Monday, September 22, 2025

नौशेरा के शेर ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान पर अंग्रेजी पुस्तक ‘द लाइन ऑफ नौशेरा’ का एएमयू में विमोचन


Professor Naima Khatoon, Ziya Us Salam and Anand Mishra, Professor Aftab Alam, Professor Mohammad Mohibul Haque, Professor Shafey Kidwai, Dr. Mohammad Shahid during the book lunching ceremony at Sir Syed House, AMU Aligarh

 नौशेरा के शेर ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान पर अंग्रेजी पुस्तक द लाइन ऑफ नौशेरा का एएमयू में विमोचन

अलीगढ़, 22 सितम्बरः  अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की सर सैयद अकादमी के तत्वावधान में अंग्रेजी पुस्तक दि लायन ऑफ नौशेराः दि लाइफ एंड टाइम्स ऑफ ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान” के विमोचन समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुए बुद्धिजीवियों ने कहा कि आज जब देश की बहुलतावादी और विविधतापूर्ण संस्कृति व इतिहास पर संगठित हमले हो रहे हैं और साझा सांस्कृतिक विरासत को समाज से मिटाने की कोशिशें की जा रही हैंऐसे समय में पाकिस्तान के खिलाफ 1948 की जंग में मात्र 35 वर्ष की आयु में प्राणों की आहुति देने वाले और नौशेरा व झंगर में पाकिस्तानी सेना की प्रगति रोकने वाले देशभक्त ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को याद करना और उनकी जीवनगाथा को पुस्तक के रूप में सामने लाना एक महान कार्य है। ऐसी हस्तियों पर अधिक से अधिक पुस्तकें प्रकाशित होनी चाहिए ताकि नई पीढ़ी उनसे परिचित हो सके और अपनी साझा संस्कृति व इतिहास पर गर्व कर सके।

एएमयू की कुलपति प्रो. नइमा खातून ने वरिष्ठ पत्रकार जिया-उस-सलाम और आनंद मिश्रा द्वारा लिखित इस पुस्तक का विमोचन लेखकों की मौजूदगी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ किया। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में दोनों लेखकों को बधाई देते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मानजिन्होंने शिक्षा के लिए एएमयू में प्रवेश लिया थाउनकी जीवनगाथा पर यह पुस्तक प्रकाशित हुई है। इस देशभक्त शख्िसयत से निश्चित ही युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।

पुस्तक के लेखक और दि हिन्दू अखबार से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार जिया-उस-सलाम ने बताया कि ब्रिगेडियर उस्मान के बारे में सामग्री जुटाना बेहद कठिन था। उन्होंने इसे उस गौरैया की मेहनत से जोड़ा जो धीरे-धीरे तिनके जोड़कर घोंसला बनाती है। उन्होंने कहा कि विभाजन के समय ब्रिगेडियर उस्मान ने पाकिस्तान जाने और ऊँचे सैन्य पद की पेशकश ठुकरा दी थी। वे हर मंगलवार सैनिकों के साथ रोजा रखते थेसाझा भारत का सपना देखते थे और अपनी तनख्वाह से स्कूलों को दान दिया करते थे। जिया-उस-सलाम ने कहा कि आज जब समाज में विविधता और भाईचारे को खत्म करने वाली शक्तियाँ सक्रिय हैंतब ब्रिगेडियर उस्मान और वीर अब्दुल हमीद जैसी हस्तियों की कुर्बानियों को सामने लाना बेहद जरूरी है।

दूसरे लेखक और फ्रंटलाइन पत्रिका के राजनीतिक संपादक आनंद मिश्रा ने कहा कि जैसे-जैसे शोध के दौरान ब्रिगेडियर उस्मान के जीवन के बारे में जानकारी मिलीवे उनके प्रशंसक बनते गए। उन्होंने संसद की लाइब्रेरी में 1947-48 के अखबारों का अध्ययन किया और ब्रिगेडियर उस्मान के परिजनोंजिनमें पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी शामिल हैंसे बातचीत की। उन्होंने कहा कि ब्रिगेडियर उस्मान की जीवनकथा देशवासियोंखासकर युवाओं तक पहुँचना चाहिएजिसमें देशप्रेमत्याग और सेवा का भाव झलकता है।

इस अवसर पर फैकल्टी ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डीनप्रो. आफताब आलम और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. मोहम्मद मुहिबुल हक ने भी पुस्तक पर अपने विचार रखे।

प्रो. आफताब आलम ने कहा कि यह महत्वपूर्ण पुस्तक समाज को जोड़ने वाला कथानक प्रस्तुत करती है और साबित करती है कि राष्ट्र निर्माण में हर वर्ग का योगदान शामिल है। उन्होंने बताया कि ब्रिगेडियर उस्मान पाकिस्तान के विरूद युद्ध में बलिदान देने वाले सबसे वरिष्ठ अधिकारी थेजिन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनका पैतृक स्थान गाजीपुर जिले का बीबीपुर कस्बा था।

प्रो. मोहिबुल हक ने कहा कि यह पुस्तक केवल एक रचना नहीं बल्कि आइडिया ऑफ इंडिया की प्रतिनिधि हैजो नफरत और विभाजन के माहौल में उम्मीद की किरण है।

सर सैयद अकादमी के निदेशक प्रो. शाफे किदवई ने अतिथियों का स्वागत किया और बताया कि ब्रिगेडियर उस्मान ने एएमयू में पढ़ाई शुरू की थी लेकिन 1932 में इंग्लैंड जाकर रॉयल मिलिट्री अकादमीसैंडहर्स्ट में प्रवेश्ज्ञ लिया और 19 मार्च 1935 को भारतीय सेना में शामिल हुए। उन्होंने एएमयू से डिग्री तो नहीं लीलेकिन उनकी विश्वविद्यालय से संबद्धता एएमयू समुदाय के लिए गर्व की बात है। उन्होंने पुस्तक की निष्पक्ष शैली और लेखकों की मेहनत की सराहना की।

अकादमी के उपनिदेशक डॉ. मोहम्मद शाहिद ने सर सैयद अकादमी के मिशन व उद्देश्यों के साथ दोनों लेखकों का परिचय प्रस्तुत किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सैयद हुसैन हैदर ने किया।

समारोह में विश्वविद्यालय के अधिकारीवर्तमान और पूर्व शिक्षक तथा छात्र बड़ी संख्या में मौजूद थे।

--------------------

No comments:

Popular Posts