नालंदा साहित्य महोत्सव 2025 में प्रोफेसर वारसी ने एएमयू का प्रतिनिधित्व किया
अलीगढ़, 27 दिसंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषाविज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं लिंग्विस्टिक सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. एम. जे. वारसी ने नालंदा साहित्य महोत्सव (एनएलएफ) 2025 में एएमयू का प्रतिनिधित्व किया। यह महोत्सव राजगीर कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हुआ। प्राचीन नालंदा की शैक्षणिक परंपरा से प्रेरित इस महोत्सव का उद्देश्य भारत की बौद्धिक विरासत को पुनर्जीवित करना है।
प्रो. वारसी ने कहा कि नालंदा साहित्य महोत्सव संवाद, विद्वत्ता और रचनात्मकता जैसे उन मूल्यों को दर्शाता है, जो प्राचीन नालंदा की पहचान रहे हैं और जिन्हें आज के समय के अनुसार प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने भाषा को सांस्कृतिक पहचान का मूल आधार बताते हुए कहा कि भाषाएँ हमारी सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने वाली कड़ियाँ हैं।
प्रो. वारसी ने महोत्सव के तीन प्रमुख सत्रों में भाग लिया। इनमें “हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं का अंग्रेजी में तथा अंग्रेजी का भारतीय भाषाओं में अनुवादः नवीन प्रवृत्तियाँ” विषय पर आयोजित पैनल चर्चा भी शामिल थी। उन्होंने कहा कि आज अनुवाद केवल तकनीकी उपकरणों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अर्थ, संस्कृति और सामाजिक संदर्भों को समझने की एक गहरी प्रक्रिया बन चुका है।
इसके अलावा प्रो. वारसी ने दो सत्रों का संचालन भी किया। इनमें पूर्वोत्तर भारत की जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और पहचान से जुड़े महत्व पर चर्चा तथा आधुनिक बिहार में बज्जिका, मगही और अंगिका भाषाओं के संरक्षण की चुनौतियों और संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया।
महोत्सव का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया। इस साहित्य महोत्सव में 50 हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में शशि थरूर, सोनलमान सिंह, अदूर गोपालकृष्णन, अमिताभ कांत, अमित लोढ़ा, सच्चिदानंद जोशी सहित कई प्रसिद्ध लेखक, विद्वान, फिल्मकार और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़ी हस्तियाँ उपस्थित रहीं।
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