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इस वक्त मै मुसलमानो की फिजूल खर्ची की बात
करूगी। यह एक संजीदा सूरत ए हाल है। हम सभी जानते है कि 90ijlsaV मुसलमान
आर्थिक पसमादंगी का शिकार है।लेकिन जो थोडे बहुत लोग माली तौर पर खुशहाल है वह
अपनी दौलत को सही और दुरूसत मसरफ मे कम फिजूल
खर्ची
और दिखावे मे जयादा इस्तेमाल करते है। इस्लाम मे
जकात सदकात और इमदाद पर जोर दिया गया है। वह
जरूरतमंदो की मदद करके नेकी कमा सकते है।
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मगर इसके
लिऐ मिजाज बनाना होगा।करोडो रूपये इमारतो और कपडो मे लगाने के बजाऐ गरीबो की मदद
करे तो आकबत मी संवर जाऐगी।साथ ही समाज
को खुद कफील बनाने मे भी हम एक दूसरे की मदद कर सकते है।आप लोग इसे कोरी तबलीग न
समझे ।हम वही कह रहे जो हम करते है।
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