Thursday, September 11, 2025

INAUGURATION OF SHAMIM HANAFI SEMINAR HALL

 

चित्र मेंदाईं ओर से--प्रोफ़ेसर कौसर मज़हरीप्रोफ़ेसर महताब आलम रिज़वीप्रोफ़ेसर मज़हर आसिफ़ और प्रोफ़ेसर इक्तेदार मोहम्मद खान


जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उर्दू विभाग में शमीम हनफ़ी सेमिनार हॉल का उद्घाटन

 

                जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उर्दू विभाग के लिए एक ऐतिहासिकभावनात्मक और यादगार पल थाजब शमीम हनफ़ी सेमिनार हॉल का उद्घाटन जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपतिप्रोफेसर मज़हर आसिफ़ ने किया।

 

इस अवसर पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुएप्रोफेसर आसिफ़ ने कहा कि उर्दू विभाग में इस नवनिर्मित और खूबसूरती से सुसज्जित सेमिनार हॉल को प्रोफेसर शमीम हनफ़ी जैसे युग-निर्माता लेखक और बुद्धिजीवी को समर्पित करना उनके कद के अनुरूप एक श्रद्धांजलि है।

 

समारोह के मुख्य अतिथिजामिया के रजिस्ट्रारप्रोफेसर मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने उद्घाटन समारोह में हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अपने सम्मानित पूर्वजों को याद करने से हमारे नैतिक मूल्य और राष्ट्र की आध्यात्मिक जड़ें मजबूत होती हैं। प्रोफ़ेसर रिज़वी ने कहा कि शमीम हनफ़ी साहित्यसंस्कृति और ज्ञान के एक प्रकाश स्तंभ थे और जामिया मिल्लिया इस्लामिया को उन पर सदैव गर्व रहेगा।

 

शमीम हनफ़ी सेमिनार हॉल की स्थापना के लिए ईमानदारीप्रेम और सच्ची लगन से अथक प्रयास करने वाले उर्दू विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर कौसर मज़हरी ने कहा कि प्रोफ़ेसर हनफ़ी को इस उपलब्धि के लिए उर्दू विभाग के इतिहास में सदैव याद किया जाएगा। मानविकी एवं भाषा संकाय के डीन प्रोफ़ेसर इक्तेदार मोहम्मद ख़ान ने प्रोफ़ेसर शमीम हनफ़ी को याद करते हुए कहा कि हालाँकि वे अब शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैंलेकिन ऐसा लगता है मानो उनके लेखनभाषणों और विचारों के रंगप्रकाश और सुगंध आज भी जामिया के वातावरण को जीवंतप्रकाशित और सुगंधित बनाए रखते हैं और उनकी आवाज़ की गूँज आज भी इस स्थान पर महसूस की जा सकती है। इस अवसर पर प्रोफ़ेसर कौसर मज़हरी ने कहा कि शमीम हनफ़ी न केवल उर्दू विभागबल्कि पूरे जामिया मिल्लिया इस्लामिया का गौरव थे। उनकी ज्ञान-दृष्टि और असाधारण विद्वत्तापूर्ण एवं सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्वर्णिम परंपराओं का एक महत्वपूर्ण अंग है। कुलपति प्रोफ़ेसर मज़हर आसिफ़रजिस्ट्रार प्रोफ़ेसर मेहताब आलम रिज़वी और मानविकी एवं भाषा संकाय के डीन प्रोफ़ेसर इक्तेदार मोहम्मद ख़ान के स्नेहपूर्ण और निष्कपट सहयोग ने इस हॉल के पुनर्निर्माण और साज-सज्जा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उर्दू विभाग इस उपकार को कभी नहीं भूल सकता।

 

प्रोफ़ेसर कौसर मज़हरी ने अतिथियों का स्वागत एक सेप्लिंग भेंट करके किया और प्रोफ़ेसर मज़हर आसिफ़ को एक अलंकृत और लयबद्ध भाषा में लिखा गया हार्दिक धन्यवाद पत्र भेंट कियाजिसकी श्रोताओं ने खूब सराहना की। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रोफ़ेसर सरवरुल हुदा ने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भ में शमीम हनफ़ी की स्मृतियोंवार्तालापों और लेखन को और उन्हें  सत्र के दौरान याद किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रोफ़ेसर शहज़ाद अंजुम ने शमीम हनफ़ी सेमिनार हॉल की स्थापना पर विश्वविद्यालय प्रशासन और विभागाध्यक्ष को बधाई दी। 

        सत्र की शुरुआत डॉ. शाह नवाज़ फ़ैयाज़ के कविता पाठ से हुई। प्रोफ़ेसर शमीम हनफ़ी की पत्नी सबा शमीमउनकी बेटी ग़ज़ाला शमीम सिद्दीकी और दामाद सुरोश साहब की उपस्थिति ने इस उद्घाटन समारोह को और भी भावुक और जीवंत बना दिया।

 

इस सत्र में अरबी विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर नसीम अख्तरफ़ारसी विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर सैयद कलीम असगरप्रोफ़ेसर अहमद महफ़ूज़प्रोफ़ेसर इमरान अहमद अंदलीबडॉ. शाह आलमडॉ. खालिद मुबशिरडॉ. मुशीर अहमदडॉ. सैयद तनवीर हुसैन और डॉ. मोहम्मद मुकीम के साथ-साथ विभाग के अतिथि शिक्षकशोधार्थी और बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे।

 


 

प्रोफ़ेसर साइमा सईद

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी

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