Thursday, November 6, 2025

जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने अपने 105वें स्थापना दिवस

 

Jamia Millia Islamia Showcases Best Practices Aligned with UN SDGs on the occasion of the 105th Foundation Day, JMI ranked 3rd under the ‘SDG category’ in NIRF 2025 Rankings

जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने अपने 105वें स्थापना दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप बेस्ट प्रैक्टिसेज़ का प्रदर्शन कियाएनआईआरएफ 2025 रैंकिंग में जामिया को 'एसडीजी श्रेणीमें तीसरा स्थान मिला

अपने 105वें स्थापना दिवस समारोह के क्रम मेंजामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन किया। इस कार्यशाला का आयोजन तालीमी मेला परिसर में "संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य: अवसर और चुनौतियाँ" विषय पर किया गया और एसडीजी पर एक बूथ भी लगाया गयाजहाँ इसकी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया गया। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में घोषित एनआईआरएफ 2025 रैंकिंग में जेएमआई को एसडीजी श्रेणी में तीसरा स्थान मिला हैजिसने इसे सतत और समावेशी विकास की आवश्यकताओं को पूरा करने के मामले में पूरे भारत में एक अग्रणी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया है।

उच्च शिक्षा संस्थानों में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पर केंद्रित दृष्टिकोण के महत्व को समझते हुएजेएमआई ने माननीय कुलपति प्रो. मजहर आसिफ़ और रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी के नेतृत्व में संकाय सदस्यों और छात्रों की एक समर्पित टीम बनाई।

बूथ और कार्यशाला का उद्घाटन माननीय संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कियाजिन्होंने 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से संबंधित जेएमआई की सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रकाश डालने वाली एक ब्रोशर भी जारी की। एसडीजी कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. एहतेशामुल हक़ ने माननीय मंत्री को एसडीजी के प्रत्येक लक्ष्य के तहत जेएमआई की पहलों के बारे में बताया और उन्हें बताया कि स्कोपस के आंकड़ों के अनुसारजेएमआई ने एसडीजी से संबंधित 8,680 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। स्नातकस्नातकोत्तर और डॉक्टरेट के छात्रों ने श्री रिजिजू जी के समक्ष विभिन्न एसडीजी लक्ष्यों से संबंधित अपनी चल रही परियोजनाएं प्रस्तुत कीं। माननीय केंद्रीय मंत्री ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं की और बूथ पर इन्हें प्रदर्शित करने वाली टीम के काम की सराहना की जिन्होंने दूसरों के सीखनेसराहना करने और अनुसरण करने के लिए एक ब्रोशर के रूप में इनका सारांश भी प्रस्तुत किया। गौरतलब है कि 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों द्वारा अपनाए गए सतत विकास के 2030 एजेंडे ने 17 विश्व सतत विकास लक्ष्य निर्धारित किए। इन वैश्विक लक्ष्यों का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने और महासागरों व जंगलों के संरक्षण के साथ-साथ लोगों और पृथ्वी के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करना है। ये सतत विकास लक्ष्य सतत विकास के पर्यावरणीयसामाजिक और आर्थिक पहलुओं के बीच संबंधों को उजागर करते हैं।

सतत विकास लक्ष्य कार्यशाला में तीन प्रख्यात वक्ता शामिल हुए: प्रो. प्रेरणा गौड़- निदेशकएनएसयूटीनई दिल्ली; डॉ. अनिल कुमार-निदेशकनवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयभारत सरकारऔर श्री अभिनव जैनपरियोजना निदेशकजीआईजेड इंडिया। प्रो. एहतेशामुल हक़ ने कार्यशाला के दौरान अतिथियों का स्वागत किया और श्रोताओं को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उत्पत्तिपृष्ठभूमि और उनके महत्व के बारे में जानकारी दी।

अपने संबोधन मेंमाननीय कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सतत विकास लक्ष्य व्यक्तियों की दैनिक आदतों से गहराई से जुड़े हुए हैं और उन्होंने छात्रों से "अपने दैनिक जीवन में स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को शामिल करने" का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि "इन लक्ष्यों का सार प्राचीन काल से ही भारतीय परंपराओं और जीवन शैली में अंतर्निहित रहा है।"

रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने एक स्थायी जीवनशैली के महत्व पर ज़ोर दिया और "स्वच्छ ऊर्जाशून्य कार्बन उत्सर्जन और स्मार्ट परिवहन" की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने 105वें स्थापना दिवस के अवसर पर जामिया की सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) आयोजन टीम द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।

इंजीनियरिंग संकाय के डीन प्रो. मोहम्मद शरीफ़ ने बढ़ते कार्बन उत्सर्जन पर चिंता व्यक्त की और राष्ट्रीय स्तर पर इसे कम करने के लिए कारगर रणनीतियाँ प्रस्तावित कीं। छात्र कल्याण की डीन प्रो. नीलोफर अफज़ल ने जामिया की छात्र-केंद्रित जागरूकता पहलोंजैसे 'नशा मुक्ति अभियान', जिसका उद्देश्य ज़िम्मेदार नागरिकता को बढ़ावा देना हैके बारे में विस्तार से बताया।

डॉ. अनिल कुमार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत सरकार ने अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन के लक्ष्य निर्धारित किए हैं जिन्हें सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अंतर्गत पूरा किया जाना है। प्रो. प्रेरणा गौर ने जेएमआई द्वारा प्रलेखित सर्वोत्तम प्रथाओं और मांग को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की और एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु परियोजनाओं को शुरू करने हेतु आईईईई द्वारा वित्त पोषण योजनाओं की जानकारी दी। श्री अभिनव जैन ने छात्रों को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के मूल सिद्धांतों की जानकारी दी और बिजलीखनन एवं अन्य क्षेत्रों में चुनौतियों का समाधान करने के लिए 25 मंत्रालयों के साथ जीआईजेड इंडिया के सहयोग के बारे में जानकारी दी। इस कार्यक्रम में कार्यक्रम के उद्योग भागीदारसीमेंस एनर्जी के डिज़ाइन इंजीनियरश्री मुनव्वर हुसैन और आईईईई जेएमआई छात्र शाखा ने भी भाग लिया।

प्रो. एहतेशामुल हक़ ने सतत विकास लक्ष्य कार्यक्रम के समन्वयक के रूप में कार्य कियाजबकि प्रो. शबाना महफूज़ सह-समन्वयक थीं। दोनों ने जेएमआई के कुलपति प्रो. आसिफ़ और रजिस्ट्रार प्रो. रिज़वी को जेएमआई में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के उद्देश्यों को प्राप्त करने और 105वें स्थापना दिवस समारोह में उन्हें प्रदर्शित करने में उनके अटूट सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

प्रो. साइमा सईद

Shahar Mufti Abdul Qayyum Memorial Lecturer

 

Aligarh ko kuchh logon ki sar zameen hone per hamesha fakr rahega ki uski sar zami per itni Azeem shakhsiyaton ki paidaish Hui Hai jismein ek bada Naam ustadul ulama Mufti lutf Ulla rahmtullah ka hai inhin ki auladon mein Allah ne Shahar Mufti Abdul Qayyum Sahab ko bhi Badi izzat Di Mufti Abdul qayyum Sahab Aligarh ke liye ek Aisa Naam sabit hua jinhone Aligarh ki awam ko apni Eilmi salahiyaton se apna murid na sirf musalmanon Ko banaya balki Hindu bhai bhi unke Akhlak aur unki dili sakhawat ki Murid the Aligarh ki aawam ki khidmat jis Dil aur khulus se unhone ki thi uski Badi misal jisko chhu Kar dekha Ja sakta hai Aligarh ki Eidgah aur upar fort National hospital Aaj bhi maujud Hain Allah Aligarh ko aise hi bujurgon aur humdardon ki sar parasti deta Rahe ISI silsile mein ek yadgari program Mufti Abdul qayyum sahab ke liye Kiya Gaya jismein Aligarh ki ajim Danish vrana shakhsiyaton Ne hissa liya aur apne khyalat ka izhaar Kiya Main tahe Dil Se UN tamam logon ka shukr Gujar hun jismein unhone shirkat ki aur khas taur se Kuwar Arif Ali Khan sahab ka shukriya Ada Karta Hun ki unhone ek aisi bedari aur soch paida ki ke Ham Apne mohsinon Ko Insha Allah yad karte rahenge

Reported by gulzar ahmad, fb

six-day Foundation Day and Talimi Mela at JMI

 پریس ریلیز

Jamia Millia Islamia marks the grand finale of six-day Foundation Day and Talimi Mela with Lieutenant Governor of Delhi, Shri V. K. Saxena as Chief Guest at the Valedictory event


جامعہ ملیہ اسلامیہ نے چھہ روزہ یوم تاسیس اور تعلیمی میلہ کا شان دار اختتام،،الوداعی پروگرام میں عزت مآب لیفٹنٹ گورنر،دہلی شری وی۔کے سکسینہ نے بطو رمہمان خصوصی شرکت کی


عزت مآب لیفٹنٹ گورنر کو جامعہ ملیہ اسلامیہ کی این سی سی ونگ کی جانب سے سلامی کے ساتھ ایک سوپانچویں یوم تاسیس تقریبا ت الوداعی پروگرام شرو ع ہوا جس کے بعد سار ا پروگرام انصاری آڈیٹوریم میں منعقد ہوا۔جامعہ اسکول ٹیم نے عزت مآب گورنر،دہلی کے استقبال میں جامعہ کا ترانہ نہایت مترنم آواز میں پیش کیا۔اس کے بعد پروفیسر آصف،شیخ الجامعہ،جامعہ ملیہ اسلامیہ اور پروفیسر محمد مہتاب عالم رضوی،مسجل، جامعہ ملیہ اسلامیہ نے شری سکسینہ کا استقبال کیا۔

عزت مآب لیفٹنٹ گورنر،دہلی نے اپنے خطاب میں کہا کہ جامعہ ملیہ اسلامیہ کے ایک سو پانچ سالہ یوم تاسیس کے تاریخی و خصوصی موقع پر مجھے یہاں آکر بے حد خوشی ہورہی ہے۔یہ خوشی اس لیے بھی ہے کیوں کہ میں ان طلبہ کے درمیان ہوں جن کے کندھے پر اس عظیم ملک کو دنیا کا سرتاج بنانے کا دار و مدار ہے۔ظاہر ہے کہ ایک سو پانچ سالوں کا سفر طے کرکے آج اس منزل پر پہنچنا آسان نہیں رہا ہوگالیکن اس سفر کو کامیابی سے طے کرنے میں ہمارے بزرگوں نے کئی راستے ڈھونڈھے ہوں گے اور تبھی آج ہم اس منزل پر پہنچیں ہیں۔ٹھیک ہی کہا جاتاہے کہ ’ڈھونڈھو گے تو ہی راستے ملیں گے منزلوں کی فطرت ہے کہ وہ خود چل کر نہیں آتیں۔‘مجھے خوشی اس بات کی بھی ہے کہ آج جس جامعہ میں ہوں اس کے قیام کا تصور بابائے قوم مہاتما گاندھی اور گرودیو ربندر ناتھ ٹیگور نے ایک ایسے ادارے کے طورپر پیش کیا تھا جو تمام کمیو نیٹیز کے طلبہ کو ترقی پسند تعلیم اور قوم پرست نظریہ پیش کرے گا۔اس وقت دیش میں ایسے تعلیمی اداروں کی ضرورت تھی جہاں تعلیم کے ساتھ ساتھ جد وجہد آزادی کا پیغام بھی عوام کے درمیان پھیلا یا جاسکے۔انہوں نے محسوس کیا تھا کہ یہ ادارہ تعلیم کے ساتھ ساتھ طلبہ کی کردار سازی کر ان کی زندگیوں کو روشن کرنے اور ملک کا مستقبل سنوارنے کاکام کرے گا۔ان ایک سو پانچ برسو ں میں جامعہ کے ایک ایسا مضبوط درخت بن چکی ہے جس کی شاخیں ہر شعبے میں لوگوں کو قابل بنارہی ہے۔اس طرح سے آج یہ ایک مکمل یونیورسٹی بن چکی ہے۔مجھے یہ بتایا گیا کہ ہے آج یہ ملک میں چوتھے نمبر کی اعلی درجے کی یونیورسٹی بن چکی ہے۔یہ دیش کی دوسری یونیورسٹیوں کے لیے بھی ایک مثال ہے۔میں اس بات سے بخوبی واقف ہوں کہ یہاں پڑھنے والے طلبہ ملک کے کونے کونے سے آتے ہیں اور ملک کے مستقبل کی تعمیر میں اپنا تعاون دیتے ہیں۔

خواتین و حضراتً! اس جامعہ سے بڑے ہی معزز لوگوں کا نام جڑا ہوا ہے جن میں سے ایک نام مولانا ابو الکلام آزاد صاحب کا بھی ہے۔یہ وہ نام ہے جس نے ملک کو آئی آئی ٹی،آئی آئی ایم،یوجی سی جیسے باوقار ادارے دیے۔یہ بتاتاہے کہ وہ کتنے دور اندیش تھے جب بھی ان کا ذکر ہوتاہے تو ہم دلی کی جامع مسجد پر دیا ان کا وہ خطبہ یاد آتاہے جو انہوں نے تئیس اکتوبر انیس سو سینتالیس کو دیا تھا۔انہوں نے اپنی تقریر میں کہا تھا کہ”ستارے ٹوٹ گئے تو کیا ہوا۔سورج کو چمک رہا ہے۔اس سے کرن مانگ لو، اور ان اندھیری راہوں میں بچھا دوجہاں اجالے کی سخت ضرورت ہے۔میں نے ان کی باتوں کو یہاں اس لیے دہرایا ہے کہ آپ کو اس تعلیم کی روشنی سے اندھیرے کو دور کرنا ہے۔اور یہی پیغام گوشے گوشے میں پھیلانا ہے۔

خواتین و حضرات!مجھے آج یہاں پریہ کہتے ہوئے کوئی گریز نہیں ہے کہ یہاں سے تعلیم یافتہ طلبہ آج مختلف اداروں میں اعلی عہدوں پر فائز ہیں۔گزشتہ برسوں میں یہاں کے طلبہ کئی نیشنل اور انٹرنیشنل اسکالر شپ حاصل کرنے میں کامیاب ہوئے ہیں۔یہاں کی کوچنگ سے کئی طلبہ سول سروس جیسے باوقار امتحانات کو پاس کر کے آئی اے ایس،آئی پی ایس بن کر آج ملک کی ترقی اور خوش حالی میں اپنا اہم کردار ادا کررہے ہیں۔اس امتیاز کو حاصل کرنا جامعہ اور یہا ں کے طلبہ کے لیے بڑے ہی فخر کی بات ہے۔مجھے خوشی ہے کہ جامعہ تعلیم کے ساتھ ساتھ ملک کے مستقبل کی تعمیر میں بھی اپنا نمایاں کردار ادا کررہی ہے۔جامعہ کو اس مقا م پر لانے میں جتنی مشقت یہاں کے تدریسی عملے نے کی ہے اتنی ہی آپ طلبہ کی بھی ہے۔جامعہ ہماری ثقافت اور روایات کا نام ہے۔آج پورے ملک میں اس کا نام پورے احترام اور وقار کے ساتھ لیا جاتاہے۔اب جامعہ ایک قومی یونیورسٹی نہ رہ کر ایک گلوبل کالج ہب بن چکی ہے۔لیکن جامعہ کا سفر یہاں تک محدود نہیں ہے ابھی کافی کچھ اورکرنا باقی ہے۔ اس موقع پر مجھے حفیظ بنارسی کا ایک شعر یاد آتاہے۔انہوں نے کہا تھا؛؎

            چلے چلیں کہ چلنا ہی دلیل کامرانی ہے۔ جو تھک کر بیٹھ جاتے ہیں وہ منزل پا نہیں سکتے

دوستو! تعلیم حاصل کرنا اور تعلیم حاصل کرنے کے قابل ہونا دو الگ بات ہے۔اس لیے میرا آپ سے مطالبہ ہے کہ آپ صرف خود ہی تعلیم یافتہ ہوکر نہ رہ جائیں بلکہ دوسروں کو بھی اس کے زیور سے آراستہ کرنے میں اپنا کردار ادا کریں۔کیوں کہ تعلیم حاصل کرنا حکم خداوندی ہے۔علم کی ہی روشنی سے ہم معرفت حاصل کرسکتے ہیں۔اور عارف بنتے ہیں۔اس لیے آپ کو اپنے علم کی روشنی نہ صرف اپنے لیے بلکہ دوسروں کے لیے بھی قائم رکھنا ہے۔یہی ہمارا اخلاقی فریضہ بھی ہے۔آپ اپنی تعلیم کو تبھی مفید بناسکتے ہیں جب آپ خود کو سماج کے لیے مفید بنائیں گے۔آپ کی تعلیم تبھی مفید ہوگی جب آپ اپنے اساتذہ کا احترام کریں اور ان سے سیکھیں گے۔اس موقع پربرج نارائن چکبست کا وہ شعر یاد آتاہے۔؎”ادب تعلیم کا جوہر ہے زیور ہے جوانی کا۔ وہی شاگرد ہے جو خدمت استاد کی کرتے ہیں۔

خواتین و حضرت!

جیسے کہ آپ سبھی اس بات سے واقف ہیں کہ ہمارے محترم وزیر اعظم شری نریندر مودی جی جو ایک سیاست دا ن سے بھی کہیں زیادہ عظیم تر شخص ہیں۔ان کی قیادت میں کیندر سرکار دیش میں ورلڈ کلاس ایجوکیشنل انفرااسٹرکچر ڈولپ کرنے کی سمت میں تیزی سے کام کررہی ہے۔دیش بھر کے انیک اداروں نے وزیر اعظم کی وژن کے مطابق پچھلے سالوں میں بے مثال ترقی حاصل کی ہے۔لیکن ہمارے اداروں اور یونیورسٹیز کا سفر یہاں تک ہی محدود نہیں ہے ابھی کافی کچھ کرنا باقی ہے۔کسی نے کہا ہے کہ ؎

            علم کی حد ہے کہاں کوئی بتاسکتانہیں۔جیسے دریا کا کنارا کوئی پاسکتا نہیں

            خواتین و حضرات!

میں یہاں پہلے بھی آچکا ہوں اور مجھے ہر مرتبہ یہاں پہلے سے کہیں زیادہ محبت ملی ہے۔اس لیے میں آپ کا دل سے شکریہ ادا کرتا ہوں۔میں آپ کا مشکور ہوں کہ مجھے اس تاریخی موقع پر اپنے درمیان بلایا اور میرا احترام کیا۔مجھے پورا یقین ہے کہ آنے والے وقت میں اور موجودہ خوش حال جامعہ کی رہنمائی میں یہ جامعہ نئی بلندیوں کو چھوئے گی۔

            آخر میں،میں طالب علم اور اساتذہ کو ان کے بہتر مستقبل کے لیے اپنی طرف سے بہترین خواہشات کا پیش کرتا ہوں اور اپنی باتوں کو چند لفظوں میں ختم کرتا ہوں۔”ہمیں وہ علم کے روشن چراغ ہیں جن کو۔ہوا بجھاتی نہیں سلام کرتی ہے۔

            آج ہمارے سامنے ہدف یہ ہے کہ بیس سو سینتالیس تک ملک کو وکست بھارت بنانے کے لیے اپنا اہم کردار ادا کریں۔اور اس ارادے سے آگے بڑھیں

پروفیسر مظہر آصف  شیخ الجامعہ،جامعہ ملیہ اسلامیہ نے کہا کہ ’جامعہ ملیہ اسلامیہ کا سفر طویل اور غیر معمولی رہا ہے۔انتہائی سادگی سے اس کی شروعات استادوں کے مدرسے کی صورت میں چھ سے سات طالب علموں اور اساتذہ کے ساتھ ہوئی تھیجو اب آٹھ سو سے زیادہ فیکلٹی اراکین اور چوبیس ہزار طلبہ کے ساتھ ایک بڑی اور عظیم الشان یونیورسٹی بن ہوچکی ہے۔ این آئی آر ایف ریننکنگ میں چوتھا مقام حاصل کرنا اور موقر ٹائمز ہائر ایجوکیشن گلوبل میں سب سے بہترین مرکزی یونیورسٹی قرار دیا جانا اس کی غیر معمولی ترقی کا ثبوت ہے۔

پروفیسر آصف نے مزید کہا کہ ’ہمارا مقصد اس وراثت میں توسیع کرکے اضافہ کرنا ہے اور میڈیکل کالج اور اسپتال کے قیام کے لیے پرامید ہیں جس سے جامعہ میں پیش کیے جانے والے کورسس کی وسیع رینج مکمل ہوجائے گی۔ اپنے طلبہ کے لیے اضافی ہاسٹل قائم کرنے کا بھی ہمارا منصوبہ ہے اس کے ساتھ ہی ہم طلبہ کے لیے زیادہ محفوظ کیمپس بنانے کی سمت کام کررہے ہیں۔مین روڈ کے قریب ایک انڈر پاس بھی ہمارے نگاہ میں ہے تاکہ ٹریفک کی نقل وحرکت سہل ہو اور رسائی مزید بہتر ہو۔“  

پروفیسر آصف نے مزید کہاکہ ”اس سال جامعہ ملیہ اسلامیہ کے تعلیمی میلہ کی قابل ذکر کامیابی،فیکلٹی اراکین کی اور لائبریری کی عطا کردہ بیس ہزار سے زیادہ کتابوں کی تقسیم تھی تاکہ طلبہ میں پڑھنے کی عادت کو تخم ریزی کی جاسکے۔ جامعہ میں طالب علموں کو ہم تعلیم اورتربیت دونوں ہی پڑھاتے اور بتاتے ہیں کیوں کہ جامعہ کی روایت اور ہندوستانی تہذیب و روایت کے پرچم کے علم بردار یہی ہیں۔

یوم تاسیس کے انعقاد پر مسرت کا اظہار کرتے ہوئے پروفیسر مظہر آصف نے کہا کہ ”یہ پروگرام یونیورسٹی کے لیے انتہائی شان دار رہا۔ہر تہذیبی وثقافتی شام میں طلبہ کی فعال شمولیت کافی حوصلہ افزا رہی۔ایسا احساس ہوا کہ برسو ں میں ایسا جشن اور تہوار نہیں دیکھا۔کیمپس موسیقی، پکوان کے ساتھ زندہ ہوا ٹھااور زیادہ اہم بات یہ ہے کہ این ای پی کے نفاذ سے لے کر ذہنی صحت اور خوش حالی تک کے مختلف موضوعات پر بامعنی مباحثے منعقد ہوئے۔

پروفیسر آصف نے کہاکہ ’این ای پی میں مذکور ’تعلیم کی یہی فکر ہے کہ جس میں کیمپس کا ہر تجربہ آموزش کو بہتر کرتاہے اور طالب علم کو بہتر اور ہمہ جہت فرد بناتاہے۔تعلیمی میلہ جامعہ کی منفرد تہذیب اور تربیت کو ہمارے طلبہ میں منتقل کرنے کا نام تھا ایسی خصوصیات کو منتقل کرنے کا جو انہیں حقیقی معنوں میں اعلی و ارفع بنادیں۔

پروفیسر محمد مہتاب عالم رضوی،مسجل جامعہ ملیہ اسلامیہ نے آج اختتام پذیر تعلیمی میلہ میں بڑے پیمانے پر شرکت اور اس کی کامیابی کو اجاگر کیا۔انہوں نے کہاکہ ’گزشتہ چھ برسوں میں ہم نے تعلیمی افضلیت، تہذیبی بوقلمونی اور سماجی بیداری کے محاذ پر غیر معمولی کامیابی حاصل کی ہے۔مختلف ڈپارٹمنٹ،سینٹرز اور فیکلٹی نے اس تقریب کو کامیاب بنانے میں کافی تعاون دیا ہے۔تعلیمی ورکشاپ،خطبات، نمائش  اور مذاکراتی سیشن جنہیں پورے ہفتے کے دوران منعقد کیا تھا۔ان تعلیمی سرگرمیوں نے ہماری دانشورانہ ماحول کو متمول کیا ہے اور اور علم کی ایجاد اور اس کے پھیلاؤ میں ہمارے عہد کو مستحکم کیاہے۔

پروفیسر رضوی نے کہاکہ ’تعلیمی میلہ صرف ایک پروگرام نہیں ہے بلکہ سوسائٹی کی مائیکروکوسم ہے جو زندگی،تعلیم،تہذیب،سماج اور انسانیت کے ہر پہلو کی نمائندگی کرتا ہے۔پکوان اور دست کاری کی مصنوعات سے لے کر کتابوں اور کپڑوں کی سیکڑوں دکانوں تک کیمپس ایک فعال،جان دار ماحول میں تبدیل ہوگیا تھا اور جامعہ کے فلسفہ کو اپنے اندر سموئے ہوئے تھا یعنی’تعلیم سے تعمیر تک‘۔پروفیسر رضوی نے کہاکہ ’جامعہ ملیہ اسلامیہ کی طویل اور شان دار تاریخ میں اس سال کا تعلیمی میلہ، جتنے بھی تعلیمی میلے  اب تک منعقد ہوئے تھے ان میں غیر معمولی اہمیت کا حامل ہوگیا ہے“۔

            پروفیسر رضوی نے تمام متنظمہ کمیٹیوں خاص طور سے ڈین اسٹوڈینٹس ویلفیئر،پروفیسر نیلو فر افضؒ اور ان کی ٹیم فیکلٹی اراکین اور طلبہ،پروکٹوریل ٹیم، صفائی کرمچاریوں،سیکوریٹی گارڈ اور میڈیا ٹیم کو ان کی مطابقت،محنت شاقہ اور باقاعدہ اشتراک کو سراہا اور ان تمام لوگوں کا شکریہ اد اکیا۔

             اس موقع پر عزت مآب لیفٹنٹ گورنر دہلی شری ونے کمار سکسینہ نے  پروفیسر مہتاب عالم رضوی اور پروفیسر ایچ اے ننظمی  بطور مدیران اور پروفیسر مظہر آصف بطور سرپرست کے ساتھ مل کر جامعہ جرنل اآ ف پیس اسٹڈیز، ویسٹ ایشیا سینٹر،جامعہ ملیہ اسلامیہ کا اور ننیسل منڈیلا سینٹر جامعہ ملیہ اسلامیہ کا ایک ذو لسانی جرنل کوکا اجرا کیا۔

             اس سال کے تعلیمی میلے میں ممتا ز ماہرین،بیوکرویٹس،جج، پالیسی ساز، پبلک انٹلیکچوئل،ماہرین تعلیم  اور مفکرین نے ایک فعال اسٹیج پر ساتھ آئے۔ پروگرام میں تعلیمی، تہذیبی اور کھل کود کی سرگرمیاں بھی ہوئی جس سے جامعہ کمیو نی ٹی کی فعالیت اور تنوع بھی آشکار ہوا۔

            چھ روزہ تقریب کے اختتام کے موقع پر  ہزاروں طلبہ اور فیکلٹی ارکین نے عزت مآب لفٹنٹ گورنر کے سامنے جامعہ کے پرچم کو واپس اتارنے کی تقریب میں شامل ہوئے۔اپنے شاداں و فرحاں روح اور کیمپس میں نئی امنگ اور توانائی سے بھرنے کی وجہ سے یہ تعلیمی میلہ برسہا برس یاد رکھا جائے گا۔

 

 پروفیسر صائمہ سعید

افسر اعلی،تعلقات عامہ

جامعہ ملیہ اسلامیہ


Tuesday, November 4, 2025

Prof. Mohammad Sanaullah Nadwi delivering the lecture at Bangladesh


एएमयू के प्रो. मोहम्मद सनाउल्लाह नदवी ने बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय पांडुलिपि विज्ञान कार्यक्रम में भाग लिया

अलीगढ़, 4 नवम्बरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अरबी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद सनाउल्लाह नदवी ने बांग्लादेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन बांग्ला एकेडमीढाका द्वारा आयोजित एक सप्ताह लंबे पांडुलिपि विज्ञान” प्रशिक्षण कार्यशाला में अंतरराष्ट्रीय सलाहकार और प्रशिक्षक के रूप में भाग लिया। यह कार्यशाला 25 से 31 अक्टूबर तक आयोजित हुई।

कार्यक्रम का उद्देश्य पुथी (पारंपरिक पांडुलिपि प्रारूप) के माध्यम से बांग्ला भाषा में पुस्तक प्रकाशन पर एक प्रारंभिक परियोजना विकसित करनापांडुलिपियों का लिप्यंतरणपाठ संपादनसंरक्षण तथा उनका डिजिटल अभिलेखीकरण सुनिश्चित करना था।

भारत का प्रतिनिधित्व करते हुएप्रो. नदवी ने बांग्ला एकेडमी में भारतीय उपमहाद्वीप में पांडुलिपियों की अवधारणालिप्यंतरण और संकलन पर व्याख्यान दिए। उन्होंने पांडुलिपि संपादन में संपादकीय तकनीकों और पाठालोचन के सिद्धांतों के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. नदवी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि पांडुलिपि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में बांग्ला एकेडमी अपने शैक्षणिक और साहित्यिक कार्यों को और विस्तार देगीतथा यह कार्यशाला शोधकर्ताओं और संपादकों के कौशल को और निखारेगी।

कार्यक्रम के संयोजक एवं बांग्ला एकेडमी के निदेशक डॉ. मोहम्मद हारुन रशीद ने प्रो. नदवी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि एएमयू जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालय के अरबी विभागाध्यक्ष का आमंत्रण स्वीकार करना और अपने शैक्षणिक एवं साहित्यिक अनुभव से प्रतिभागियों को समृद्ध करना उनके लिए अत्यंत गर्व और प्रसन्नता की बात है।

Sunday, November 2, 2025

एएमयू के प्रो. असद यू. खान कोएंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस राष्ट्रीय मिशन : प्रतिष्ठित आईसीएमआर अनुदान मिला


 Prof. Asad U Khan 

एएमयू के प्रो. असद यू. खान कोएंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस राष्ट्रीय मिशन का नेतृत्व करने के लिए प्रतिष्ठित आईसीएमआर अनुदान मिला

अलीगढ़, 25 सितम्बरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को देश में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) के विरूद्व लड़ाई में अहम जिम्मेदारी मिली है। एएमयू के बायोटेक्नोलॉजी यूनिट के प्रो. असद यू. खान को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर)स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालयभारत सरकार से लगभग 2 करोड़ रुपये का अनुदान स्वीकृत हुआ है। इस परियोजना के तहत उत्तर भारत में एक विशेष एएमआर नोडल सेंटर स्थापित किया जाएगा।

इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज टू डिटेक्ट एएमआर टू इम्प्रूव पेशेंट आउटकम्स इन इंडिया” शीर्षक से शुरू हुई इस परियोजना के पहले चरण में प्रमुख अस्पतालों लखनऊहल्द्वानीनोएडाआगरा और एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से नैदानिक नमूने एकत्र कर उनका विश्लेषण किया जाएगा। इस परियोजना में डॉ. राजेश पांडे (सीएसआईआर-आईजीआईबीनई दिल्ली) और प्रो. फातिमा खान (जेएनएमसीएएमयू) सह-प्रमुख अन्वेषक के रूप में सहयोग करेंगे।

शोध का मुख्य केन्द्र उन जीवाणुओं पर होगा जो कोलिस्टिन और कार्बापेनेम जैसे अंतिम विकल्प माने जाने वाले एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो गए हैं। इसके साथ ही अस्पतालों के वातावरण और जल स्रोतों के माध्यम से इनके फैलाव की भी निगरानी की जाएगी। यह परियोजना वन हेल्थ” दृष्टिकोण को अपनाती हैजिसमें मानवपशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एक-दूसरे से जुड़ा माना जाता है।

प्रो. असद खानजो पिछले दो दशकों से एएमआर शोध में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैंने कहा कि एएमआर एक मूक महामारी है जो चिकित्सा जगत की दशकों की उपलब्धियों को पलट सकती है। यह पहल भारत की निगरानी क्षमता को मजबूत करेगी और ऐसी जानकारी प्रदान करेगी जिससे राष्ट्रीय नीतियाँ बनाई जा सकेंगी।

आईसीएमआर द्वारा समर्थित यह परियोजना मरीजों के बेहतर इलाज और जनस्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित होगी और आने वाले वर्षों में लाखों जिंदगियों को बचाने में सहायक बनेगी।

प्रोफेसर एफएस शीरानी : यूनिवर्सिटी कोर्ट का सदस्य नियुक्त

 

एएमयू में वरिष्ठ शिक्षकों की यूनिवर्सिटी कोर्ट में नियुक्ति

अलीगढ, नवंबर 1ः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने डॉ. जेड ए डेंटल कॉलेज के संरक्षात्मक दंत चिकित्सा एवं एंडोडॉन्टिक्स विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर राजेन्द्र कुमार तिवारी, और अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के कुल्लियात विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एफएस शीरानी को यूनिवर्सिटी कोर्ट का सदस्य नियुक्त किया है। उनका कार्यकाल तीन वर्ष के लिए या फिर संबंधित विभागों में चेयरमैन पद पर बने रहने तक, जो भी पहले हो, प्रभावी रहेगा। यह नियुक्ति विभागों के वरिष्ठतम विभागायक्षके रोटेशन के आधार पर की गई है।Prof. F.S.Sherani

 

Gandhi’s contributions in the founding of Jamia Millia Islamia in 1920

 
MI hosts a workshop on “Mahatma Gandhi ka Swaraj”; Remembers Gandhi’s contributions in the founding of Jamia Millia Islamia in 1920

انیس سو بیس میں جامعہ یونیورسٹی کے قیام میں گاندھی جی کی خدمات کو یاد کرتے ہوئے جامعہ ملیہ اسلامیہ نے ’مہاتما گاندھی کا سوراج‘ کے عنوان سے  ایک ورکشاپ کی میزبانی کی

نیلسن منڈیلا سینٹر برائے امن و رفع تنازعات(این ایم سی پی سی آر)،جامعہ ملیہ اسلامیہ نے جامعہ ملیہ اسلامیہ کے ایک سو پانچویں یوم تاسیس کی تقریبات کے حصے کے طورپر جامعہ میں ’مہاتما گاندھی کا سوراج‘ کے عنوان سے ایک فکر انگیز اور نہایت اہم ورکشاپ منعقد کیا۔جناب کے۔ستیش نامبودیری پد،ڈائریکٹر جنرل، دوردرشن،پروفیسر سنجیو کمار شرما،سابق وائس چانسلر مہاتما گاندھی سینٹرل یونیورسٹی موتیہاری،اور ڈین چرن سنگھ یونیورسٹی،میرٹھ، اورپروفیسر سنجیو کما رایچ۔ایم شعبہ سیاسیات دہلی یونیورسٹی پر مشتمل ماہرین کے پینل نے ورکشاپ میں حصہ لیا اور شیخ الجامعہ،پروفیسر مظہرآصف، اورپروفیسر محمد مہتاب عالم رضوی، مسجل جامعہ ملیہ اسلامیہ، پروفیسر نیلو فر افضل، ڈین اسٹوڈینٹس ویلفیئر اور سینٹر کے اعزازی ڈائریکٹر پروفیسر ابو ذر خیری کے ساتھ ساتھ دوسرے فیکلٹی اراکین پروفیسر کوشیکی،پروفیسر راجیو نین اور پروفیسر اسلم خان نے ریسرچ اسکالر، فیکلٹی اراکہن اور جامعہ کے اہل کاروں سے بھرے ایف ٹی کے سینٹر آڈیٹوریم میں خطاب کیا۔واضح ہو کہ اس ورکشاپ کو ڈاکٹر بینش مریم نے سدھانشو ترویدی کے ساتھ مل کر کنوین کیا تھا۔

پروفیسر محمد مہتاب عالم رضوی، نے اپنے تعارفی خطبے میں کہا کہ کیوں کہ جامعہ ایک سو پانچ سال قدیم ہوگئی ہے اس لیے یہ ضروری تھاکہ مہاتما گاندھی کی خدما ت کو یاد کیا جائے جن کی بیش قیمت خدمات صرف ملک کے لیے نہیں اس یونیورسٹی کی بنیاد کے لیے بھی جس کے ساتھ ان کا گہرا جذباتی لگاؤ تھایاد کیاجائے۔جامعہ کے تصور کو انہوں نے ایک حدتک متحرک کیا اور یہ کہا جاسکتاہے کہ انتہائی یقین کہ ساتھ کہ ’جامعہ ملیہ اسلامیہ گاندھیائی فلسفے کا جتیا جاگتا مظہر ہے۔نیلسن منڈیلا اور مہاتما گاندھی کے درمیان موازنہ کرتے ہوئے پروفیسر رضوی نے کہاکہ ”گاندھی کے سورا ج کا مطلب سیاسی آزادی سے بہت زیادہ ہے یہ خود کی حکومت اور ذہن، جسم اور روح کی آزادی ہے۔ مہاتما گاندھی کے لیے انہوں نے کہاکہ ’آزادی صرف کوئی لائسنس نہیں بلکہ یہ ضبط نفس کی مشق ہے۔‘ گاندھی کے تصورات کی توسیع اور وضاحت کرتے ہوئے پروفیسر رضوی نے کہاکہ یہ وہ میکانزم ہے جہاں پولیٹی میں عوام ہی اصل فیصلہ ساز ہوتے ہیں اور صرف ایسے ہی نظام میں جمہوریت حقیقی معنوں میں نشو و نما پاسکتی ہے۔

پروفیسر رضوی نے گاندھیائی کے اہم تصورات اور ان کی عصری معنویت پر تفصیل سے گفتگو کی جن میں سوراج، کھادی، دیہی ترقی اور پنچایت راج کا ادارہ شامل ہے اوروضاحت کی کہ یہ تصورات کس طرح حکومت ہند کے مختلف اقدامات جیسے اسکل انڈیا، اور میک ان انڈیا کی لفسیانہ بنیاد تشکیل دیتے ہیں۔ پروفیسر رضوی نے ملک کے تعلیمی اور سماجی منظرنامے کو جہت اور سمت دینے میں جامعہ کو اہم رول ادا کیا ہے اس کا حوالہ دیتے ہوئے خاص طورسے اس کی نئی تعلیم کے تصور اور یوینورسٹی کے شمولیاتی اور مشترکہ نظام تعلیم کے تجربے میں جامعہ کے رول کی وضاحت کرتے ہوئے ڈاکٹر ذاکر حسین سابق صدر جمہوریہ ہند، اور جامعہ کے بانی رکن اور انیس سو چھبیس سے انیس سو اڑتالیس تک اس کے وائس چانسلر کابھی حوالہ دیا جنہوں نے جامعہ کو ’نئی تعلیم کی تجربہ گاہ بنایا‘۔

 پروفیسر سنجیو کمار نے مہاتما گاندھی کے بنیادی تصورات اور ان کی عصری معنویت پر توجہ مرکو ز رکھتے ہوئے پیچیدہ و ثروت مند اخلاقی اور وجودیاتی نظریات کے فریم ورک پر روشنی ڈالتے ہوئے کہاکہ گاندھی نے ’سناتنی پرمپرا‘ اور مذہب کا تکثیری وژن کی وکالت کی۔گاندھی کے رام راجیہ کے اپروچ میں مذہب کے بجائے اعتقاد میں یقین کارفرما تھا جسے مذہب کے تعاملی اور انسٹرومینٹل نظریات کے درمیان امتیاز کرکے سمجھا جاسکتاہے۔ کیوں کہ اعتقاد ایک مجرد،موضوعی تصور ہے۔ایسے میں اعداد و شمار کا نظریہ یا مادہ اور سماج کے معروض نقطہ نظر ثانوی چیز بن جاتی ہے اور گاندھی کا تصور کہ ”کمزورمیں سچ بولنے کی ہمت ہوتی ہے‘ واضح اور عیاں ہوجاتاہے۔اپنی دلچسپ اور فلسفیانہ گفتگو میں انہوں نے بھگوت گیت اور ہند سوراج،صداقت کے تصورات، اخلاقیات کی زندگی،اور تکلیف اور عرفان ذات کی وجودیاتی اور ماہیتی پیچیدگی کا تفصیل سے جائزہ پیش کیا۔انہوں نے حکومت کے سلسلے میں گاندھی کی فہم پر بھی اظہار خیال کیا اور اسے سخت اخلاقی، سیلف ٹیکچویل عمل بتایا جو غیر ادارہ جاتی اتفاق رائے کے نظریے پر کام کرتی ہے۔انہوں نے اپنی گفتگو کے اخیر میں گاندھی کے سوراج کو بے خوف تنقید قراردیا۔

   پروگرام کے مہمان خصوصی جناب کے۔ ستیش نامبودیرپد نے جامعہ کو ایک سو پانچ سال مکمل کرنے پر مبارک باد دی اور اسے عظیم کامیابی بتایا خاص طور سے اس نے ہندوستانی تاریخ،جد وجہد آزادی اور ترقی میں نمایاں کردار ادا کیاہے۔یجر وید اور کالی داس کا حوالہ دیتے ہوئے انہوں نے فطرت کے ساتھ زندگی اور فطرت کا حصہ ہونے پر توجہ مرکوز کی اور اسے بدقسمتی بتاکہ ”پندرہ ملین نامیات دنیا میں بستے ہیں یہ صرف انسان ہے جو اپنی روای اور دنیاوی آسائش کے لیے دنیا میں  ب سے زیادہ تباہی پھیلاتاہے۔ کچھ سائنس دانوں کواندیشہ ہے کہ اس شرح کی تباہی و بربادی سے نسل انسانی بھی معدوم ہوجائے گی جیسے ڈائنا سور معدوم ہوگئے۔ایسی صورت حال میں گاندھیائی فکر اور فلسفہ معنویت سے بھرپور ہوجاتے ہیں جس میں ان کی پائے دار ترقی کا تصور بھی شامل ہے۔انہوں نے اسکالر سے کہاکہ فضول اور ضرورت سے زیادہ استعمال کی صورت حال کوتنقید ی نقطہ نظر سے دیکھیں اور گاندھی جی کے پیش کردہ ترقی اور مادیت کے تصورات کی روشنی میں جانچیں پرکھیں ’سب کی ضرورتوں کے لیے کافی کچھ ہے،ہاں کسی کی بھی لالچ اور حرص کے لیے بہت کم ہے۔

            پروفیسر سنجیو کمار کے شرما نے بصیرت افروز گفتگو کی اور ڈربن جنوبی افریقہ میں گاندھی کے زمانہ قیام کی تصویر کھینچ کر رکھ دی جہاں انہوں نے فونیکس آشرم قائم کیا اور تعلیم وتہذیب سے متعلق اپنے نظریات وخیالات کو دریافت کیا۔یہ بتاتے ہوئے کہ گاندھیائی فلسفہ اور عمل ہندوستانی تہذیب و فکر میں رچی بسی ہے انہوں نے کہاکہ گاندھی ہمیشہ یہ مانتے تھے کہ نیا ہندوستان برطانیہ کی کاپی نہیں ہوگا‘۔پروفیسر شرما نے کہا کہ گاندھی نے ہمیشہ تنقید کو قبول کیا اور اپنے ناقدین کواپنے قریب رکھا جس سے ان کے انکسار اور کشادہ ظرفی کا اندازہ ہوتاہے۔انہوں نے مزید کہاکہ اظہار رائے اور تنقید کی آزادی ہندوستانی آئین سے ہی نہیں آتی بلکہ وہ  ہندوستانی تہذیب و روایت کا ناقابل ینفک جزو ہے۔انہوں نے بتایا کہ گاندھی سے مہاتما بننے کا سفر طویل اور سخت کاوش اور مشکلات سے بھرا تھا۔انہوں نے اخیر میں کہاکہ تعلیم کا مقصد انسان کو عظیم بنانا ہونا چاہیے صرف اسناد کی فراہمی کا وسیلہ نہیں۔تعلیم کو بہترین شہری بنانے چاہئیں اور اچھے انسان بنانے چاہئیں۔

پروفیسر مظہر آصٖف شیخ الجامعہ،جامعہ ملیہ اسلامیہ نے کہا کہ گاندھی کے ساتھ ان کا تعلق صرف عالمانہ نہیں بلکہ تجرباتی ہے کیوں کہ وہ اس سرزمین سے آتے ہیں جہاں سے گاندھی جی نے ستیہ گرہ شروع کیا تھااور ابھی وہ جامعہ ملیہ اسلامیہ کے شیخ الجامعہ،ملیہ اسلامیہ کی حیثیت سے خدما ت انجام دے رہے ہیں جس کی بنیا داور قیام میں مہاتما گاندھی کی خدمات اور کاوشوں کا بڑا رول ہے۔انہوں نے مزید کہاکہ جامعہ ملیہ اسلامیہ کو گاندھی کی دو اہم خدمات ہیں ایک نئی تعلیم کا تصور اورتعلیم کے ساتھ اس کا تجربہ اور دوسری اہم بات یہ کہ مہاتما گاندھی نے جامعہ ملیہ اسلامیہ کو مالی مدد فراہم کرانے میں سخت کوشش کی وہ بھی ایسے حالات میں جب جامعہ کو سخت مالی بحران کا سامنا تھااور کہا کہ وہ ذاتی طورپر اس کے لیے بھیگ مانگنے کے لیے کاسہ اٹھالیں گے اگر ادارہ کو مالی مشکلات کے سلسلے میں فکر مندی لاحق ہوئی۔اس بات پر زور دیتے ہوئے کہ یونیورسٹی کو اپنا سفر طے کرنا ہے‘ انہوں نے طلبہ سے گاندھی کے آئیڈیل کی تعمیل کے لیے کہا  خاص طور سے ستیہ گرہ اور اپنی زندگیوں میں سچائی و صداقت کی شمولیت کے اصولوں کو اپنا کر۔

 ڈاکٹر بینش مریم،ایسو سی ایٹ پروفیسر،این ایم این سی پی سی آر نے شکریہ ادا کیا اور قومی ترانہ کی نغمہ سرائی پر پروگرام کا اختتام ہوا۔



जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 105वें स्थापना दिवस समारोह में एनईपी-2020 के कार्यान्वयन पर चर्चा की

 


प्रो. अनिल सहस्रबुद्धेप्रो. डी.पी. अग्रवाल और प्रो. ममीदला जगदीश कुमार ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 105वें स्थापना दिवस समारोह में एनईपी-2020 के कार्यान्वयन पर चर्चा की

 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के 105वें स्थापना दिवस समारोह के क्रम मेंसमाज कार्य विभाग ने आज विश्वविद्यालय के डॉ. एम.ए. अंसारी सभागार में 'एनईपी-2020 की संभावनाएंविषय पर एक उच्चस्तरीय पैनल चर्चा का आयोजन किया। यह आयोजन विभाग के वार्षिक एस.आर. मोहसिनी मेमोरियल व्याख्यान श्रृंखला के क्रम में भी आयोजित किया गया था। प्रतिष्ठित पैनल में प्रोफेसर अनिल डी. सहस्रबुद्धेअध्यक्षएनईटीएफ, एनबीएएनआईआरएफ और ईसी एनएएसीविश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष और जेएनयू के पूर्व कुलपतिप्रो. ममीदला जगदीश कुमारऔर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के पूर्व अध्यक्षप्रो. डी.पी. अग्रवालजेएमआई के कुलपतिप्रो. मजहर आसिफ़ और जेएमआई के रजिस्ट्रारप्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी की उपस्थिति में शामिल थे।

 

पैनलिस्टों में छात्र कल्याण संकायाध्यक्षप्रो. नीलोफर अफजलएनईपी एपेक्स कमेटीजेएमआई की अध्यक्षप्रो. मिनी शाजी थॉमसकार्यक्रम की संचालनकर्ता समाज कार्य विभाग की संकाय सदस्यप्रो. अर्चना दासी और समाज कार्य विभाग के अध्यक्षप्रो. आर.आर. पाटिल शामिल थे।

 

कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरान की आयतों के पाठ से हुईजिसके बाद जामिया स्कूल के छात्रों द्वारा जामिया तराना का भावपूर्ण गायन हुआजिसने संकाय सदस्यों और अतिथियों से खचाखच भरे सभागार में एक श्रद्धापूर्ण माहौल तैयार कर दिया।

 

अपने स्वागत भाषण मेंजेएमआई के रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने एनईपी मसौदा तैयार करने वाले पैनल की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की और समकालीन शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणालियों (आईकेएस) को एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "आज जामिया मिल्लिया इस्लामिया के लिए वास्तव में एक विशेष दिन हैक्योंकि हमारे बीच ऐसे दिग्गज मौजूद हैं जो एनईपी के प्रारूपण और कार्यान्वयन में सीधे तौर पर शामिल थे।" राजनीतिक दर्शन और विचार की जड़ों पर विचार करते हुएप्रो. रिज़वी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्लेटोसुकरात और अरस्तू के विचारों ने लंबे समय से राजनीतिक वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को प्रभावित किया हैलेकिन कौटिल्यमहावीर और बुद्ध जैसे विचारकों द्वारा प्रस्तुत महान भारतीय ज्ञान परंपराओं का अध्ययन और शोध करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। "राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारी भारतीय ज्ञान प्रणालियों (आईकेएस) के महत्व को स्वीकार करती है और मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने और हमारी भाषाओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का आह्वान करती है।" "चीन से लेकर इराक तक कई देश अपनी भावी पीढ़ियों को अपनी मूल भाषाओं में शिक्षित करने पर गर्व करते हैंतो भारत में हम ऐसा क्यों न करें?" उन्होंने पूछा। प्रो. रिज़वी ने कहा कि भारत की ताकत उसकी विविधता में निहित है। उन्होंने कहा कि इतिहास हमें बताता है कि, "जिन साम्राज्यों ने किसी विशेष भाषा या संस्कृति का कठोरता से पालन कियाउनका अंततः पतन हो गया। हालाँकिभारत अपनी समावेशिताविविधता और अपनी समृद्ध परंपराओं और संस्कृतियों के कारण ही फलता-फूलता रहा है।"

 

प्रो. ममीदला जगदीश कुमार ने "एनईपी: मल्टीपल एंट्री एंड एग्जिट – द स्प्रिट बिहाइंड एनईपी 2020 के पीछे की भावना" पर अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि अभूतपूर्व शोध अक्सर ऐसे वातावरण से उत्पन्न होता है जो कल्पनाआलोचनात्मक सोच और स्थापित ज्ञान पर सवाल उठाने को प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए शिक्षार्थियों में जिज्ञासा को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह एनईपी पाठ्यक्रम के चौथे वर्ष में परिलक्षित होता है जो अनुसंधान के लिए समर्पित है। गूगल की स्थापना और लॉन्चलार्ज लैंग्वेज मॉडल एआई और फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क का उदाहरण देते हुएप्रो. कुमार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया में कई महान नवाचारों के पीछे एक भारतीय है। इस हद तक उन्होंने कहा कि एनईपी "बुनियादी शोधछात्रों के बीच आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करने और बहु-विषयक सहयोग के विकास" पर केंद्रित है ताकि भारतीय प्रतिभाविशेष रूप से हमारी बड़ी युवा आबादी का विकास हो सके। उन्होंने स्नातक शिक्षा में अनुसंधान को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया और बताया कि युवाओं में सबसे अधिक क्षमता है। उन्होंने यह कहते हुए समापन किया, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने का सबसे अच्छा समय अभी है ताकि हम देश के लिए एक स्थायीशांतिपूर्णस्वस्थ और सुरक्षित भविष्य का निर्माण कर सकें।"

 

प्रो. डी.पी. अग्रवाल ने एक्रेडिटेशन एंड द रोल ऑफ टीचर्स इन ड्राइविंग द इंप्लिमेंटेशन ऑफ नेएनईपी’ विषय पर बोलते हुए कहा कि शिक्षक एनईपी-2020 की सफलता के पीछे प्रेरक शक्ति हैं। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शैक्षिक दृष्टिकोण का उल्लेख किया कि 'प्रत्येक राष्ट्र को अपने राष्ट्र के लोकाचार के आधार पर अपने लोगों को शिक्षित करने का अधिकार है', और सभी शिक्षार्थियों के लिए निरंतर पुनः-कौशलीकरणतकनीकी एकीकरण और कौशल उन्नयन पर ज़ोर दिया।

 

प्रो. अग्रवाल ने "लर्न एट योर ओन पेस" की आवश्यकता पर बल दियायही कारण है कि डिग्रियों में लचीलापन होना आवश्यक है और यही एनईपी के पीछे की सोच है जिसे विनियमन-मुक्त वातावरण में साकार किया जाएगा। 'जीवन के लिए शिक्षा और कौशल के लिए शिक्षाके बीच अंतर करते हुएप्रो. अग्रवाल ने कहा कि "एनईपी में शिक्षकों द्वारा छात्रों के मूल्य संवर्धन की आवश्यकता है और इसलिए शिक्षक ही एनईपी-2020 की वास्तविक प्रेरक शक्ति हैं"। उन्होंने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि हमारी शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए मूल्य संवर्धन करना होगा। उन्होंने छात्रों की उभरती आवश्यकताओं के अनुरूप आजीवन सीखने के पारिस्थितिकी तंत्र और शिक्षण पद्धति के निर्माण का आह्वान कियाजिसमें शिक्षकों को शैक्षिक प्रक्रिया में भागीदार होना चाहिए और नैतिक और सामाजिक रूप से सक्रिय शिक्षार्थियों का मार्गदर्शन करना चाहिए।

 

प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया को एक सदी से भी अधिक की असाधारण यात्रा और ऐसे कई प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों को तैयार करने के लिए बधाई दीजिन पर राष्ट्र को गर्व है। "रैंकिंग: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य" पर एक ज्ञानवर्धक व्याख्यान देते हुएउन्होंने कहा कि रैंकिंग में उतार-चढ़ाव तो होता रहता हैलेकिन शोध का मूलमंत्र और शिक्षण-अधिगम की गुणवत्ता अकादमिक उत्कृष्टता का आधार है। उन्होंने जेएमआई के नई तालीम से प्रेरित शिक्षा मॉडल और एनईपी के अंतःविषयक और बुनियादी शोध पर ज़ोर के बीच समानताएँ दर्शाते हुए कहा कि "जेएमआई के 48 विभागों और 28 उत्कृष्टता एवं अनुसंधान केंद्रों के साथ बहु-विषयक पेशकशें एक ताकत और एक अवसर हैंचुनौती नहीं।" इस लिहाज़ सेविश्वविद्यालय एनईपी को लागू करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थिति में है।

 

प्रो. सहस्रबुद्धे ने शोध सुविधाओं तक चौबीसों घंटे एक्सेसनवाचार और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देनेऔर स्वयमऑनलाइन और अन्य सतत शिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों की सहभागिता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "शिक्षकों को छात्रों का मित्रदार्शनिक और मार्गदर्शक होना चाहिए।"

 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की एनईपी शीर्ष समिति की अध्यक्ष प्रो. मिनी शाजी थॉमस ने "नई तालीम टू एनईपी: ए ट्रांस्फोर्मेशनल जर्नी फ्रॉम 19202020 एंड बियॉंड" विषय पर अपनी प्रस्तुति मेंशिल्प-आधारित शिक्षाएकीकृत व्यक्तित्व विकास और बहुभाषी सुलभता के गांधीवादी सिद्धांतों के बीच संबंधों को रेखांकित कियाजो जामिया मिल्लिया इस्लामिया की नींव में निहित थे। उन्होंने कहा कि ये आदर्श एनईपी के मूल दृष्टिकोण के साथ निकटता से जुड़े हैं। उन्होंने श्रोताओं के समक्ष एक विस्तृत पीपीटी प्रस्तुत करके जामिया मिल्लिया इस्लामिया में चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी)मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के सफल कार्यान्वयन पर भी प्रकाश डाला।

 

अध्यक्षीय भाषण देते हुएकुलपति प्रो. आसिफ़ ने उन प्रतिष्ठित वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त कियाजिन्हें उन्होंने वर्षों से अपना गुरु और मार्गदर्शक बताया है। उन्होंने एनईपी-2020 को उसकी सभी सिफारिशों के साथ पूरी लगन से लागू करने की जामिया मिल्लिया इस्लामिया की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा, "जेएमआई एनईपी को लागू करने और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और भारत के आम लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।"

 

प्रोफ़ेसर आसिफ़ ने ज़ोर देकर कहा कि जामिया त्रिभाषा सूत्र का पालन करता है और गांधीवादी दर्शन के अनुरूपउनका प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि जामिया से निकलने वाले प्रत्येक छात्र के पास कोई न कोई कौशल अवश्य हो। उन्होंने आगे कहा कि जामिया को छात्र-केंद्रित होने और उनके कल्याण के लिए काम करने पर गर्व है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय में रैगिंगयौन और मानसिक उत्पीड़न के मामले लगभग न के बराबर हैं।

 

समाज कार्य विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर आर.आर. पाटिल ने धन्यवाद ज्ञापित किया और सभी गणमान्य व्यक्तियोंसंकाय सदस्यों और छात्रों के योगदान को स्वीकार किया।

 

समारोह का समापन समाज कार्य विभाग के प्लेसमेंट ब्रोशर के विमोचन के साथ हुआ।

 

इससे पहलेस्थापना दिवस समारोह के एक भाग के रूप मेंडॉ. ज़ाकिर हुसैन पुस्तकालय द्वारा आयोजित "सेलेब्रेटिंग फाउंडर्स एंड जामिया ऑथर्स" शीर्षक से एक पुस्तक प्रदर्शनी और जामिया लेखकों के संग्रह की ग्रंथ सूची का विमोचन किया गया।

 

 

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