवेक्षण में कार्यक्रम आयोजित हुआ।

विश्वविद्यालय के विभिन्न छात्रावासों में भी इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। जियाउद्दीन हॉल में प्रोवोस्ट डा. इफ्तेखार अहमद अंसारीवार्डनकर्मचारी और छात्रावास निवासियों ने राष्ट्रीय एकता की शपथ ली। बेगम सुल्तानजहाँ हॉल में प्रोवोस्ट प्रो. सायरा मेहनाज के नेतृत्व में कार्यक्रम हुआ। सर सैयद हॉल (दक्षिण) में फिट इंडिया स्वच्छता फ्रीडम रन आयोजित की गई जिसमें प्रोवोस्टवार्डनकर्मचारी और छात्र शामिल हुए। सरोजिनी नायडू हॉल में प्रोवोस्ट प्रो. उरूस इलयास के निर्देशन में रैलीस्वच्छता अभियान और फिटनेस रन आयोजित किए गए।

वी. एम. हॉल में कार्यवाहक प्रोवोस्ट डा. फैजान अहमद ने सभी कर्मचारियों को राष्ट्रीय एकता प्रतिज्ञा दिलाई।

एएमयू सेंटर मल्लापुरम में राष्ट्रीय सेवा योजनास्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति तथा खेल एवं फिटनेस समिति द्वारा संयुक्त रूप से रन फॉर यूनिटी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व निदेशक प्रो. एम. शाहुल हामिद ने किया। स्वागत भाषण डा. रघुल वी. राजन ने दियाशपथ डा. नजमुद्दीन टी. ने दिलाई और धन्यवाद ज्ञापन डा. मुहम्मद हारिस सी. ने प्रस्तुत किया।

जनसंपर्क कार्यालय में सदस्य प्रभारी प्रो. विभा शर्मा ने कर्मचारियों को एकता की शपथ दिलाई और सभी से देश की एकता और अखंडता को सशक्त बनाने का आह्वान किया।

विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागोंकेंद्रों और छात्रावासों में शिक्षकोंकर्मचारियों और छात्रों ने एकजुट होकर देश की एकताफिटनेसस्वच्छता और राष्ट्रनिर्माण के संकल्प को दोहराया।

केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 105वें स्थापना दिवस

 


     केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 105वें स्थापना दिवस समारोह और                                           भव्य छह दिवसीय 'तालीमी मेलाका किया उद्घाटन


जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) ने आज विश्वविद्यालय के एम.ए. अंसारी सभागार में आयोजित एक भव्य उद्घाटन समारोह के साथ अपने 105वें स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत की। इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कियाजोकि जेएमआई के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़, रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी और छात्र कल्याण डीन प्रो. नीलोफर अफ़ज़ल की उपस्थिति में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

समारोह की शुरुआत माननीय मंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर देकर की गईजिसके बाद पवित्र कुरान की एक आयत का पाठ किया गया और फिर जामिया स्कूल के छात्रों द्वारा 'जामिया तरानाका भावपूर्ण गायन हुआ। खचाखच भरे अंसारी सभागार मेंइस महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण अवसर के अनुरूप संस्थान की समृद्ध विरासत की भावना से गूंजते हुएएक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उद्घाटन के साथ ही छह दिवसीय शैक्षिक और सांस्कृतिक मेलेजामिया के प्रतिष्ठित 'तालिमी मेलेका भी शुभारंभ हुआजो इस वर्ष एक दशक से भी अधिक समय से अभूतपूर्व भव्यता के साथ लौटा है।

उद्घाटन समारोह का एक प्रमुख आकर्षण जामिया के फ्लैगशिप न्यूज़लेटर ‘जौहर’ के विशेष अंक का विमोचन था। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 की अवधि को कवर करने वाला यह विशेष अंक आठ वर्षों के अंतराल के बाद फिर से प्रकाशित किया गया है। इसके बाद मंत्री महोदय द्वारा जामिया की विशाल वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया।

अपने संबोधन मेंकेंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू जी ने जामिया के संस्थापकोंमौलाना मोहम्मद अली जौहरडॉ. एम. ए. अंसारीडॉ. मुहम्मद मुजीब आदि को श्रद्धांजलि अर्पित की और इसके निर्माण के प्रारंभिक वर्षों में महात्मा गांधीरवींद्रनाथ टैगोरसरोजिनी नायडू और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के अभूतपूर्व योगदान को याद किया। इस महान संस्थान जामिया की अकादमिक उत्कृष्टता से प्रभावित होने की बात कहते हुएजोकि अपने 11 संकायों, 48 विभागों और 28 उत्कृष्टता एवं अनुसंधान केंद्रों के अंतर्गत पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत सूची प्रस्तुत करता है और जिसने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत ऊँची रैंकिंग हासिल की हैश्री रिजिजू ने कहा, "जेएमआई अपनी अकादमिक दक्षता और अनूठी सांस्कृतिक समृद्धि में बेजोड़ है और मेरे दिल में खास जगह है जामिया के लिए।"

भारत जैसे विशाल संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली- जिसमें विभिन्न क्षेत्रोंविचारधाराओं और समुदायों से संबंधित निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैंजिससे मुद्दों पर गरमागरम और लंबी बहस होती हैउसके बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा "जेएमआई भारत की समग्र संस्कृति का सबसे बड़ा उदाहरण है और 'अनेकता में एकताके दर्शन का प्रतीक है और यह ऐसा विश्वविद्यालय होना चाहिए जो पूरे देश को एकताराष्ट्रवाद और भाईचारे का सबसे शक्तिशाली संदेश देता हो और देता रहा है।"

जामिया की राष्ट्रवाद और देशभक्ति की अटूट और बेदाग भावनादेश और शिक्षा के प्रति सेवानिष्ठा और प्रतिबद्धता की विरासत की प्रशंसा करते हुएश्री रिजिजू जी ने कहा, "जामिया का नाम अत्यधिक सम्मान और गौरव का प्रतीक है और इसे हमेशा उच्च सम्मान दिया जाता है।" उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा अधिसूचित 6 अल्पसंख्यक समुदायोंअर्थात् मुस्लिमजैनबौद्धसिखईसाई और पारसीमें मुसलमानों की संख्या सबसे अधिक है और सरकार उनमें से प्रत्येक के बारे में चिंतित है और उनके कल्याण के लिए कार्य करती है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रूप में श्री रिजिजू ने कहा कि वह और उनका मंत्रालय जामिया को पूर्ण समर्थन प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि अंसारी सभागारजहाँ उद्घाटन समारोह हो रहा थाजामिया के कद और भव्यता को ध्यान में रखते हुए बड़ा होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय बैठने की अधिक क्षमता वाला एक सभागार स्थापित करने में जामिया को सहयोग देगा। उर्दू को विश्व की सबसे खूबसूरत भाषा बताते हुए श्री रिजिजू ने कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर जामिया का दौरा करने और विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक समृद्धि तथा माहौल में डूबने के बादजिसका भाव जामिया तराना में समृद्ध उर्दू शब्दों से मिलता हैउनकी नज़र में विश्वविद्यालय का सम्मान कई गुना बढ़ गया है।

जामिया द्वारा पिछली एक सदी में की गई प्रगति की सराहना करते हुएश्री रिजिजू जी ने कहा कि 155 देशों का दौरा करने के बाद, "मैं कह सकता हूँ कि भारत का भविष्य सुरक्षित है क्योंकि इसका संविधान दुनिया के सबसे बेहतरीनसबसे लंबे और सबसे सुदृढ संविधानों में से एक है। जहाँ कई देशों ने राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता और विफलता देखी हैवहीं भारत ने हाल के दिनों में अभूतपूर्व विकास और प्रगति देखी है।" उन्होंने उपस्थित सम्मानित जनसमूह को याद दिलाते हुए कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मिशन और विज़न "विकसित भारत 2047" को पूरा करने के लिए हमारे पास केवल 22 वर्ष शेष हैंकहा- "जिस गति से देश प्रगति कर रहा हैउससे हम इसे और तेज़ी से प्राप्त कर पाएँगे। जहाँ पहले भारत की विकास दर 2-3% की धीमी थी और दुनिया तेज़ी से आगे बढ़ रही थीवहीं आज हम उस प्रवृत्ति को उलटते हुए देख रहे हैं क्योंकि दुनिया की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएँ 2-3% की विकास दर पर आ गई हैंजबकि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत 7% की उच्च विकास दर दर्ज कर रहा है।"

अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करने के लिए कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ ने अपने संबोधन में माननीय मंत्री जी का हार्दिक आभार व्यक्त किया। मंत्री जी का स्वागत करते हुएप्रो. आसिफ़ ने हृदयस्पर्शी दोहे सुनाए और जामिया के संस्थापकों के विज़न और मिशन की प्रशंसा की और देश में शिक्षा के इस ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण केंद्र के निर्माण के प्रति जामिया के सभी पूर्व कुलपति के जुनून और प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि कुलपति के रूप में उनके एक साल पूरा होने का अवसर इस ऐतिहासिक तालीमी मेले के साथ जुड़ता है। उन्होंने सभी से मिले सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और विश्वविद्यालय की न केवल अकादमिक उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि कीबल्कि समग्र शिक्षा के माध्यम से ऐसे छात्रों का निर्माण करने की भी प्रतिबद्धता जताई जो जामिया मिल्लिया इस्लामिया की भावना को मूर्त रूप देते हैं। यह शिक्षा ज्ञान और सूचना प्रदान करने से कहीं आगे जाकर विचारों और अवधारणाओं के साथ आत्मचिंतन और दार्शनिक जुड़ाव पर केंद्रित है। प्रोफेसर आसिफ ने कहा कि यह इस ऐतिहासिक संस्थान के संस्थापकों की महान दूरदृष्टि थी और तालीमी मेला 2025 जामिया मिल्लिया इस्लामिया की राष्ट्रीय सेवाआधुनिकता के साथ परंपरा का एकीकरणमहिला सशक्तिकरणउद्देश्य की निष्ठा और ईमानदारी तथा ज्ञान की उत्साही खोज के अपने संस्थापकों के आदर्शों के प्रति स्थायी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

"105वां स्थापना दिवस एक मील का पत्थर है जो हमारे अतीत का सम्मान करता है और हमें एक उज्जवल भविष्य के लिए प्रेरित करता है। जामिया सिर्फ़ एक विश्वविद्यालय नहींबल्कि एक विचारएक स्वप्नएक दर्शनएक अद्वितीय परंपरा है जो राष्ट्र के इतिहास और उसके स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाती है। इस प्रकारजामिया ने राष्ट्र में अपना उचित स्थान अर्जित किया हैजो अपनी बेजोड़ परंपरा और संस्कृति के कारण सर्वोच्च स्थान पर है। हमें यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि जामिया ने क्या हासिल किया हैक्योंकि इसका नाम ही सब कुछ कहता है।" प्रो. आसिफ़ ने कहा।

जामिया के रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने अपने संबोधन में 29 अक्टूबरस्थापना दिवस को जामिया के लिए एक शुभ अवसर बताते हुएमाननीय मंत्री महोदय को जामिया को दिए गए उनके उदार सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि पहले के मुकाबले  जब जामिया को 2006 में अपनी स्थापना के बाद से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से कोई अनुदान नहीं मिल रहा थाअब श्री रिजिजू जी के नेतृत्व में विश्वविद्यालय को दो अत्यंत महत्वपूर्ण और भविष्योन्मुखी परियोजनाओं - एकइलेक्ट्रिक वाहन पर एक शोध प्रयोगशाला और दूसरीएक साइबर-सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशाला - को मंजूरी दी गई हैऔर मंत्री महोदय ने अन्य परियोजनाओं में भी जामिया की मदद करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रो रिज़वी ने कहा कि श्री रिजिजू जी ने जेएमआई की प्रतिष्ठित आवासीय कोचिंग अकादमीजिसने देश को सैकड़ों सिविल सेवक दिए हैंउसके लिए एक पूरी तरह से वातानुकूलित पुस्तकालय को मंजूरी देने पर भी सहमति व्यक्त की है। सभा को सूचित करते हुए कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने भी बुनियादी ढांचे के विकास और छात्रावासों और स्मार्ट कक्षाओं के निर्माण के लिए जेएमआई को 181 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं जामिया के संस्थापकों के बलिदानों को याद करते हुएउन्होंने छात्रों को जामिया का नाम और उच्च प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने की याद दिलाई। उन्होंने कहा, "स्वतंत्रता संग्राम के दौरानजामिया के शिक्षकों और छात्रों ने बौद्धिक जागृतिदेशभक्तिपूर्ण संवाद और सामाजिक सुधार के माध्यम से योगदान दिया। यह एक ऐसा स्थान बन गया जहाँ शिक्षा और राष्ट्रवाद ने राष्ट्र की मुक्ति के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। आज भीजामिया राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता का एक शक्तिशाली प्रतीक बना हुआ हैजो राष्ट्र निर्माण के साझा प्रयास में जातिपंथ और धर्म की सीमाओं से परे लोगों को एकजुट करता है।" जामिया के भविष्य के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुएप्रो. रिज़वी ने कहा, "जामिया की नींव देशभक्तिसामाजिक उत्तरदायित्व और समावेशी शिक्षा के मूल्यों पर आधारित थी। अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुएजामिया ऐसे व्यक्तियों को सहयोग देना जारी रखता है जो आलोचनात्मक रूप से सोचते हैंनैतिक रूप से कार्य करते हैं और निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं।"

जामिया स्कूल की गायक मंडली द्वारा 'जामिया रक़्स कुना हो के तेरी ईद है आजकी मनमोहक संगीतमय प्रस्तुति के बादअपने धन्यवाद ज्ञापन मेंडीन छात्र कल्याण (डीएसडब्ल्यू) प्रो. नीलोफर अफ़ज़ल ने माननीय मंत्रीकुलपतिकुलसचिवसंकाय सदस्योंछात्रोंडीएसडब्ल्यू टीम के सदस्यों और जामिया के सुरक्षास्वच्छता और बागवानी विभागों को इस आयोजन को सफल बनाने में अथक परिश्रम करने के लिए धन्यवाद दिया।

उद्घाटन समारोह के बादश्री रिजिजू जी ने पुस्तक मेले का उद्घाटन कियाजिसमें डॉ. ज़ाकिर हुसैन पुस्तकालय द्वारा आयोजित 16 स्टॉल और तालीमी मेला मंडप में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर एक विशेष बूथ शामिल थाजिसमें एसडीजी में अपनी सर्वोत्तम प्रैक्टिसेज़ को प्रदर्शित किया गया था। यह इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि हाल ही में घोषित एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग 2025 में जेएमआई को सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) श्रेणी में तीसरा स्थान मिला था। इस कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. एहतेशामुल हक़ ने अपने छात्रों और संकाय सदस्यों की टीम के साथ मंत्री महोदय को सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्यों के अनुसार डिज़ाइन किए गए कार्यशील अनुसंधान प्रोटोटाइप मॉडल प्रदर्शित किए। इस अवसर पर सर्वोत्तम प्रैक्टिसेज़ का सारांश भी जारी किया गया।

छह दिनों तक चलने वाले तालीमी मेले में विभिन्न शैक्षणिक सत्रप्रदर्शनियाँकार्यशालाएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगेजिनमें प्रख्यात विद्वानशिक्षाविद और कला एवं संस्कृति के पारखी भाग लेंगे। प्रत्येक शाम का समापन विशेष संगीत कार्यक्रमों के साथ होगा। तालीमी मेला 2025 अपने विशाल और भव्य होने के कारण उल्लेखनीय है और महामारी के बाद से इस स्तर का यह पहला पूर्ण उत्सव है। जेएमआई का तालीमी मेला दिल्ली के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षिक उत्सवों में से एक माना जाता हैजिसका विश्वविद्यालय के 21,000 छात्रोंपूर्व छात्रों और व्यापक स्थानीय समुदाय द्वारा बेसब्री से इंतज़ार किया जाता है।

प्रोफेसर साइमा सईद

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी


 


Jamia Millia Islamia began its 105th Foundation Day

 

Jamia Millia Islamia began its 105th Foundation Day with a spiritually uplifting “Mehfil-e-Qira’at-o-Naat Khwani and the Prof. Mohammad Mujeeb Memorial Lecture” held on October 29, 2025 at the Dr. M.A. Ansari Auditorium

Jamia Millia Islamia marked its 105th Foundation Day with a spiritually uplifting “Mehfil-e-Qira’at-o-Naat Khwani and the Prof. Mohammad Mujeeb Memorial Lecture” held at the Dr. M.A. Ansari Auditorium. The event was graced by the Hon’ble Vice Chancellor, Professor Mazhar Asif, who presided over the ceremony. Among the distinguished attendees were Registrar Prof. Mohammad Mahtab Alam Rizvi, Dean, Students’ Welfare Prof. Neelofar Afzal, senior faculty members, and a large number of students.

The program commenced with the recitation of the Holy Qur’an by Qari Huzaifa Badri, whose melodious and spiritually stirring voice filled the auditorium with divine serenity. The Vice Chancellor warmly welcomed the special guests — Maulana Mufaddal Shakir, Maulana Shabbir Husain Bhupalwala, both the representatives of Ameer-e-Jamia Syedna Mufaddal Saifuddin Saheb, and Prof. Mohammad Aslam Parvaiz, eminent educationist and former Vice Chancellor, MANUU.

Following the soulful recitation, Jamia’s famous anthem was sung with great enthusiasm, rekindling a spirit of unity and academic pride. Students from the M.A. Arabic programme — Sayar Shabbir Wani and Mohammad Adil — along with guest reciters Burhanuddin Badri and Huzaifa Badri, presented Naats imbued with reverence and devotion, captivating the audience.

In their addresses, Maulana Mufaddal Shakir and Maulana Shabbir Husain Bhupalwala reflected on Jamia’s historic legacy and its enduring contribution to education and social reform. Maulana Shakir emphasized that Jamia’s intellectual and moral mission continues to inspire the Muslim world. Maulana Bhupalwala conveyed the Ameer-e-Jamia’s congratulatory message, highlighting that Jamia was founded on sacrifice, conviction, and sincerity — values that still guide its progress today.

The highlight of the evening was the Prof. Mohammad Mujeeb Memorial Lecture delivered by Prof. Mohammad Aslam Parvaiz on the theme “The Qur’an and the Cosmos.” In his illuminating talk, he underlined that “the Qur’an is not merely for recitation but for reflection and action; true success lies in understanding and implementing its message in our collective lives.”

The programme was eloquently conducted by Prof. Habibullah Khan, Director of the Zakir Husain Institute, whose articulate moderation and engaging introductions enhanced the scholarly and dignified tone of the event.

In his presidential address, Prof. Mazhar Asif lauded the contributions of the distinguished guests, noting that their presence strengthened the bond between the academic and spiritual worlds. He remarked, “Jamia Millia Islamia has always stood for the highest ideals of education, culture, and service to humanity — values that define its very identity.”

Delivering the vote of thanks, Prof. Neelofar Afzal, Dean, Students’ Welfare, expressed heartfelt gratitude to the Vice Chancellor, dignitaries, faculty, students, and organizers for the successful conduct of the event. She remarked that such spiritual and intellectual gatherings embody the ethos of Jamia, nurturing both moral and intellectual growth among students.

The event concluded with the rendition of the National Anthem, bringing to a close a day that beautifully blended the spiritual, intellectual, and patriotic spirit of Jamia Millia Islamia.

 

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