स्वयंसेवा, प्रौढ़ शिक्षा और एचईआई की भूमिका पर संगोष्ठी आयोजित
अलीगढ़, 6 मार्चः एएमयू के सतत एवं प्रौढ़ शिक्षा एवं विस्तार केंद्र द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम के आलोक में स्वैच्छिकवाद, प्रौढ़ शिक्षा और उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
एएमयू के प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उद्घाटन सत्र के दौरान कहा कि प्रौढ़ शिक्षा और विस्तार कार्य के साथ अपने वर्षों के जुड़ाव के साथ, वह महसूस करते हैं कि सभी के लिए शिक्षा आज भी एक सपना है जिसके लिए सभी को काम करना चाहिए ताकि एक बड़ी आबादी राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सके।
मुख्य अतिथि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसके सिंह ने कहा कि भारतीय शिक्षा नीति के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में हमारे पास लंबे समय से स्वयंसेवा का अभ्यास है और इस क्षेत्र में काम करने के तरीकों के बारे में सोचना समय की आवश्यकता है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रोैढ़ और सतत शिक्षा और विस्तार विभाग की अध्यक्ष, प्रोफेसर शिक्का कपूर ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि भारत की विशाल आबादी के साथ, सभी को शिक्षित करने के रास्ते में रुकावटें हैं और सामूहिक स्तर पर स्वयंसेवा समाधान का एक रास्ता है।
इंडियन एडल्ट एजुकेशन एसोसिएशन, नई दिल्ली की निदेशक डा कल्पना कपूर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे प्रौढ़ शिक्षा तब तक आगे नहीं बढ़ सकती जब तक कि विशेषाधिकार प्राप्त लोग अपना समय और संसाधन सार्वभौमिक शिक्षा के लिए समर्पित नहीं करते।
इससे पूर्व संगोष्ठी की संयोजक प्रोफेसर आयशा मुनीरा रशीद ने अतिथियों का स्वागत किया और संगोष्ठी की विषयवस्तु से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि नैतिक संसाधनों और कॉर्पोरेट ज़िम्मेदारी का उपयोग करके, सार्वभौमिक साक्षरता और सॉफ्ट स्किल्स प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है।
प्रतिभागियों ने सामान्य साक्षरता से लेकर संचार कौशल, जीवन कौशल और सॉफ्ट स्किल से लेकर डिजिटल साक्षरता, डिजिटल उत्पीड़न और फिशिंग जैसे विषयों पर 20 शोध पत्र प्रस्तुत किए।
प्रोफेसर नसीम अहमद, प्रोफेसर आसिम सिद्दीकी और प्रोफेसर राशिद नेहाल ने तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता की। डा शमीम अख्तर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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